पटना के राजीव नगर में दो दिन से मचे हंगामे के बाद आखिरकार पटना हाईकोर्ट ने प्रशासन की कार्रवाई पर 6 जुलाई तक रोक लगा दी है. इधर जिला प्रशासन का दावा है कि बिहार राज्य हाउसिंग बोर्ड की अर्जित भूमि से अतिक्रमण पूर्णतः हटा दिया गया है.
जिलाधिकारी कार्यालय से जारी विज्ञप्ति के मुताबिक सभी पंचानवे संरचनाओं को तोड़ दिया गया है. प्रशासन द्वारा लगभग 50 एकड़ भूमि को अपने कब्जे में ले लिया गया है . उपद्रव फैलाने के आरोप में कुल 34 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. इसमें दिनांक 3 जुलाई को 25 लोगों को तथा दिनांक 4 जुलाई को 9 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. कुल 4 प्राथमिकी दर्ज की गई है जिसमें दिनांक 3 जुलाई को दो प्राथमिकी तथा दिनांक 4 जुलाई को दर्ज़ दो प्राथमिकी शामिल है. बताया गया है कि अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई दिनांक 04.07.2022 को 4:00 बजे अपराहन तक पूरी कर ली गई है.
जिला प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि राजीव नगर मौजा दीघा की यह भूमि बिहार राज्य हाउसिंग बोर्ड की ही भूमि है. इसे अभी तक किसी भी अन्य संस्था को आवंटित नहीं किया गया है.
जिलाधिकारी द्वारा प्रबंध निदेशक, बिहार राज्य आवास बोर्ड, पटना से राजीव नगर थाना अंतर्गत बिहार राज्य आवास बोर्ड की अतिक्रमणमुक्त भूमि की फेंसिंग कर बोर्ड लगाने के संबंध में अनुरोध किया गया है. उन्होंने कहा है कि आवास बोर्ड की अतिक्रमणमुक्त भूमि की फेंसिंग कर इस आशय का बोर्ड लगाने की आवश्यकता है कि यह बिहार राज्य आवास बोर्ड की भूमि है और लोग भू–माफिया एवं दलालों से सावधान रहें, ताकि भू-माफियों एवं दलालों द्वारा सरकारी भूमि का क्रय-विक्रय एवं आम लोगों को उनके चंगुल से बचाया जा सके. जिलाधिकारी द्वारा प्रबंध निदेशक, बिहार राज्य आवास बोर्ड से एक नोडल पदाधिकारी की प्रतिनियुक्ति करते हुए अंचलाधिकारी, सदर पटना से आवास बोर्ड की खाली करायी गयी भूमि की पूर्ण विवरणी प्राप्त कर यथाशीघ्र फेंसिंग कर बोर्ड लगाने का अनुरोध किया गया है.
जिलाधिकारी कार्यालय से प्राप्त जानकारी के मुताबिक पटना उच्च न्यायालय द्वारा दिनांक 6 जुलाई, 2022 तक मकानों को तोड़ने एवं कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं करने का आदेश दिया है.
राजीव नगर (मौजा दीघा) की भूमि के संबंध में माननीय उच्च न्यायालय के आदेश में आज अपराहन 4:30 बजे के बाद दिनांक 6 जुलाई, 2022 तक मकानों को तोड़ने की कार्रवाई तथा अन्य दंडात्मक कार्रवाई पर रोक लगाई गई है. यह स्पष्ट किया जाता है कि इस मामले में दर्ज प्राथमिकी रद्द करने या गिरफ्तार लोगों में से किसी को भी छोड़ने का आदेश नहीं दिया गया है.
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