कृषि मंत्री को ज्ञापन देने के बाद भी 37वें दिन जारी रहा भोजपुरी पेंटिंग का आन्दोलन
बिहार युवा अधिवक्ता कल्याण समिति, भोजपुर ने दिया समर्थन
दिलीप कुमार के निधन पर आन्दोलन स्थल पर कलाकारों ने रखा 2 मिनट का मौन
आरा 7 जुलाई. भोजपुरी पेंटिंग को स्थापित करने को ले अपने माँगो के साथ आरा रेलवे स्टेशन पर भोजपुरी कला संरक्षण मोर्चा के बैनर तले 37वें दिन भी कलाकारों का आन्दोलन जारी रहा. सांस्कृतिक आंदोलन के 37वें दिन बिहार युवा अधिवक्ता कल्याण समिति, भोजपुर ने अपना नैतिक और भावनात्मक समर्थन दिया. अधिवक्ता अजित रंजन कुमार ने कहा कि भोजपुरी कला संरक्षण मोर्चा के सभी सदस्य वीर योद्धा की तरह अपने हक की लड़ाई लड़ रहे हैं. भोजपुरी पेंटिंग के स्थापित होने के बाद इनसबों का नाम इतिहास के पन्नों में स्वर्णाक्षरों में लिखा जाएगा. वरिष्ठ साहित्यकार राजेन्द्र शर्मा पुष्कर ने कहा कि रेलवे प्रशासन द्वारा भोजपुरी पेंटिंग की उपेक्षा करना शोभा नहीं देता. क्योंकि रेलवे पर किसी खास संस्कृति का नहीं अपितु सभी संस्कृतियों का बराबर का हक है. मंच संचालन करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता अनिल राज ने कहा कि मोर्चा द्वारा अन्य विधाओं के कलाकारों एवं जिले की अन्य सांस्कृतिक समस्याओं को ऊँचे स्तर पर उठाना अत्यंत सराहनीय कदम है. सरकार द्वारा मोर्चा की माँगों पर त्वरित और सकारात्मक पहल करना चाहिए.
रंगकर्मी डॉ अनिल सिंह ने कहा कि रेलवे के पदाधिकारियों के साथ तीन चरणों में हुई वार्ता के बाद भी सकारात्मक परिणाम नहीं आना यह साबित कर रहा है कि रेलवे भोजपुरिया लोगों को कमजोर समझ रहा है. यहीं के बाबू कुँवर सिंह जी ने तो 80 साल की उम्र में भी अंग्रेजों के छक्के छुड़ा दिये थे. वरिष्ठ रंगकर्मी रवींद्र भारती ने आशावादी होते हुए कहा कि सब्र का फल मीठा होता है. हो सकता हो कि रेलवे प्रशासन द्वारा मोर्चा के उम्मीद से ज्यादा सकारात्मक परिणाम प्रदान किया जाए. वरिष्ठ रंगकर्मी अशोक मानव ने कहा कि हमसभी रेलवे के हर कदम को बहुत ही गंभीरता से देख रहे हैं. समाज में धीरे धीरे आक्रोश व्याप्त हो रहा है. रंगकर्मी कृष्णेन्दु ने कहा कि विगत कई दशकों से भोजपुरी पेंटिंग के लिए चल रहा संघर्ष इस बार सफलता प्राप्त कर ही थमेगा.
संयोजक भास्कर मिश्र ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा भोजपुरी पेंटिंग को सभी सरकारी भवनों पर जगह देनी चाहिए. इससे रोजगार के साथ-साथ संस्कृति का बचाव भी होगा. उपसंयोजक विजय मेहता ने कहा कि क्षेत्रीय कलाओं को अंतरराष्ट्रीय बाजार देने की जिम्मेवारी सरकार की ही है. कोषाध्यक्ष कमलेश कुंदन ने कहा कि रेलवे प्रशासन के लिए हमारी मांग को स्वीकार करना और इसे स्थान देना अत्यंत मामूली बात है लेकिन एक खास लॉबी के दबाव में भोजपुरी पेंटिंग की उपेक्षा की जा रही है. रंगकर्मी मनोज कुमार सिंह ने कहा कि अपनी संस्कृति की उपेक्षा हम कलाकारों से बर्दाश्त नहीं हो रहा है. सक्षम पदाधिकारियों द्वारा मोर्चा की एक सूत्री मांग को मानकर भोजपुरिया समाज को उपकृत करना चाहिए.
धन्यवाद ज्ञापन करते हुए पल्लवी प्रियदर्शिनी ने कहा कि पारंपरिक लोककलाएं महिलाओं द्वारा संपादित होती हैं. भोजपुरी पेंटिंग को उसका उचित स्थान मिलने से महिलाओं की भावनाओं और क्षमता को सम्मान मिलेगा. चित्रकार गुड़िया कुमारी ने कहा कि भोजपुरी पेंटिंग को राष्ट्रीय पटल पर स्थापित होने से भोजपुरिया युवाओं के लिए रोजगार एवं अध्ययन का एक नया क्षेत्र विकसित होगा.
जनता से संवाद के बाद ट्रेजेडी किंग दिलीप कुमार के आकस्मिक निधन पर दो मिनट का मौन धारण कर कलाकारों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित किया.
मंगलवार को कृषि मंत्री को दिया ज्ञापन
बिहार सरकार के कृषि मंत्री और स्थानीय विधायक अमरेंद्र प्रताप सिंह को भोजपुरी कला संरक्षण मोर्चा के चार सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने सदर अस्पताल,आरा में मंगलवार को विभिन्न विधाओं के कलाकारों एवं स्थानीय सांस्कृतिक मुद्दों पर आधारित सात सूत्री मांगों की सूची समर्पित की और उनसे अनुरोध किया कि इन मुद्दों पर सकारात्मक पहल करें. मंत्री महोदय ने भी मोर्चा के प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों अशोक मानव,भास्कर मिश्र, विजय मेहता और कमलेश कुंदन को विश्वास दिलाया कि उनके द्वारा यथाशीघ्र पहल किया जाएगा.
देखना यह दिलचस्प होगा कि कृषि मंत्री के आश्वासन के बाद क्या भोजपुरी पेंटिंग को क्या उचित स्थान मिल पाता है?
आरा से ओ पी पांडेय की रिपोर्ट