योगिनी चित्र शिल्प एक कहानी कहता है : पद्मश्री श्याम शर्मा
सामाजिक संस्कृति की बहुस्तरीय भावना को दर्शाती एकल चित्र प्रदर्शनी का आयोजन
नारी समाज की पवित्र प्रतीक है पूरा समाज नारी के इर्द-गिर्द है घूमती
दुनिया को अपने कैनवस पर समेटना चाहती हूं मैं
एकल प्रदर्शनी -15 नवम्बर से 20 नवम्बर 2022 का आयोजन
पटना में आये दिन कोई न कोई चित्र प्रदर्शनी का आयोजन होता ही रहता है कभी समूह में तो कभी एकल. देश में अपना स्थान ख़ास बनाने वाली अनीता कुमारी की एकल चित्र प्रदर्शनी में योगिनी को प्रस्तुत किया है.ललित कला अकादमी में आयोजित इस एकल चित्रकला प्रदर्शनी का उद्घाटन देश दुनिया के प्रख्यात चित्रकार श्याम शर्मा किया.उन्होंने कहा कि अनीता कुमारी के चित्र ने सृजन से लेकर कई अवस्थाओं का चित्रण किया है जिसमें कला के प्रति उनका नजरिया स्पष्ट दिखता है. उन्होंने कहा कि अनीता कुमारी के चित्र ने सृजन से लेकर कई अवस्थाओं का चित्रण किया है जिसमें कला के प्रति उनका नजरिया स्पष्ट दिखता है। योगिनी एक योग है मतलब जोड़ना मतलब योगी। षोडशमातृकाएं या 64 योगिनियों की कल्पना है। ये सभी भारतीय चित्र परंपरा के अनुसार है। इनके चित्रों में कथात्मक का गुण है जो अपनी कहानी कहती है। योगिनी को आज के संदर्भ में प्रस्तुत करना ही कलात्मकता है।
अनीता ने बताया कि योगिनी एक प्रतीकात्मक चिन्ह है जिस पर काम करते हुए मैं अपने कामों में आन्नद की प्राप्ति करती हूँ. नारी समाज की पवित्र प्रतीक है क्योंकि पूरा समाज नारी के इर्द-गिर्द घूमती है. मेरी कला 21वीं सदी के समाज की महिलाओं की व्याख्या है जो महिलाओं और समाज के बीच अतीत से लेकर वर्तमान तक का संवाद व्यक्त करती है. एक महिला होने के नाते मैं समाज के सुचारू संचालन में मेरी कला का स्रोत प्रकृति और वह वस्तुएं हैं जिनमें हम रहते हैं और जिनके साथ हम रहते हैं. मैं अपनी संस्कृति के स्वदेशी तत्व का दर्शकों को अनुभूति कराती हूं. तथ्यों और अनुभव में विश्वास करते हुए मैं दुनिया को अपने कैनवस पर समेटना चाहती हूं.
प्रकृति और समाज के संयोजन के माध्यम से विभिन्न प्रकार के अनुभव व्यक्त करने का प्रयास करती हूं. मेरा विषय सामाजिक संस्कृति की बहुस्तरीय भावना को दर्शाता है जो समय के साथ विकसित हो रही है और समाजिक संस्कृति की एक प्रमुख भूमिका रहती है कि कैसे चीजें बदल रही है और हमारे अतीत को भविष्य से जोड़ता है. योगिनी एक प्रतीकात्मक चिन्ह है. नारी समाज की पवित्र प्रतीक है क्योंकि पूरा समाज नारी के इर्द-गिर्द घूमती है. मेरी कला 21 वीं सदी के समाज की महिलाओं की व्याख्या है जो महिलाओं और समाज के बीच अतीत से लेकर वर्तमान तक का संवाद व्यक्त करती है.
एक महिला होने के नाते मैं समाज के सुचारू संचालन में महिलाओं की भूमिका और महत्व को समझती हूं. वह एक स्तंभ है जो समाज को मातृत्व कामा प्रेम और करुणा और कभी कभी विनाश की शक्ति के साथ मजबूत करती रहती है. एक महिला हमेशा सद्भावना को पीढ़ियों तक स्थानांतरित करती है और समाज को समृद्ध करती है. मेरी कला में समाज की एक मजबूत और साहसी महिला को योगिनी के रूप में दर्शाया गया है जिसकी स्वतंत्रता है देखने में सामान्य है. योगिनी एक देवी हो सकती हैं और एक इंसान भी हो सकती है इसके कई आयाम है जिसको मैं अपने आर्ट प्रैक्टिस के द्वारा दर्शाने की कोशिश की है, भूमिका और महत्व को समझती हूं. वह एक स्तंभ है जो समाज को मातृत्व कामा प्रेम और करुणा और कभी कभी विनाश की शक्ति के साथ मजबूत करती रहती है. एक महिला हमेशा सद्भावना को पीढ़ियों तक स्थानांतरित करती है और समाज को समृद्ध करती है. इस अवसर पर राज्य के कई चित्रकार और कलाकार उपस्थित थे.
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