योगी के स्वागत की तैयारी में काल भैरव मंदिर

By Amit Verma May 26, 2017

योगी के स्वागत के लिए बेसब्री से इन्जार




मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्य नाथ काशी में पहली बार आज पहुँचे है संगठन की मीटिंग और गंगा सफाई के मुद्दे पर बात करने के लिए. बाबा विश्वनाथ की नगरी में कहावत है कि नगर में कोई आये और नगर के कोतवाल काल-भैरव से ना मिले, ये कैसे हो सकता है. योगी आदित्य नाथ शनिवार की सुबह 6.30 बजे काल भैरव का दर्शन करने वाले हैं जिसको लेकर मंदिर के पुजारियों और शहरवासियों के बीच उन्हें देखने के लिए काफी उत्सुकता है.

ये उत्सुकता इसलिए भी ख़ास है क्योंकि इस मंदिर में धागे पढ़ने और दंड से झाड़ने का रिवाज एक ख़ास समप्रदाय के लोगो को है. ये ख़ास संप्रदाय कोई और नहीं नासिह संप्रदाय के लोग हैं जिन्हें आदि गुरु संक्राचार्य ने यह अधिकार दिया था. इसी नाथ संप्रदाय के पुजारी थे बाबा गोरखनाथ और उनके शिष्य हैं मुख्यमंत्री महंत योगी आदित्यनाथ. ऐसे में मंदिर के पुजारी योगी आदित्यनाथ को एक मुख्यमंत्री नहीं महंत के रूप देख रहे हैं और उनका स्वागत करने के लिए बेसब्री से इन्तजार कर रहे है. वे कहते हैं कि बाबा गोरखनाथ के सबसे प्रिय शिष्य और साधक योगी जी के चरणों की धूलि पाकर धन्य हो जायेंगे.

कौन हैं काल भैरव?
पौराणिक बातों के अनुसार काल भैरव शिव के केश से उतपन्न हुए थे, ब्रह्ना के मुख से काल भैरव ने भगवान् की शिकायत सुनी तो उन्होंने अपने नाख़ून से ब्रह्मा का सर काट दिया.कहा जाता है कि ब्रह्मा का पहले पांच सर था. ब्रह्मा के सर काटने के बाद काल भैरव को ब्रह्म दोष लग गया और उन्हे कोई कहीं नहीं पूछता था. तब बाबा विश्वनाथ ने उनको अपने नगरी काशी में कई शिवलिंगों के बीच एक अंगूठे पर विराजमान होने की जगह दी और कहा कि तुम मेरे शहर के कोतवाल बन कर रहो. अगर कोई मेरे नगरी में आएगा तो तुम्हारे आशीर्वाद के बिना उसका कुछ नहीं होगा. और तभी से काल भैरव के दर्शन के बाद अनपूर्णा देवी और बाबा विश्वनाथ का लोग दर्शन करते हैं.

वाराणसी से ओ पी पांडे

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