महिला आरक्षण बिल संसद के दोनों सदनों में पास
राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद बनेगा कानून
महिलाओं की संसद में अभी 15% हिस्सेदारी
पूरे देश में महिलाएं जश्न मना रहीं हैं. क्योंकि, महिला आरक्षण बिल देश की 69 करोड़ महिलाओं की उम्मीद है. अब राजनीति में भी महिलाओं की भागीदारी बढ़ेगी. यानी महिलाएं अब सिर्फ वोटर बनकर नहीं रह जाएंगी. अब वो खुद आधी आबादी के लिए पॉलिसी बनाने में अहम भूमिका निभाएंगी. भले ही महिला आरक्षण 2024 लोकसभा चुनाव में लागू ना हो सके, लेकिन बीजेपी चुनावी मंचों से इसे राजनीतिक हथियार बनाने की तैयारी कर रही है और विपक्ष भी यह बात अच्छे से जानता है कि वो कितनी भी कोशिश कर ले, लेकिन पीएम मोदी और बीजेपी को वो इसका क्रेडिट लेने से नहीं रोक पाएगा.
आखिरकार राज्यसभा से भी महिला आरक्षण बिल सर्वसम्मति से पास हो गया. बिल के समर्थन में 214 वोट डाले गए, जबकि विरोध में एक भी वोट नहीं पड़ा. इससे पहले बुधवार को लोकसभा में महिला आरक्षण बिल पास हो गया था. अब बिल को राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा. राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद महिला आरक्षण बिल, कानून बन जाएगा. हालांकि, पहले जनगणना और सीटों के परिसीमन का काम होगा.
उच्च सदन में विधेयक पारित के बाद दोनों सदनों को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया है.अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को 33 प्रतिशत कोटा के भीतर आरक्षण देने समेत कई संशोधनों को खारिज किए जाने के बाद विधेयक पारित किया गया है. लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए आरक्षण हॉरिजॉन्टल और वर्टिकल दोनों होगा, जो एससी-एसटी कैटेगिरी पर लागू होगा. बता दें कि देश के 95 करोड़ पंजीकृत मतदाताओं में से करीब आधी महिलाएं हैं, लेकिन संसद में सिर्फ 15 प्रतिशत और राज्य विधानसभाओं में उनकी हिस्सेदारी 10 प्रतिशत है. महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण संसद के उच्च सदन (राज्यसभा) और राज्य विधान परिषदों में लागू नहीं होगा.
कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने राज्यसभा में कहा, उचित प्रक्रिया का पालन करने के बाद संविधान (128वां संशोधन) विधेयक, 2023 को लागू किया जाएगा. कर्मचारियों के लिए जनगणना का काम आसान नहीं है. इसमें विभिन्न सामाजिक और आर्थिक मापदंडों से संबंधित डेटा एकत्रित करना होता है. उन्होंने सदन को आश्वासन दिया कि सरकार महिला आरक्षण विधेयक को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है और किसी भी आशंका को दूर करेगी. परिसीमन आयोग यह तय करेगा कि प्रक्रिया के बाद कौन-सी सीट महिलाओं को मिलेगी. करीब 11 घंटे तक बहस चली. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, कोरोना महामारी के कारण 2021 में जनगणना नहीं हो सकी. 2024 के आम चुनावों के तुरंत बाद जनगणना की जाएगी.
वित्त मंत्री ने कहा, यह विधेयक लोकसभा में महिलाओं के लिए सीटों के आरक्षण का प्रावधान करता है. मैंने कुछ सदस्यों को यह कहते हुए सुना है कि उच्च सदन (राज्यसभा) में भी आरक्षण दिया जाना चाहिए. अप्रत्यक्ष चुनाव प्रक्रिया और जिस तरह से प्राथमिकताएं दी जाती हैं, किसी भी तरह का आरक्षण देना संभव नहीं होगा. वित्त मंत्री ने विधेयक के लागू होने में देरी पर विपक्षी सदस्यों के सवालों का जवाब दिया और कहा, विधेयक के अधिनियमित होने के बाद जब पहली जनगणना होती है और उसके प्रासंगिक आंकड़े प्रकाशित किए जाते हैं. फिर नए सिरे से परिसीमन की कवायद की जाती है.
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