रावण ने ब्रह्माजी की 10 हजार वर्षों तक तपस्‍या की और हर 1,000वें वर्ष में उसने अपने 1 शीश की आहुति दी

रावण के दस सिर 6 शास्त्रों और 4 वेदों के प्रतिक हैं

देशभर में दशहरे के त्यौहार पर रावण का पुतला दहन करने की परंपरा है. इस दिन भगवान श्रीराम ने रावण पर विजय प्राप्त की थी. नौ दिन की नवरात्रि के दसवें दिन दशहरा मनाया जाता है और दशहरे से 21वें दिन पर दीपावली का त्यौहार मनाया जाता है.  अब अगर आपके मन में ये सवाल उठता है कि रावण का दहन क्यों किया जाता है तो इसका जवाब हम आपके लिए लाए हैं. कहा जाता है कि रावण दहन से बुराई पर अच्छाई की जीत का उदाहरण मिलता है.

सोने की लंका का सम्राट रावण अस्त्र-शस्त्रों का पारंगत, तपस्वी और प्रकांड विद्वान तथा राजधर्म का ज्ञाता था. कहा जाता है कि रावण अपने दस सिर से 10 दिशाओं पर नियंत्रण कर सकता था. रावण ने ब्रह्माजी की 10 हजार वर्षों तक तपस्‍या की और हर 1,000वें वर्ष में उसने अपने 1 शीश की आहुति दी, इसी तरह जब वह अपना 10वां शीश चढ़ाने लगा तो ब्रह्माजी प्रकट हुए और रावण से वर मांगने को कहा. रावण ने ब्रह्माजी से ऐसा वर मांग लिया की उसे मारना मुश्किल था. चारों वेदों और 6 उपनिषदों का ज्ञान रखने वाले रावण पर जब राम ने विजय प्राप्त की तो इसे विजयादशमी कहा जाने लगा. जिसे विजय पर्व के रूप में मनाया जाता है. रावण का सर्वनाश उसके क्रोध और अहंकार के कारण हुआ. राम ने जब रावण का वध किया, तो इसे बुराई पर अच्छाई की जीत के तौर पर देखा गया. इसी वजह से बुराई रूपी रावण के पुतले के दहन की परंपरा हर साल निभाई जाती है.

रावण को राक्षस के राजा के रूप में दर्शाया गया है जिसके 10 सिर और 20 भुजाएँ थी और इसी कारण उनको “दशमुखा” (दस मुख वाला ), दशग्रीव (दस सिर वाला ) नाम दिया गया था. रावण के दस सिर 6 शास्त्रों और 4 वेदों के प्रतिक हैं, जो उन्हें एक महान विद्वान और अपने समय का सबसे बुद्धिमान व्यक्ति बनाते हैं. वह 65 प्रकार के ज्ञान और हथियारों की सभी कलाओं का मालिक था .रावण को लेकर अलग-अलग कथाएँ प्रचलित हैं .वाल्मीकि रामायण के अनुसार रावण दस मस्तक, बड़ी दाढ़, ताम्बे जैसे होंठ और बीस भुजाओं के साथ जन्मा था l वह कोयले के समान काला था और उसकी दस ग्रिह्वा कि वजह से उसके पिता ने उसका नाम दशग्रीव रखा था l इसी कारण से रावण दशानन, दश्कंधन आदि नामों से प्रसिद्ध हुआ .

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By pnc

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