सबसे अधिक मौत अभयारण्य क्षेत्र के अंदर ही
देश में कैसे थमेगा बाघों की मौत का आंकड़ा
एक साल में कुल 85 बाघों की हो चुकी है मौत
सबसे अधिक मौत अभयारण्य क्षेत्र के अंदर ही
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#savethetiger
बाघ की मौत राष्ट्रीय उद्यान में अक्तूबर की शुरुआत में मध्य प्रदेश के बाघ अभयारण्य में हुई है इसी प्रकार बीते माह भी देश में दो बाघ की मौतों के मामले सामने आए थे. ये दोनों मौत भी मध्य प्रदेश से ही थी. इनमें एक व्यस्क मादा और एक बच्चा शामिल था. यह संरक्षित क्षेत्र से बाहर चला गया था. जिस वजह से उसकी मौत हुई थी.
अक्तूबर तक देश भर में कुल 85 बाघों की मौत हो चुकी है. भारत में बाघ की आबादी दुनिया का लगभग 80 फीसद है. बाघों के संरक्षण के लिए केंद्र सरकार ने बाघ अभयारण्य बनाए हैं और भारत में कुल 53 बाघ संरक्षित क्षेत्र हैं. हालांकि मरने वाले बाघों का कुल आंकड़ा अभी बीते साल अक्तूबर तक दर्ज 104 तक पहुंच गया था. बाघों का शिकार की तलाश में आबादी वाले क्षेत्रों तक आना भी उनकी मौत की वजह बना है, बीते दिनों ऐसे मामले भी सामने आए हैं, जहां बाघ आबादी वाले क्षेत्रों में आया है और उससे लोगों को नुकसान हुआ है.
पिछले वर्ष देश के अंदर कुल 127 बाघों की मौत हुई थी.एनटीसीए का आंकड़ा बताता है कि जब 2012 से 2022 तक हुई बाघों की कुल मौत का अध्ययन किया जाता है तो वह बताती है कि अब तक सबसे अधिक मौत अभयारण्य क्षेत्र के अंदर ही हुई है. रिपोर्ट में कुल 1062 बाघों की मौत का अध्ययन शामिल है. इनमें से 565 (53.2 फीसद) मौत अभयारण्य क्षेत्र के अंदर ही हुई है. वहीं अभयारण्य क्षेत्र से बाहर वाले बाघों का आंकड़ा 374 है जो कि 35.22 फीसद है. इस आंकड़े में जब्त किए गए बाघ के कुल 123 मामले हैं जो कि कुल 11.58 फीसद है.सूत्र बताते हैं कि ज्यादातर बाघों की मौत शिकार के कारण होती है .अभ्यारण्य में भी कर्मचारियों की मिलीभगत से बाघों शिकार जारी है जिसे रोकना बेहद जरुरी है.
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