सेना की तरह पुलिसवालों के लिए कोई नियमित ट्रेनिंग सिस्टम भी नहीं
सरकार के इनाम देने को घोषणा से भी नहीं कम हुआ मोटापा
बढ़ते मोटापा से पुलिस मुख्यालय भी है चिंतित
राज्य सरकार पुलिसकर्मियों के बढ़ते वजन को लेकर चिंतित है. अब मोटे तोंद और थुलथुले हो चुके पुलिसकर्मियों को फिर से फिट बनाने के लिए सरकार एक खास योजना लेकर आई थी पर उससे कोई हल नहीं निकला. ऐसे अनफिट पुलिसवालों को लेकर सरकार में अधिकारी चिंतित हैं. कुछ महीने पहले सरकार ने कहा था कि अगर पुलिसकर्मी वजन घटा लेंगे पुलिस मुख्यालय की ओर से इन्हें इनाम भी दिया जाएगा. पर बिहार के पुलिसकर्मी का मोटापा कम करने का पुलिस मुख्यालय ने नायाब तरीक़ा भी कारगर नहीं निकला.
बिहार के अनफिट पुलिसकर्मियों को फिट करने के लिए पुलिस मुख्यालय ने सभी जिलों में तैनात पुलिस वालों के लिए पीटी परेड और खेलकूद प्रतियोगिताएं आयोजित करने का फैसला किया था पर वो भी काम नहीं आया. पुलिस कर्मियों को शारीरिक गतिविधियों और कसरत के जरिए चुस्त बनाने का सपना भी अधुरा ही रह गया है. न तो वजन घटा न ही मिला इनाम.
सरकार ने पुलिसकर्मियों को फिट करने के लिए पीटी परेड के साथ पहले उनका बकायदा वजन रिकॉर्ड किया करने की घोषणा की थी. ऐसे पुलिस कर्मियों का डेढ़ महीने बाद दोबारा वजन लिया जाना था. जिन पुलिसकर्मियों ने सबसे अधिक वजन घटाया होगा उन्हें इनाम दिया जाना था इनाम तब तो मिलता जब वजन घटता.ऐसे में सरकार की यह योजना धाराशायी हो गई.
पुलिस जवानों को हमेशा फिट रहना चाहिए, लेकिन जब निरीक्षण हुआ तो जवानों से ज्यादा अफसर बेडोल पेट वाले निकले. अधिकारियों ने कहा कि सबका पेट गायब होना चाहिए. ऐसे मोटे होने का कोई फायदा नहीं, जरा सा चलने पर दम फूलने लगता है. जल्दी से जल्दी बढ़े हुए पेट अंदर होने चाहिए, नहीं तो ऐसे तोंदू लोग जबरिया छुट्टी पर जाने के लिए तैयार रहें जैसे आदेश भी काम नहीं आये . जवानों के साथ अफसरों को चलने में बहुत परेशानी हुई. जवान और अफसर पूरी तरह फिट नहीं है. बेडोल जवान औऱ अफसर कैसे बदमाशों का पीछा करेंगे. जवानों को हमेशा फिट रहना चाहिए. जवानों और अफसरों को चलने में ही परेशानी हो रही है. ऐसे में दौड़ना तो दूर की बात है. मोटापा कम करने वाले पुलिसकर्मियों के लिए अब सरकार क्या नया करेगी ये देखना होगा.
अब जरा बिहार पुलिस की ओर से जारी किये गए 2022 में अपराधों की संख्या पर गौर कीजिये
एक जवान ने कहा कि 15 साल पहले जब पुलिस में भर्ती हुआ था तो बैरक में नियमित रूप से सुबह-शाम कसरत करनी पड़ती थी. अब कई साल से यह छूट गया है. मोबाइल फ़ोन और आधुनिक तकनीक ने भागदौड़ घटा दी है. इसका असर सेहत पर नज़र आने लगा है. एक अधिकारी कहते है कि अब पुलिसवालों में फ़िट रहने की इच्छा ख़त्म हो गई है और वे आलसी हो गए हैं. नतीजतन, 40 की उम्र तक पहुँचते-पहुँचते उनका डील-डौल बदल जाता है. इस व्यवस्था में बदलाव जरूरी है.
पुलिस के नियम कहते हैं कि भर्ती के समय कर्मचारियों का क़द 160 से 167 सेमी, सीना 78 सेमी और वज़न क़द और उम्र के अनुपात में होना चाहिए. कुछ वर्गों और महिलाओं के लिए क़द में 5-7 सेमी तक की छूट भी है. भर्ती के समय पुरुषों को 800 मीटर की दौड़ 3 मिनट में और महिलाओं को 400 मीटर की दौड़ दो मिनट में पूरी करनी होती है. तो बाद के सालों में ये फ़िटनेस हवा क्यों हो जाती है? एक ट्रैफ़िक पुलिसकर्मी के मुताबिक़ कर्मचारियों को ज़्यादा भागदौड़ नहीं करनी पड़ती. पुलिस वाले ज़्यादातर मोटरसाइकिल और गाड़ी पर चलते हैं. इसके अलावा सेना की तरह पुलिसवालों के लिए कोई नियमित ट्रेनिंग सिस्टम भी नहीं है.
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