पैसे वसूली में कॉलेज है टाइट, ताख पर अनुसूचित जाति के छात्रों की राइट!

हाईकोर्ट का आदेश को ठेंगा दिखा नामांकन के नाम पर SC व ST छात्रों से ₹-1800 की हो रही है वसूली

कॉंग्रेस ने दिया महाराजा कॉलेज को पैसे वापस करने का एक हफ्ते का अल्टीमेटम




Patna Now Special Report

आरा, 18 अगस्त. बिहार का कुँवर सिंह विश्वविद्यालय हमेशा से सुर्खियों में रहा है. कभी नामांकन को लेकर तो कभी भाषा की पढाई के अस्तित्व को लेकर. अब इसके अंतर्गत आने वाले कॉलेज भी इसमें पीछे नही हैं. कॉलेज तो दो कदम आगे निकल न सिर्फ विश्वविद्यालय के नाम को नीचा कर रहे हैं बल्कि हाईकोर्ट के आदेश को भी ठेंगा दिखा अपनी झोली भरने में इतने मशगूल हैं कि इनके आसपास कानून का डर तक गायब हो गया है. मामला आरा के चर्चित महाराजा कॉलेज का है. नाम महाराजा लेकिन काम भिखारियों जैसा. जिस अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति व छात्राओं को मुफ्त शिक्षा देने की कानून हिमाकत करता है उसी से कॉलेज ऑनलाइन नामांकन के नाम पर आरा में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति व छात्राओं से 1700 से 1800 रुपये विभिन्न मदों में वसूल कर रहा है. अगर देखें तो यह विवि की भी एक तरह से अवहेलना है.

अगर कानून की माने तो माननीय पटना उच्च न्यायालय का आदेश है कि इंटर से लेकर पीजी स्तर तक पढ़ाई के दौरान छात्राओं से नामांकन के बदले में किसी भी प्रकार का शुल्क न लिया जाय. बावजूद महाराजा कॉलेज प्रशासन द्वारा यह शुल्क 1700/- से 1800/- तक वसूल किया जा रहा है.

इसतरह के लगातार मामले प्रकाश में आने के बाद बिहार युवा कांग्रेस महासचिव अभिषेक द्विवेदी ने इसके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातियों से नामांकन के नाम पर पैसे की वसूली सरासर गलत है. यह कॉलेज न सिर्फ गलत कार्य कर रहा है बल्कि हाईकोर्ट के आदेश की अवहेलना भी है. उन्होंने कहा कि अगर 1 सप्ताह के अंदर महाविद्यालय प्रशासन द्वारा अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति व छात्राओं से लिए गए नामांकन शुल्क कॉलेज वापस नहीं करता है तो महाविद्यालय में आंदोलन किया जाएगा.

इस संदर्भ में पटना नाउ ने जब महाराजा कॉलेज के प्राचार्य से फ़ोन पर सम्पर्क करना चाहा तो प्राचार्य ने फ़ोन रिसीव ही नही किया.

आरा से ओ पी पांडेय की रिपोर्ट

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