वीर कुँवर सिंह विश्वविद्यालय लगातार मुद्दों का अखाड़ा बनता जा रहा है और नित नए कारनामे सामने आ रहे हैं। राजभवन से बिना मान्यता कई विषयों के विभागों के चलाये जाने का मामला ठंडा नहीं हुआ इसी बीच निर्देशों का उल्लंघन कर अवैध नियुक्ति का एक मामला सामने आया है। यह मुद्दा सीसीडीसी पद पर डॉ नीरज सिन्हा की नियुक्ति से सम्बंधित है। इस पद के लिए नीरज सिन्हा रैंक की दृष्टि से योग्यता नहीं रखते हैं, बावजूद इसके वे कई वर्षों से सीसीडीसी पद पर काबिज हैं।
बिहार राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम की धारा 14 बी में स्पष्ट उल्लेख है कि समायोजक, महाविद्यालय विकास परिषद के लिए उपाचार्य अर्थात रीडर रैंक का शिक्षक होना अनिवार्य योग्यता है और वर्त्तमान सीसीडीसी रीडर की कोटि में नहीं आते। उनका रैंक सेलेक्शन ग्रेड का है जो लेक्चरर की कोटि में आता है।
इस मामले पर सचिव, वीर कुँवर सिंह विश्वविद्यालय शिक्षक एवं कर्मचारी कल्याण संघ ने कुलाधिपति सह राज्यपाल को ज्ञापन भी दिया था जिस पर संज्ञान लेते हुए कुलाधिपति सचिवालय ने ज्ञापांक वीकेएसयू 01/2021 खण्ड 3, 1780, दिनांक- 27-10-21 को एक पत्र जारी करते हुए विश्वविद्यालय को आवश्यक कार्रवाई का निर्देश दिया जिस पर विश्वविद्यालय ने मौन साध लिया जो आजतक कायम है। हालांकि विश्वविद्यालय के गलियारे में यह चर्चा कई दिनों से चल रही है कि मामला कुलपति डॉ के सी सिन्हा के संज्ञान में है और वे तुरंत कार्रवाई करने वाले हैं।
इसी बीच नए कुलपति प्रो शैलेन्द्र कुमार चतुर्वेदी की बतौर स्थायी कुलपति नियुक्ति हो चुकी है। अब यह देखना है कि पदभार ग्रहण करने के बाद प्रो चतुर्वेदी इस मामले पर क्या रुख अपनाते हैं। नए कुलपति के सामने बेपटरी हो चुकी व्यवस्था, लंबित सत्र, बिना मान्यता के चल रहे विभाग, परीक्षा विभाग में सुधार, मेडिकल कॉलेज हेतु जमीन का मुद्दा आदि कई समस्यायें खड़ी होंगी। कुलपति विश्वविद्यालय को फिर से कैसे पटरी पर लाएंगे इस पर तमाम शाहाबाद की नजरें लगी हैं।
विश्वविद्यालय से ओ पी पाण्डेय की रिपोर्ट