‘लोक संस्कृति में हैं जन्म से लेकर मृत्यु तक के गीत’

By pnc Oct 1, 2016

भोजपुरी का स्वर्णिम काल अभी बाकी है  -विजया भारती 

केन्द्र सरकार जल्द से जल्द मान्यता दे भोजपुरी को




वैदिक काल से लेकर अब तक पूरा संस्कृत वाड्‌मय और मध्यकालीन तथा आधुनिक शिष्ट साहित्य, दार्शनिक चिंतन, आध्यात्मिक तथा धार्मिक साधना, ललित कलाओं के क्षेत्र की विविध उपलब्धियों समष्टि रूप में भारतीय संस्कृति के नाम से अभिहित होती हैं पर लोक-संस्कृति के नाम पर हर प्रादेशिक क्षेत्र की अपनी विशेषताएँ हैं  उनके गीत उनकी लोककथाएँ उनकी नृत्य-शैली, सबमें भिन्नता मिलेती है .भोजपुरी उनमें सबसे आगे कैसे है .इन सब बातों पर भोजपुरी की ख्याति प्राप्त लोक गायिका विजया भारती का क्या है कहना -रवीन्द्र भारती की एक रिपोर्ट

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मैंने उन्हीं गीतों को अपना सुर और स्वर दिया है, जिसमें हमारी संस्कृति, संस्कार और माटी की खुशबू है. मैं अपनी इसी विशेषता के कारण दुनिया के कई देशों से भारत की प्रतिनिधि लोकगायिका के तौर पर आमंत्रित और सम्मानित होती रही हूँ. मुझे अपनी विशुद्ध लोकगायिकी पर गर्व है. विजया भारती का मानना है कि लोक संस्कृति में तो जन्म से लेकर मृत्यु तक के गीत है. प्रकृति, उत्सव और उपनयन संस्कार के गीतों के अलावे जन -जन की आत्मा में लोक गीत और लोक संगीत रचा बसा है. वे कहती है कि लोक गीत और संगीत के बिना जीवन अधूरा लगता है.

भोजपुरी में तो मौसम के बदलते ही गीत बदल जाते हैं,लाखों गीत हैं ,कुछ पारम्परिक हैं तो कुछ की रचना हुई है. सभी गीतों को लोग पसन्द करते है तभी तो दुनिया में लोग बड़े आत्मीयता से सुनते हैं.हंसने, रुलाने और जोश भरने में भोजपुरी का कोई सानी नहीं है.

अद्भुत प्रतिभा की हैं धनी    

भारतीय लोक संगीत की दुनिया में विजया भारती का नाम बड़े प्यार और सम्मान से लिया जाता है. विजया बिहार की हैं. इसलिए बिहार की तमाम लोक भाषाओं भोजपुरी, मैथिली, अंगिका आदि में तो वे गाती ही हैं, किन्तु उनकी पहचान समूचे देश और दुनिया में 18 भाषाओं में गाने वाली एक स्तरीय और झुमा देने वाली  गायिका के रूप में स्थापित हैं. सुर-सौंदर्य और सौम्यता से परिपूर्ण विजया भारती ने संगीत के मंचों से लेकर ऑडियो-वीडियोएलबमों तथा टेलीविजन चैनलों के अलावा फिल्मों में भी अपनी कला का जादू बिखेरा है. संपूर्ण भारतवर्ष और दुनिया के भोजपुरी भाषा भाषी इलाकों/मुल्कों में विजया भारती एक ऐसी भोजपुरी गायिका के रुप में ख्याति प्राप्त हैं, जिसके मंच पर उतरते ही दर्शक /श्रोता जोश -उमंग और मस्ती से भरकर झूमने को मजबूर हो जाते हैं. मुंबई फिल्म जगत की तमाम जानी-मानी हस्तियों यथा महानायक अभिताभ बच्चन, स्व0 अमरीशपुरी, गोविन्दा, अमोल पालेकर, जितेन्द्र, यश चोपड़ा, जयप्रदा, शत्रुघन सिन्हा, मनोज बाजपेयी, उदित नारायण, रविन्द्र जैन आदि  के साथ विजया ने दिल्ली, मुंबई से लेकर यूरोप के अनेक देशों में मंचों पर सफलता के साथ कार्यक्रम पेश कर अपार लोकप्रियता अर्जित की है.सरकार के ‘भारतीय सास्कृतिक संबधं परिषद’ (आईसीसीआर) ने विजया भारती को दुनिया के 20 देशों में भोजपुरी गायन के लिए भेजकर उनकी प्रतिभा को अंर्तराष्ट्रीय पहचान दिलायी. उनके कार्यक्रम हालेंड, जर्मनी, बेल्जियम,त्रिनिडाड, पोर्ट ऑफ स्पेन, फ्रांस तथा अनेक कैरेबियन देशों में काफी यादगार रहे हैं.

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कठिन साधना ने दिलाया है मुकाम

हिन्दी और संगीत में डबल एम. ए. करने के अलावा, विद्यावाचस्पति की उपाधि प्राप्त विजया ज्यादातर अपने ही लिखे अथवा पारंपरिक गीत गाती हैं. महुआ चैनल पर लगातार चार सालों तक बिहाने बिहाने कार्यक्रम की एंकरिंग कर रिकॉर्ड बनाने और अपार लोकप्रियता हासिल करने वाली विजया भारती भौजी नंबर वन की प्रमुख जज के रूप में भी खासी चर्चित रही हैं.
आकाशवाणी और दूरदर्शन की नियमित कलाकार रहीं विजया भारती की रंगारंग प्रस्तुतियो के साथ दूरदर्शन के लोकप्रिय कार्यक्रम ‘सुबह-सवेरे’ ने उनको दर्शकों में खासी लोकप्रियता दिलायी.इसके बाद तो विजया एन डी0 टी वी, आज तक, स्टार न्यूज, आईबीएन सेवन, जी टीवी, सहारा समय, तथा ई टीवी आदि अनेक प्राइवेट टी वी चैनलों की चहेती कलाकार बन गयीं. इन चैनलों पर लोकसंगीत के अनेकानेक कार्यक्रम कर विजया दर्शकों को अक्सर झुमाती नजर आती हैं. ईटीवी यूपी और बिहार पर भी विजया लगातार ‘फोक जलवा’,‘धुन’ और ‘ तेरे मेरे गीत’ जैसे कार्यक्रमों में गायन व एंकरिंग सहित पेश करती रही हैं.

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सम्मान और कार्य

विजया को अब तक ‘राष्ट्रीय संस्कृति सम्मान’ ‘स्पर्धा श्री पुरस्कार ’ ‘कला साधिका सम्मान’ ‘संगम कला ग्रुप’ दिल्ली का सर्वश्रेष्ठ लोकगायिका अवार्ड तथा बिहार सरकार की ‘राजभाषा पुरस्कार ’ के अलावा ‘ भिखारी ठाकुर सम्मान’ सहित अनेकों राष्ट्रीय / अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार / सम्मान मिल चुके हैं.

उनके गीत टी-सीरीज, वीनस, टिप्स, लिप्स, रामा, भारत और नीलम आदि अनेक कैसेट कंपनियों से भोजपुरी, मैथिली और अंगिका भाषाओं में मिल जाएंगे.विजया के लोक गीतों के दर्जनों एलबम जारी हो चुके हैं आज देश विदेश में उनकी बड़ी मांग है.

प्रतिभा के कायल हैं लोग

देवघर जिले के संग्रामपुर गांव में जन्म लेने वाली विजया भारती के चाहने वाले उनकी गीतों की प्रस्तुति और मधुर सुरीली आवाज के कारण जानते हैं पहचानते है. जब वो मंच पर अपने गायकी के जलवे बिखेरती है तो दर्शक उनकी गायकी के सागर में गोते लगाने को विवश हो जाते हैं. उनके गीतों में भाव और रस की उत्पत्ति होती साफ़ दिखती है तो उनके लटक झटक भी बूढ़े को कुछ पल के लिए जवान बना देते है. ऐसा दर्शक कहते हैं. उनके चर्चित गीत ढ़ेरों है लेकिन …अतने निहोरा बा माई भ्रष्टाचार के नाश करी काफी लोकप्रिय हुआ.लोगों तक उनके जन सन्देश पहुंचे और आज उसी का परिणाम है कि विजय भारती सबके दिलों पर अपनी गायकी और अदाकारी से दिलों पर राज करती हैं. जबकी उनका जन्म मैथिल भाषी घर में हुआ  पर  भोजपुरी से उन्हें खास पहचान दिलाई.

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विजय भारती कहती है कि भोजपुरी में बाज़ार की संस्कृति ने अश्लील गीतों को उनके चाहने वालों तक पहुंचाया पर अब वही लोग सुनना नहीं चाहते. अब चंद दिनों का मेहमान है. अच्छे गीत नए कलेवर के साथ आ रहे है अश्लीलता लोग भूल जाएंगे.इसके लिए भोजपुरी को जो सम्मान मिलाना बाकी है जिस दिन मिल गया तो समझिए भोजपुरी के स्वर्णिम दिन आ गये. विजय भारती ने फिल्मों की ओर रुख नहीं किया उन्हें शायद वहां की संस्कृति पसंद नहीं आई लेकिन आज हर घर में लोग उन्हें एक सम्पूर्ण कलाकार के रूप में देखते हैं .

वे कहती है कि भोजपुरी लोकगीतों की माधुर्यता की मिसाल तो दुनिया देती है.उसके लोक तत्व जैसे  नजरिया, डगरिया, बजरिया, चुनरिया के पुट डाले बिना शास्त्रीय संगीत भी अधूरा समझा जाता है. भोजपुरी के कुछेक शब्दों के उपयोग मात्र से शास्त्रीय संगीत तक विशिष्ट हो जाता है, वहीँ विगत कुछ वर्षों से लोकगीतों के नाम पर कर्कश, कानफोड़ू और अर्थहीन गीत-संगीत के बढ़ते प्रचलन ने भोजपुरी के वास्तविक स्वरुप को बुरी तरह नुकसान पहुंचाया है. सांस्कृतिक स्तर  पर बिहार के विविध लोकगीतों के साथ यह बहुत बड़ी दुर्घटना है. ऐसा इस लिए भी हुआ कि वे भोजपुरी लोकगीतों के वास्तविक स्वरुप से कोसों दूर है. उन कलाकारों को तत्काल आर्थिक लाभ ज़रूर मिल रहे हैं, पर सभ्य और शिक्षित समाज में उनका कोई सम्मान नहीं. सस्ती लोकप्रियता के लिए बढ़ रही फूहड़ता से भोजपुरी लोकगीतों को बचाने की जिम्मेवारी सिर्फ एक की नहीं सबकी है.

vijayabharti विजया भारती कहती है कि मेरा कोई गीत ऐसा नहीं जो आप पूरे परिवार के साथ बैठकर न सुन सकें और जिन्हें सुनकर झूमने का मन न हो. मैंने आज तक जो भी गाया है, मर्यादा की अपने शर्तों पर ही गाया है, और वही गीत गाये, जिसके बोल अर्थपूर्ण और साफ सुथरे रहे हों. ज्यादातर गीत तो मैंने खुद ही लिखे और कंपोज किए हैं.जब तक परम्परा के परिवेश में गीतों के बोल या धुन उसके इर्द-गिर्द होंगे, भले आप शब्दों का चयन अपने अनुकूल कर लें, जो उसे प्रतिबिंबित करता हो, पारम्परिक गीत या लोकगीतों के दायरे में माना जा सकता है. लेकिन सच कहूँ तो पारम्परिक शैली के गीतों में छेड़-छाड़ उचित नहीं है. क्या आप रवीन्द्र संगीत के धुन को बदल सकते हैं? भले लोग रैप या पॉप को शामिल कर गीतों की रचना कर रहे है वो बाज़ार की मांग है पर उन्होंने भोजपुरी की समृद्ध परम्परा में रैप या पॉप नहीं दिखा. चैता,होरी,रोपनी के गीतों का सौन्दर्य और ताल नहीं दिखा.

भोजपुरी आज वैश्विक भाषा है

भोजपुरी बड़ी मीठी और बड़ी उदार भाषा है. वैश्विक भाषा है. भोजपुरी में दुराव-छुपाव चलता नहीं है. सब कुछ सीधे-सीधे चलता है. भारत से निकल कर मारीशस, फ़ीज़ी, सूरीनाम, त्रिनीदाद आदि देशों में भोजपुरी अपनी इसी ताकत के दम पर न सिर्फ़ पहुंची बल्कि वहां फूली और फली भी है. निरंतर आगे बढ़ती जा रही है. करोड़ो लोग अगर दुनिया में भोजपुरी बोलते और सुनते हैं तो भोजपुरी भाषा की उदारता और बड़प्पन के नाते ही. उस की विरासत के नाते ही. सभी संस्कारों के गीत अगर किसी भाषा में हैं तो भोजपुरी में ही. सोलहो संस्कार के गीत. संझवाती- भोरहरी तक के गीत. श्रम गीत भी एक से एक हैं. वास्तव में भोजपुरी या किसी भी भाषा की गरिमा उस की उदारता में ही है. संकीर्णता में नहीं. छुआछूत में नहीं. भोजपुरी या किसी भी भाषा की यह मर्यादा बचाना और उस को संभालना अकेले किसी एक का काम नहीं है. यह सामूहिकता का काम है. जैसे हिंदी और उर्दू दोनों बहनें हैं वैसे ही भोजपुरी और अवधी भी दोनों बहनें हैं.जिस दिन भोजपुरी को उसका सम्मान मिल जाएगा उस दिन बहुत समृद्ध और संग्रहणीय हो जाएगी.इस बात को सरकार भी जानती है और लोग भी. अब भोजपुर से एक जनआन्दोलन शुरू हुआ है तो अब देर नहीं कि भोजपुरी को उसका हक नहीं मिले. मैं भी आग्रह करती हूँ कि केन्द्र सरकार इस गंभीर मुद्दे पर सोंचे.और हाँ पटना ..

वे पटना को स्मार्ट सिटी बनाने की योजना मे शामिल कराने की मुहिम को समर्थन करती है कहती हैं आप भी जुड़े ….

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By pnc

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