आरा (सत्य प्रकाश की रिपोर्ट) | भारत को दुनिया भर में “लिंचिस्तान” और “लिंचोक्रेसी” जैसे शब्दों से दागदार बनाने वाले मॉब लीनचिंग की घटनाओं के बाद पहली बार आरा सिविल कोर्ट ने भीड़ की हिंसा को लेकर एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. भारत के सुप्रीम कोर्ट द्वारा भीड़तंत्र को कानूनी रूप से मान्यता या इजाजत नहीं दिए जाने जैसे सख्त चेतावनी के ठीक बाद यह ऐतिहासिक फैसला बिहार के आरा सिविल कोर्ट से आया है, जहाँ कोर्ट ने राष्ट्रीय स्तर के बहुचर्चित मामले में दलित महिला को निर्वस्त्र कर सरेआम बाजार में घुमाये जाने और हिंसा फैलाने को लेकर अपराध में शामिल 20 लोगों को सजा देकर सही मायने में भीड़तंत्र के मुंह पर एक करारा तमाचा मारा है.

ताजा फैसला है बिहार के भोजपुर जिले के आरा सिविल कोर्ट की जहाँ न्यायमूर्ति ADJ-1 ने विगत 20 अगस्त को भोजपुर जिले के बिहिया प्रखंड के बिहिया बाजार में एक दलित महिला को निर्वस्त्र कर सरेबाज़ार घुमाये जाने और हिंसा फैलाये जाने को लेकर कुल 20 लोगों को कड़ी सजा सुनाई है. इस प्रकरण में 5 लोगों को महिला को निर्वस्त्र कर घुमाने को लेकर 7 वर्ष और एससी/एसटी एक्ट में 2 वर्ष के साथ-साथ 10 रुपये का जुर्माना लगाया गया है. वहीं दूसरी ओर 15 लोगों को एससी/एसटी एक्ट व बाजार में हिंसा फैलाने को लेकर कोर्ट द्वारा 2-2 साल के सजा सजा का एलान किया गया है और साथ ही 2-2 हज़ार रुपये जुर्माना भी लगाया गया है.




कोर्ट के फैसले के बाद वकील सतेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि पीड़िता के परिवार वालों के साथ कोर्ट ने न्याय किया है. उन्होंने बताया कि किशोरी यादव, विष्णु कुमार, मो० मुमताज़ अंसारी, सिकंदर कुमार और विनोद कुमार केशरी कुल 5 लोगों को धारा 354 के तहत 7 वर्ष की जेल और एससी/एसटी एक्ट के तहत 2 वर्ष का जेल और 10 हज़ार रुपये जुर्माना लगाया गया है जबकि अन्य 15 लोगों रंजीत, राजबली, सत्यनारायण, लखन, राजेश, मुनि शाह, शुभम, अमित, सोनू, विक्की सूरज, विकास, राजेश, राजा शाह और बबुआ जी को 147 दंगा और एससी/एसटी एक्ट में 2 साल के सजा के साथ-साथ दो-दो हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है.
बता दें कि समाज को अंदर से झकझोर देने वाला यह संवेदनहीन बहुचर्चित घटना विगत 20 अगस्त को घटी थी जिसमें एक युवक की रेलवे ट्रैक पर संदेहास्पद मौत के बाद एक दलित महिला को भीड़ द्वारा निर्वस्त्र कर उसके साथ मारपीट करते हुए सरेआम घुमाया गया था और बिहिया बाजार में जमकर मारपीट की गई थी. इस मामले में आरा सिविल कोर्ट के ADJ आर०सी० द्विवेदी ने विगत 28 नवंबर को 20 लोगों को दोषी करार देते हुए फैसला सुरक्षित रखा था.
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सुशील कुमार मोदी ने कहा
एनडीए सरकार ने कानून के शासन का जो उच्च मानक गढ़ा है, उसका ताजा उदाहरण है बिहिया बाजार की घटना, जिसमें दलित महिला को निर्वस्त्र घुमाने के मामले में आरोपी सभी 20 लोग 100 दिन के भीतर दोषी करार दिये गए. कानून-व्यवस्था पर छाती पीटने वालों को कानून के लंबे हाथ नहीं दिखते.
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https://youtu.be/xEhriYbG-po

By Nikhil

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