देवघर/झारखण्ड (प्रीती सिन्हा की खास रिपोर्ट) | हाथ में चौक लिये एक वर्दीधारी अगर किसी ब्लैक बोर्ड पर लिखते दिखे तो लगता है कि वह अपने विभाग के कर्मियो को किसी खास मिशन के बारे बता रहा हो. लेकिन हर बार ऐसा नही होता है. हम जिस वर्दीधारी की बात कर रहे हैं वो देवघर के एसडी पीओ विकास चन्द्र श्रीवास्तव है. बाबा नगरी के एक सरकारी स्कूल, आर एल सर्राफ हाई स्कूल में पढ़ाते मिले विकास चंद्र श्रीवास्तव. और हाँ, पढने वाले कोई पुलिसकर्मी नहीं बल्कि स्कूल के ही छात्र थे.
आम तौर पर पुलिस का नाम जेहन में आते ही एक अजीब सी तस्वीर उभर कर आती है लेकिन एक ऐसा भी पुलिस अधिकारी है जो वर्दी पहकर सरकारी स्कूल के बच्चो को पढाने का काम कर रहा है. हमने पता करने की कोशिश की कि आखिर ये वर्दी वाला टीचर बच्चो को क्या पढ़ाता है. इस बाबत हमने बात की खुद विकास चंद्र से. उन्होंने बताया कि भागदौड़ वाली ड्यूटी में से समय निकाल बच्चों को पढ़ाने के पीछे उनका एक बड़ा मकसद है. उन्होंने आगे बताया कि चूँकि देश भर मे साईबर क्राईम के मामले में जामताङा और देवघर, एपी सेंटर के रुप में स्थापित हो चुका है, इसलिए वे बच्चो को साईबर क्राईम से जुड़ी कुछ जरुरी बाते बताते हैं ताकि वे इंटरनेट के गलत इस्तेमाल से बचे और अन्य लोगो को भी बताये.
वहीं, स्कूल के छात्रों के अनुसार उन्हें इस नए शिक्षक के साथ बहुत मजा आता है तथा उनसे पढ़ना भी बहुत अच्छा लग रहा है. इन छात्रों के अलावा इस स्कूल में बीएड कर रही छात्राएं भी शामिल हैं. वे इस स्कूल में बच्चो को पढाने आती हैं लेकिन उन्हे भी इस वर्दीधारी से पढ़ना पढ रहा है जिसे वे अपना सुअवसर मानती है.
अलग राज्य बनने के 18 साल बाद भी झारखण्ड के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की कमी दूर नही हो सकी है तथा गुणपूर्ण शिक्षण का भी घोर अभाव है. ऐसे में इस तरह के प्रशासनिक अधिकारी का अपने व्यस्तम रुटिन से थोड़ा वक्त इन बच्चो के लिये निकाल लें तो निश्चित ही अंग्रेजी स्कूल में दाखिला नही होने की कसक अविभावकों में थोड़ा बहुत जरुर कम होगा.