केंद्रीय कैबिनेट ने शनिवार को लाखों कर्मचारियों को यूपीएस यानी यूनिफाइड पेंशन स्कीम का लाभ देने पर मुहर लगा दी है. यह नेशनल पेंशन स्कीम की जगह लेगी. कर्मचारी चाहें तो एनपीएस या यूपीएस में से किसी एक का चुनाव कर सकते हैं.
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने शनिवार को इसकी जानकारी दी. उन्होंने बताया कि कैबिनेट बैठक में इसे मंजूरी दी गई. UPS (एकीकृत पेंशन स्कीम) एक अप्रैल 2025 से लागू होगा.
आपको बता दें कि वर्ष 2004 से लागू नेशनल पेंशन स्कीम में कर्मचारी को अपनी बेसिक सैलरी का 10% हिस्सा कॉन्ट्रिब्यूट करना होता है और सरकार 14% देती है. अब सरकार अपनी तरफ से कर्मचारी की बेसिक सैलरी का 18.5 % कॉन्ट्रिब्यूट करेगी. कर्मचारी के 10% हिस्से में कोई बदलाव नहीं होगा. NPS के तहत 2004 से अब तक रिटायर हो चुके और अब से मार्च, 2025 तक रिटायर होने वाले कर्मचारियों को भी इसका लाभ मिलेगा. जो पैसा उन्हें पहले मिल चुका है या वे फंड से निकाल चुके हैं, उससे एडजस्ट करने के बाद भुगतान किया जाएगा. सरकार की तरफ से कॉन्ट्रिब्यूशन 14% से 18.5% बढ़ाए जाने पर पहले साल 6250 करोड़ रुपए का अतिरिक्त खर्च आएगा. जाहिर है कि ये खर्च साल दर साल बढ़ता रहेगा.
इस योजना के तहत अगर किसी सरकारी कर्मचारी ने 25 साल तक काम किया है, तो रिटायरमेंट के पहले नौकरी के आखिरी 12 महीने के एवरेज बेसिक सैलरी का 50 फीसदी पेंशन मिलेगा. अगर किसी पेंशनभोगी को मौत हो जाती है, तो उसके परिवार को कर्मचारी की मौत के वक्त तक मिलने वाली पेंशन का 60 फीसदी मिलेगा. इसके साथ ही अगर कोई कर्मचारी 10 साल के बाद नौकरी छोड़ देता है, तो उसे 10 हजार रुपए पेंशन मिलेगी. यूपीएस का उद्देश्य सरकारी कर्मचारियों को सुनिश्चित पेंशन, पारिवारिक पेंशन और सुनिश्चित न्यूनतम पेंशन प्रदान करना है.
यूनिफाइड पेंशन स्कीम के तहत महंगाई इंडेक्सेशन का लाभ भी मिलेगा. इस योजना के तहत ग्रेच्युटी के अलावा रिटायरमेंट के समय एकमुश्त भुगतान किया जाएगा. हर 6 महीने की सेवा के बदले मासिक पारिश्रमिक (वेतन + डीए (महंगाई भत्ता)) का दसवां हिस्सा जुड़कर रिटायरमेंट पर मिलेगा.
OP Pandey