जय श्री महाकाल
भारत में 31 जनवरी 2018 को चन्द्र-ग्रहण लगेगा, इसे देश के लगभग सभी स्थानों से देखा जा सकेगा. इससे पहले देश में अगस्त 2017 के महीने में चंद्र ग्रहण लगा था. अब देश में 31 जनवरी 2018 को चंद्र ग्रहण शाम के 5.17 मिनट से शुरू हो जाएगा. चंद्र ग्रहण को ज्योतिषी काफी महत्वपूर्ण मानते हैं. ज्योतिषियों के मुताबिक चंद्र ग्रहण का असर कई राशियों पर पड़ता है.
चंद्र ग्रहण के बाद पितरों को दान करना भी शुभ होता है. ऐसा करने से घर में खुशहाली आती है. ग्रहण काल में तुलसी के पौधे को छूना शुभ नहीं माना जाता. इस समय भगवान शिवजी की पूजा करना शुभ माना जाता है. ग्रहण काल खत्म होने के बाद घर में देवी-देवताओं की मूर्तियों को गंगाजल छिड़ककर शुद्ध करना चाहिए.
(भूभाग में ग्रहण समय – शाम 5.17 से रात्रि 8.42 तक) (पूरे भारत में दिखेगा, नियम पालनीय)
चन्द्रग्रहण बेध (सूतक) का समय
सुबह 8.17 तक भोजन कर लें. बूढ़े, बच्चे, रोगी और गर्भवती महिला आवश्यकतानुसार दोपहर 11.30 बजे तक भोजन कर सकते हैं. रात्रि 8.42 पर ग्रहण समाप्त होने के बाद पहने हुए वस्त्रोंसहित स्नान और चन्द्रदर्शन करके भोजन आदि कर सकते हैं.
ग्रहण पुण्यकाल
जिन शहरों में शाम 5.17 के बाद चन्द्रोदय है वहाँ चन्द्रोदय से ग्रहण समाप्ति (रात्रि 8.42) तक पुण्यकाल है. जैसे अहमदाबाद का चन्द्रोदय शाम 6.21 से ग्रहण समाप्त रात्रि 8.42 तक पुण्यकाल है.
शहरों का स्थान और चन्द्रोदय
नीचे कुछ मुख्य शहरों का चन्द्रोदय दिया जा रहा है उसके अनुसार अपने-अपने शहरों का ग्रहण के पुण्यकाल का जानकर अवश्य लाभ लें – इलाहाबाद (शाम 5.40),
अमृतसर (शाम 5.58),
बैंगलुरू (शाम 6.16),
भोपाल (शाम 6.02),
चंडीगढ़ (शाम 5.52),
चेन्नई (शाम 6.04),
कटक (शाम 5.32),
देहरादून (शाम 5.47),
दिल्ली (शाम 5.54),
गया (शाम 5.27),
हरिद्वार (शाम 5.48),
मुज़फ़्फ़नगर ( शाम5.56)
जालंधर (शाम 5.56),
कोलकत्ता (शाम 5.17),
लखनऊ (शाम 5.41),
मुजफ्फरपुर (शाम 5.23),
नागपुर (शाम 5.58),
नासिक (शाम 6.22),
पटना (शाम 5.26),
पुणे (शाम 6.23),
राँची (शाम 5.28),
उदयपुर (शाम 6.15),
उज्जैन (शाम 6.09),
वड़ोदरा (शाम 6.21),
कानपुर (शाम 5.44)
(इन दिये गये स्थानों के अतिरिक्तवाले अधिकांश स्थानों में पुण्यकाल का समय लगभग शाम 5.17 से रात्रि 8.42 के बीच समझें.)
ग्रहण के समय पालनीय
(1) ग्रहण-वेध के पहले जिन पदार्थों में कुश या तुलसी की पत्तियाँ डाल दी जाती हैं, वे पदार्थ दूषित नहीं होते. जबकि पके हुए अन्न का त्याग करके उसे गाय, कुत्ते को डालकर नया भोजन बनाना चाहिए.
(2) सामान्य दिन से चन्द्रग्रहण में किया गया पुण्यकर्म (जप, ध्यान, दान आदि) एक लाख गुना. यदि गंगा-जल पास में हो तो चन्द्रग्रहण में एक करोड़ गुना फलदायी होता है.
(3) ग्रहण-काल जप, दीक्षा, मंत्र-साधना (विभिन्न देवों के निमित्त) के लिए उत्तम काल है.
(4) ग्रहण के समय गुरुमंत्र, इष्टमंत्र अथवा भगवन्नाम जप अवश्य करें, न करने से मंत्र को मलिनता प्राप्त होती है.
(5) ग्रहण के समय राम राम लेखन का भी बहुत महत्व है इससे समस्त संकटों का समाधान होता है.
विस्तृत जानकारी और ग्रहण काल में करने योग्य उपाय मंत्र अनुष्ठान 30 जनवरी रात्रि को बताए जाएंगे.
जय श्री महाकाल
साभार – पंडित श्री अजय दूबे
ज्योतिषाचार्य एवं वैदिक कर्मकांड आचार्य
महाकालेश्वर, उज्जैन
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