इसके सेवन से 8 साल आयु हो जाती है कम !

तंबाकू निर्मित पदार्थों का सेवन करने से 8 साल आयु हो जाती है कम : डॉ. संकृत

विश्व तंबाकू निषेध दिवस के अवसर पर पुलिस लाइन में हुई 150 जवानों की स्क्रीनिंग
• जवानों ने तांबकू का सेवन न करने और न करने देने की ली शपथ

बक्सर, 31 मई. विश्व तंबाकू निषेध दिवस के अवसर पर जिले में विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया गया. इस क्रम में जिला स्वास्थ्य समिति के द्वारा मुख्यालय स्थित पुलिस लाइन में स्क्रीनिंग के लिए शिविर का आयोजन किया गया. इस दौरान पुलिस जवानों ने तंबाकू और इससे निर्मित वस्तुओं का सेवन नहीं करने की शपथ ली. साथ ही, दूसरों को भी इसका सेवन न करने के लिए जागरूक करने का प्रण लिया. जिसके बाद एक एक करके कुल 150 जवानों का ओरल स्क्रीनिंग किया गया। हालांकि, जवानों में मुंह के कैंसर के कोई भी लक्षण नहीं पाए गए। इस दौरान एचबीसीएचआरसी के ओआईसी डॉ. वरुण संकृत, डॉ. धनंजय सिंह चौहान, कीर्ति पांडेय, संध्या, पूनम यादव, चेतन व राजेश कुमार के अलावा डाटा एंट्री ऑपरेटर सोनू सिंह मौजूद रहे.





खैनी खईबअ त जल्दी जईबअ
इस दौरान डॉ. वरुण संकृत ने जवानों से कहा, पुलिस जवान हर चौक चौराहों पर मौजूद रहते हैं. यदि वे किसी को तंबाकू का सेवन करते हुए देखे तो, तत्काल उनसे इसका सेवन न करने की अपील करें. इसके लिए वे स्थानीय भाषा में लोगों से कहें कि ‘चाचा खैनी मत खाई, खैनी खईबअ त जल्दी जईबअ…’ ताकि, लोग तंबाकू प्रयोग की गंभीरता को समझे. उन्होंने बताया, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी इसकी पुष्टि की है की तंबाकू या इससे निर्मित वस्तुओं का सेवन करने से मनुष्य की आयु 11 साल तक कम हो जाती है. इसके अलावा इसके लगातार प्रयोग करने से टीबी, ओरल कैंसर आदि बीमारी से लोग ग्रसित हो जाते हैं. इसलिए लोग तंबाकू के सेवन से बचे.


तंबाकू का सेवन सुरक्षित नहीं :
डॉ. धनंजय सिंह चौहान ने बताया, लगभग 95 प्रतिशत मुंह के कैंसर तम्बाकू सेवन करने वाले लोगो में होते है. वहीं, सभी तंबाकू उत्पाद हनिकारक है, कोई भी तम्बाकू उत्पाद किसी भी मात्रा में सुरक्षित नहीं है. उन्होंने कहा कि मुंह का कैंसर व फेफड़े का कैंसर तम्बाकू सेवन से होने वाले प्रमुख बीमारिया है। इसके अतिरिक्त धूम्रपान व तम्बाकू सेवन से चिरकालिक सांस संबंधी रोग दमा, टीबी रोग और बार बार सीने में संक्रमण वाले रोग हो जाते है। महिलाओं में धूम्रपान व तम्बाकू के सेवन से प्रजनन क्षमता में कमी, गर्भपात का खतरा, शिशुओं का जन्म के समय कम वजन, मृत बच्चे का जन्म, गर्भाशय कैंसर आदि रोग होने की संभावना बहुत ही बढ़ जाती है.

बक्सर से ओ पी पांडेय की रिपोर्ट

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