जोमैटो के फर्जीवाड़े से त्रस्त कर्मचारियों ने कम्पनी के खिलाफ खोला मोर्चा,
जोमैटो का टीशर्ट जलाया, नही होगी अब होम डिलीवरी
सावधान! बड़े कंपनी का नाम जान उसमें नौकरी करने से पहले ज्वाईनिंग लेटर जरूर ले लें
Patna Now Exclusive Report
आरा 8 जुलाई. घर बैठे शहर के किसी कोने से या किसी होटल से अपने पसंद का खाना मंगवाने वाले लोगों के लिए शुरू की गई जोमैटो नाम की कंपनी का आजकल ट्रेंड जोरों पर है. बड़े शहरों में ऐसे सर्विस की प्रचलन को देख, तेजी से छोटे शहरों ने भी अपनाया है. इसी क्रम में जोमैटो की सर्विस 2 हफ्ते पहले 24 जून को आरा में शुरू की गई थी, जिसमें बेरोजगार युवकों की भारी भीड़ ने ग्राहकों को उनके मंगाए ऑर्डर, उन तक पहुंचा कर अपने पॉकेट को भारी करने के लिए डिलीवरी बॉय बनकर तैयार हुई और देर रात तक अपने काम पर ईमानदारी से डटे रहे ताकि उनकी मेहनत का फल उन्हें मिल सके.
लेकिन मजेदार बात यह रही कि दो हफ्ते में ही कंपनी का भेद खुल गया. नाम बड़े और दर्शन छोटे वाली कहावत कंपनी पर चरितार्थ हो गई. 2 हफ्ते के भीतर ही कम्पनी का फर्जीवाड़ा सामने आ गया. अपने इस शानदार सर्विस के लिए 140 से अधिक बेरोजगार युवकों को बिना किसी ज्वाइनिंग लेटर और आई कार्ड के नौकरी पर रख कंपनी ने अपनी रोटी सेंकी. जोमैटो में काम करने वालेकर्मचारियों से जब पटना नाउ ने बात किया तो पता चला कि उन्हें 8000/- की सैलरी इंसेंटिव की बात का करार कर उन्हें नौकरी पर रखा था. लेकिन 2 हफ्ते में ही कम्पनी का दावा खोखला साबित हुआ.
जब कम्पनी ने कर्मचारियों को गाड़ी में तेल भरवाने तक के पैसे नही दिए. कर्मचारियों का कहना है कि आरा में कम्पनी का न तो ऑफिस है और न ही सिटी हेड उनके कॉल को लेते हैं. जब पटना नाउ ने जोमैटो के सिटी हेड दिनेश कुमार से बात की तो उन्होंने कहा कि मैंने कई बार पटना ऑफिस को फोन किया लेकिन कोई रेस्पॉन्स नही मिल रहा है.यहाँ तक कि सिटी हेड को भी अभी तक ज्वाईनिंग लेटर नही मिला है.
आपके भरोसे एप्स के भरोसे चलता है काम जोमैटो कंपनी में अपने आप को ठगा सा महसूस करने वाले कर्मचारियों ने बताया कि उनका सारा काम जोमैटो एप के जरिए चलता है जिसमें उन्हें प्रतिदिन कस्टमर को किए गए डिलीवरी के एवज में जो बोनस और पैसे बनते हैं वह उस ऐप में देखते तो है दिखते तो हैं मगर उसकी एक चवन्नी तक अभी उनको नसीब नहीं हुआ है. यहां तक की डिलीवरी देने के दौरान एक डिलीवरी ब्वॉय सड़क दुर्घटना में घायल हो गया जिस का हाल जानने के लिए कंपनी के किसी अधिकारियों ने उचित नहीं समझा. अब हालात यह है कि अगर उक्त कर्मचारी कहीं कम्प्लेन के लिए भी जाएं तो कम्पनी के खिलाफ कोई सबूत नही है सिवाय जोमैटो के टीशर्ट और बैग का. कंपनी के इस फर्जीवाड़े से त्रस्त होकर सारे कर्मचारियों ने उसके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.सभी ने एकत्रित हो गुस्से का प्रदर्शन किया और जोमैटो का टीशर्ट भी जलाया.
कर्मचारियों के इस प्रदर्शन मे सिटी हेड दिनेश भी शामिल थे. कर्मचारियों का कहना है कि कम्पनी उन्हें 15000/- महीना सैलरीक़े रूप में तय कर दे तो उन्हें किसी इंसेंटिव की जरूरत नही है लेकिन यह सभी को लिखित दे अन्यथा किसी भी तरह की डिलिभरी ग्राहकों को वे न तो करेंगे और न ही किसी को करने देंगे. तो ऐसे में क्या सचमुच बंद हो जाएगी जोमैटो की सर्विस ?
आरा से ओ पी पांडेय की रिपोर्ट