सुप्रीम कोर्ट को दी जानकारी
देश और विदेश से कुल 9.75 करोड़ रुपये के दान मिले
9.75 करोड़ रुपयों में से 3.85 करोड़ रुपए निजी कार्यों में खर्च किए
गुजरात पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट को जानकारी दी कि उसने 2007 से 2014 तक सीतलवाड़ और उनके पति के साथ-साथ सीजेपी, सबरंग के बैंक खातों की जांच की. पुलिस के कहा की दोनों एनजीओ को इस दौरान देश और विदेश से कुल 9.75 करोड़ रुपये के दान मिले. पुलिस का दावा है कि सीतलवाड़ और उनके पति ने दान की इस रकम में से 3.85 करोड़ रुपये का इस्तेमाल व्यक्तिगत खर्चों पर किया. पुलिस ने बताया कि 1 जनवरी 2001 को दोनों ने यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया की मुंबई शाखा में दो अकाउंट्स खुलवाए जिनमें 31 दिसंबर 2002 तक पैसे जमा नहीं किए गए थे. लेकिन, जनवरी 2003 से लेकर दिसंबर 2013 के बीच आनंद ने 96.43 लाख रुपये जबकि सीतलवाड़ ने 1.53 करोड़ रुपए अपने अकाउंट में जमा कराए.
सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ और उनके पति ने 2002 दंगा पीड़ितों की मदद के लिए अपने एनजीओ को मिले 9.75 करोड़ रुपयों में से 3.85 करोड़ रुपए निजी कार्यों में खर्च किए. गुजरात पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट में यह दावा करते हुए कहा कि उसके पास इस बात के दस्तावेजी प्रमाण हैं. अपने 83 पन्नों के ऐफिडेविट में एसीपी राहुल पटेल ने कोर्ट को विस्तार से बताया कि सीतलवाड़ और उनके पति जावेद आनंद के साथ-साथ उनके ट्रस्टों सेंटर फॉर जस्टिस ऐंड पीस (सीजेपी) और सबरंग ने शिकायतों की जांच के लिए जरूरी दस्तावेज मुहैया कराने में मदद नहीं की. ऐफिडेविट में कहा गया है कि पुलिस ने गुलबर्ग सोसायटी के दंगा पीड़ितों की उन शिकायतों की जांच के लिए जरूरी दस्तावेज मांगे थे, जिनमें सीतलवाड़ और उनके पति पर आरोप लगाया गया था कि उनके पास चंदे की राशि जमा हो गई तो दोनों वादे के मुताबिक दंगा पीड़ितों को मदद से मुकर गए.
पुलिस का आरोप है कि फरवरी 2011 से जुलाई 2012 के बीच मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने 1.40 करोड़ रुपए का फंड दिया. दोनों ने इसमें से पैसे निकालकर व्यक्तिगत खर्चों पर इस्तेमाल किए। पुलिस ने कहा कि शुरू में उसे सीजेपी और सबरंग के महज तीन खातों की ही जानकारी मिली थी। पुलिस के मुताबिक, ’23 जनवरी 2014 को जैसे ही तीनों खाते सीज हुए, सीतलवाड़ और उनके पति ने तुरंत सबरंग ट्रस्ट के अन्य दो अकाउंट्स से डिमांड ड्राफ्ट के जरिए एक ही दिन में 24.50 लाख और 11.50 लाख रुपए ट्रांसफर किए. इन दोनों अकाउंट्स की जानकारी जांचकर्ता को नहीं थी. पुलिस का आरोप है कि ‘दोनों ने सुप्रीम कोर्ट और विभिन्न हाई कोर्टों से यह बात छिपाई कि बैंक खाते सीज होने के बाद दोनों ने दूसरे बैंक में सबरंग ट्रस्ट जनरल अकाउंट और सबरंग ट्रस्ट एचआरडी अकाउंट के नाम से अलग-अलग खाते खुलवा लिए.
एजेंसी