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ये क्या ! तिरुपति के प्रसादम में बीफ और चर्बी !

नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड ने की रिपोर्ट में हुआ खुलासा

रिपोर्ट के सार्वजनिक होने के बाद सियासी घमासान




रिपोर्ट से आहत हुए देश के करोड़ो हिन्दू

पटना नाउ डेस्क, 20 सितंबर. देश के प्रसिद्ध तिरुपति तिरुमला मंदिर में मिलने वाले भक्तों के प्रसादम को लेकर गुरुवार को उस समय तूफान मच गया जब आंध्रप्रदेश के CM चन्द्रबाबु नायडू ने लड्डू(प्रसादम) के रिपोर्ट को सार्वजनिक कड़ते हुए यह बतलाया कि लड्डू में मछली का तेल, बीफ और चर्बी के इस्‍तेमाल होने की बात कही. इस बात की पुष्टि नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड ने अपनी रिपोर्ट में की है. नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार, तिरुपति मंदिर का लड्डू बनाने में मछली का तेल, बीफ और चर्बी का इस्‍तेमाल किया गया है. यह सनसनीखेज खुलासा मंदिर के लड्डू और अन्नदानम के सैम्पल की जांच के बाद सामने आया है.

देश के करोड़ों लोगों के आस्‍था के केंद्र तिरुपति तिरुमला मंदिर में मिलने वाले लड्डू में मिलावट की बात ने लोगों को सन्न कर दिया और सभी आहत हो गए. बता दें कि प्रसाद के तौर पर इन लड्डुओं का वितरण न केवल श्रद्धालुओं के बीच किया गया, बल्कि भगवान को भी प्रसाद के रूप में इन्ही लड्डूओं को चढ़ाया जाता था. रिपोर्ट के आने के बाद तिरुपति मंदिर में प्रसाद के तौर पर दिए जाने लड्डू को लेकर आंध्र प्रदेश में सियासी तूफान उठ खड़ा हुआ है.

मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने वाईएस जगन मोहन रेड्डी को घेरते हुए आरोप लगाया कि पिछली वाईएसआरसीपी (YSRCP) सरकार ने तिरुमला में तिरुपति लड्डू प्रसादम तैयार करने के लिए घी की जगह जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल किया. यह प्रसाद भगवान वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में आने वाले करोड़ों भक्‍तों को दिया जाता है. CM चन्द्रबाबू नायडू ने आरोप लगाते हुए कहा था कि तिरुमाला के लड्डू भी घटिया सामग्री से बनाए गए थे.

अमरावती में NDA विधायक दल की बैठक को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने यह भी कहा था कि लड्डू तैयार करने के लिए अब शुद्ध घी का इस्तेमाल किया जा रहा है और मंदिर में हर चीज को सैनिटाइज किया गया है. इससे गुणवत्ता में सुधार हुआ है. आंध्र प्रदेश के IT मंत्री नारा लोकेश ने X पर चंद्रबाबू नायडू की टिप्पणी को शेयर करते हुए इस मुद्दे पर जगन मोहन रेड्डी पर निशाना साधा और कहा कि वाईएसआरसीपी सरकार भक्तों की धार्मिक भावनाओं का सम्मान नहीं कर सकती. नारा लोकेश ने लिखा, ‘तिरुमाला में भगवान वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर हमारा सबसे पवित्र मंदिर है. मैं यह जानकर हैरान हूं कि जगन प्रशासन ने तिरुपति प्रसादम में घी की जगह जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल किया. जगन और वाईएसआरसीपी सरकार पर शर्म आती है, जो करोड़ों भक्तों की धार्मिक भावनाओं का सम्मान नहीं कर सके.

CM के आरोपों के बाद आंध्र प्रदेश में सियासी तूफान खड़ा हो गया है.

इन आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए आंध्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी (एपीसीसी) की अध्यक्ष वाईएस शर्मिला ने X पर लिखा कि चंद्रबाबू नायडू को एक हाई-लेवल कमेटी बनानी चाहिए और CBI को सच्चाई का पता लगाने देना चाहिए.

वही, वाईएसआरसीपी के राज्यसभा सांसद वाईवी सुब्बा रेड्डी ने भी विवाद पर प्रतिक्रिया व्यक्त की और कहा कि नायडू राजनीतिक लाभ के लिए किसी भी स्तर तक गिर सकते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि ऐसा करके मुख्यमंत्री ने दिव्य मंदिर तिरुमाला की पवित्रता और करोड़ों हिंदुओं की आस्था को ठेस पहुंचाया है.

कमीशन की लालच में आस्था से खिलवाड़ :

तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम को लड्डू बनाने के लिए हर दिन 15 किलो घी की आवश्यकता होती है. लेकिन कमीशन के चक्कर मे सस्ती व घटिया घी कंपनियों ने 320 की कीमत पर घटिया घी सप्लाई किया. इसका असर लड्डुओं की गुणवत्ता पर हुआ. पूर्व ईओ धर्मा रेड्डी ने नियमों को ताख पर रख लालच में दूसरी कंपनियों से एग्रीमेंट किया. उन्होंने अपने करीबियों को इसका टेंडर दिया. एक किलो घी कीमत 400 से लेकर 1000 रुपए तक होती है. कुछ कंपनियां तो सिर्फ 320 रुपए की कीमत पर सामने आईं. इन कंपनियों की बिना जांच किए एग्रीमेंट किए गए.

लड्डुओं के गुणवत्ता सुधार के लिए कमिटी गठित

गुणवत्ता में सुधार के लिए कमेटी का गठन किया गया. इस कमिटि में पूर्व प्रमुख वैज्ञानिक डेयरी विशेषज्ञ, NDRI, बैंगलोर डॉ. डी. सुरेंद्रनाथ, हैदराबाद के डेयरी विशेषज्ञ विजयभास्कर रेड्डी, IIUM बैंगलोर प्रोफेसर बी. माधवन, तेलंगाना पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय प्रोफेसर डॉ. स्वर्णलता शामिल हैं

समिति ने कहा :

  1. समिति ने कहा कि 120 डिग्री सेल्सियस तक गर्म करें.
  2. यदि परीक्षण किसी वैज्ञानिक प्रयोगशाला में किया जाता है और स्कोर 7 से 9 अंकों के रिकॉर्ड हो तो ध्यान देना आवश्यक है.
  3. 800 किलोमीटर के दायरे में आने वाली डेयरियों से ही घी खरीदा जाए.
  4. उन कंपनियां टेंडर के लायक समझा जाए जो गाय के गुणवत्ता वाले घी की उत्पादन और आपूर्ति करने की तकनीकी क्षमता रखती हों.
  5. यह भी जानना जरूरी है कि कंपनियां दूध कहां से खरीद रही हैं. समय-समय पर फील्ड पर जाकर गुणवत्ता की जांच हो और रिपोर्ट भी दी जाए.
  6. टेंडर देने वाली कंपनियां यदि कीमत कम रख रही हैं तो पूरे विवरण के साथ हफलनामा लिया जाना चाहिए कि वे ऐसा क्यों कर रही हैं.

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