इन हथियारों ने दिलाई थी पाकिस्तानियों के कब्जे से हमारी कारगिल चोटियों को आजादी




कारगिल विजय दिवस पर विशेष

आज यानी 26 जुलाई 2023 को विजय दिवस मनाया जाता है. करगिल युद्ध पर भारत की जीत का जश्न. नापाक पाकिस्तानी घुसपैठियों का मुंहतोड़ जवाब दिया हमारे सैनिकों ने. उनके कब्जे की चोटियों से जब उनके खून की धार बहकर पाकिस्तान की तरफ गई तो उनके आकाओं की रूह कांप गई. उस समय भारतीय सेनाओं ने जिस तरह के हथियारों का इस्तेमाल किया, वो किस तरह के थे. क्या थी उनकी ताकत?

इंसास राइफल… जो जवान सामने जाकर लड़ दुश्मनों से लोहा ले रहे थे उनके पास ये राइफल थी. इंडियन स्माल आर्म्स सिस्टम या लाइट मशीन गन कहते हैं. भारत के पास ऐसी 9 लाख से ज्यादा बंदूकें हैं. इसकी रेंज 700 मीटर होती है. इसमें दो तरह की मैगजीन लगती है. 20 और 30 राउंड की. दो तरह से फायरिंग होती है. सेमी-ऑटो या ऑटो मोड. एक मिनट में 600 से 650 राउंड फायर कर सकती है. गोली की गति 915 मीटर प्रति सेकेंड होती है.

सैफ कार्बाइन – इंग्लैंड में बनी. दुनिया भर में कई युद्धों में इस्तेमाल हो चुकी है. इसे स्टर्लिंग सबमशीन गन भी कहते हैं. वजन करीब 2.7 किलोग्राम होता है. 27 इंच लंबी होती है. इसमें 9×19 मिलिमीटर पैराबेलम गोलियां लगती है. 550 राउंड प्रतिमिनट की दर से फायरिंग करती है. अधिकतम रेंज 200 मीटर होती है. 34 राउंड की बॉक्स मैगजीन लगती है.

एके -47 असॉल्ट राइफल– एके का पूरा नाम एवतोमैत कलाश्निकोव है. पूरी तरह से ऑटोमैटिक सेंटिंग के अंदर 600 राउंड गोली फायर कर सकता है. इसमें 7.62×39 एमएम की गोलियां भरी जाती हैं. सेमी-ऑटो मोड में 40 राउंड प्रति मिनट और बर्स्ट मोड में 100 राउंड प्रति मिनट निकलती है. इसकी रेंज 350 मीटर है. गोली 715 मीटर प्रति मिनट की गति से आगे बढ़ती है. तीन तरह मैगजीन- 20 राउंड, 30 राउंड की और 75 राउंड की ड्रम मैगजीन.

ग्रैनेड लॉन्चर- भारत के पास करगिल युद्ध के समय के दो तरह के ग्रैनेड लॉन्चर थे. पहला अंडर बैरल और दूसरा मल्टी ग्रैनेड लॉन्चर. दोनों ही 40 मिलिमीटर के ग्रैनेड लॉन्च करते हैं. अंडर बैरल को मशीन गन, असॉल्ट राइफल के नीचे लगाया जा सकता है. यह एक मिनट में 5 से 7 ग्रैनेड दाग सकता है. रेंज 400 मीटर है.

बोफोर्स एफएच -77बी फील्ड हॉवित्जर– भारत के पास कुल 410 बोफोर्स तोप हैं. जिन्हें 2035 तक धनुष हॉवित्जर से बदल दिया जाएगा. इस तोप का गोला 24 किलोमीटर तक जाता है. यह 9 सेकेंड में 4 राउंड फायर करता है. कारगिल युद्ध के समय इसी तोप के गोलों ने हिमालय की चोटियों पर बैठे पाकिस्तानी दुश्मनों को मार गिराया था. अब भारत के पास इससे बेहतर धनुष हॉवित्जर है.

मिराज 2000 फाइटर जेट- करगिल युद्ध हो या बालाकोट पर हमला. ये ही था. यह 2336 किलोमीटर प्रतिघंटा की गति से उड़ता है. इसकी रेंज 1550 किलोमीटर है. अधिकतम 55,970 फीट तक जा सकता है. इसमें 30 एमएम के दो रिवॉल्वर कैनन लगे हैं. ये हर मिनट 125 राउंड फायर करते हैं. कुल 9 हार्ड प्वाइंट्स होते हैं. यानी इतनी मिसाइलें, रॉकेट या बम का मिश्रण लगा सकते हैं. इसके अलावा 68 एमएम के मात्रा अनगाइडेड रॉकेट पॉड्स लगे होते हैं. हर पॉड्स में 18 रॉकेट होते हैं.

मिग -29 फाइटर जेट… पूरा नाम मिकोयान मिग-29. इसे एक ही पायलट उड़ाता है. 56.10 फीट लंबे फाइटर जेट में दो इंजन होते हैं. जो इसे ताकत देते हैं. इंटरनल फ्यूल कैपेसिटी 3500 किलोग्राम होती है. अधिकतम स्पीड 2450किमी प्रतिघंटा है. एक बार में 1430 किमीकी दूरी तक जा सकता है. मिग-29 फाइटर जेट में 7 हार्डप्वाइंट होते हैं. यानी सात अलग-अलग तरह के बम, रॉकेट और मिसाइल लगाए जा सकते हैं. इसके अलावा इसमें एक 30 एमएम का ऑटोकैनन लगा होता है.

मिग-27 फाइटर जेट -एक ही पायलट उड़ाता है. अधिकतम स्पीड 1885 किलोमीटर प्रतिघंटा होती है. कॉम्बैट रेंज 780 किलोमीटर है. 46 हजार फीट की ऊंचाई तक जा सकता है. इसमें एक रोटनी कैनन और एक ऑटोकैनन लगा होता है. इसके अलावा सात हार्डप्वाइंट्स हैं. जिसमें चार तरह के रॉकेट्स, तीन तरह के मिसाइलें और सात तरह के बम लगाए जा सकते हैं. या फिर इनका मिश्रण बनाया जा सकता है.

लेजर गाइडेड बम-इजरायल के मदद से मिराज फाइटर जेट्स को लेजर गाइडेड बमों से लैस किया गया था. ये बम टारगेट को खुद ट्रैक करते हैं. वह इंफ्रारेड स्पेक्ट्रम या लेजर प्वाइंट के जरिए सीधा हमला कर सकते हैं. जहां लेजर पड़ा वहीं पर ये बम जाकर भारी तबाही करते हैं. पाकिस्तानियों के कब्जे वाले चोटियों पर इन बमों ने भारी तबाही मचाई थी.

एमआई -8 हेलिकॉप्टर- 2017 इन हेलिकॉप्टरों के सेवामुक्त कर दिया गया. लेकिन करगिल युद्ध में इन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. इसमें तीन पायलट बैठते थे. यह 24 यात्रियों या 12 स्ट्रेचर या 1400 किलोग्राम वजन ढो सकता था. अधिकतम 250 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से उड़ता था. इसकी रेंज 495 किलोमीटर थी. इसमें छह हार्डप्वाइंट्स थे. जिसमें रॉकेट्स, एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल, बम या मशीन गन लगा सकते थे.

एमआई -17 हेलिकॉप्टर- अब भी भारतीय वायुसेना इस्तेमाल करती है. तीन पायलट मिलकर उड़ाते हैं. यह 24 यात्रियों या 12 स्ट्रेचर या 1400 किलोग्राम वजन ढो सकता है. अधिकतम गति 280 किलोमीटर प्रतिघंटा है. 800 किलोमीटर की रेंज है. अधिकतम 20 हजार फीट की ऊंचाई तक जा सकता है. छह हार्डप्वाइंट्स हैं. जिस पर रॉकेट्स, एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल, बम या मशीन गन लगा सकते थे.

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By pnc

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