तहक़ीक़ात : एक खोज
राजीव रंजन की नई पुस्तक
आकाश के सूरज ने धरती पर दस्तक दे दी है. लेकिन, अम्बा की प्रमिला को अब भी घर के दरवाज़े पर सूरज के आहट का इंतज़ार है. सूरज प्रमिला का बेटा है. और, अम्बा उसका गांव है. वह पलामू में ड्राइवर का काम करता है. अमूमन सप्ताह में एक बार अपने गांव आ जाने वाला सूरज जब दो सप्ताह बाद भी गांव नहीं आता है. तब उसका परिवार परेशान हो जाता है. उनके माथे पर चिंता की लकीरें छह महीने में काफी बड़ी हो जाती है. परिवार के पास पलामू में सूरज के ठौर ठिकाने का पता नहीं होने से वे थाने की शरण लेते हैं. थाने में गुमशुदगी की रपट तो दर्ज़ हो जाती है. पर उसकी तलाश के नाम पर थाने से उन्हें कोरे आश्वासन के सिवा कुछा नहीं मिलता.
बेबस और कमजोर परिवार किसी की सलाह पर बड़ी आस से सीबीआई को एक पत्र लिखता है. सीबीआई निदेशक डी एन गौतम पत्र पढ़कर मामले को गंभीरता से लेते हैं. वे अपने एक खास अधिकारी तथागत को अनौपचारिक रूप से इस मामले की जांच करने को कहते हैं. जिस समय तथागत को यह केस दिया जाता है, उस समय वह हैदराबाद में वर्धा चिट फंड घोटाले की जांच कर रहा होता है. वह सूरज की खोज शुरू करता है. शुरुआती दिनों में उसका हाथ खाली रहता है. एक दिन एक सुराग उसके हाथ लगता है. उस सुराग के आधार पर वह अपनी तफ़्तीश को आगे बढ़ाता है. उस दरमियान तथागत कई ऐसे हैरतअंगेज घटनाओं से रूबरू होता है, जिसके बारे में उसने कल्पना भी नहीं की थी.
लेखक की कलम से
चंद बातें आपसे
सही कहा जाता है कि हर कहानी के पीछे एक कहानी होती है. दो कहानी लिखने के बाद मैं तीसरी कहानी का थीम ढूंढ रहा था. अचानक से मेरी काल्पनिक दुनिया में एक अद्भुत थीम ने जन्म लिया. इसके बारे में मैंने अपनी पत्नी और बच्चों को बताया, तो उन लोगों ने कहा कि थीम तो अच्छी है. कहानी का थीम था ‘एक शख़्स थाने में आकर ये कहता है कि मेरी हत्या हो गयी है. जिस पर पुलिस वाले कहते हैं कि जब तुम्हारी हत्या हो गयी है तब तुम ज़िंदा कैसे हो.’ इस थीम को जब मैंने विस्तार दिया तब आपको शायद यकीन न हो कि मेरे रोंगटे खड़े हो गए थे. इसी थीम पर मैंने कहानी गढ़ना शुरू किया. सूरज के परिवार में मां, पत्नी और बच्चे हैं. तथागत एक युवा सीबीआई अधिकारी है, जो लापता सूरज की खोज करने निकलता है. सीबीआई डायरेकटर डी एन गौतम का चरित्र काफी रोचक है. वे तथागत के मन की बात को पहले से ही भांप लेते हैं. कहानी काफी दिलचस्प है. तथागत सूरज को ढूंढ पाया या नहीं? सूरज को ढूंढने में उसके सामने क्या क्या चुनौतियां आई? ये सब जानने के लिए आपको मेरी कहानी ‘तहक़ीक़ात: एक खोज’ पढ़ना होगा.
रवीन्द्र भारती