‘कोड वर्ड’ लिखे जाने से पहले उसका डिकोड किया गया
‘डिकोड: एक अज्ञात सन्देश का रहस्य’
रवीन्द्र भारती
आईबी को एक कोड मिलता है। उस कोड को डिकोड करने की ज़िम्मेवारी आईबी के तेज तर्रार अधिकारी संजय भटनागर को दी जाती है। संजय उस समय नॉर्थ ईस्ट में एक खास मिशन पर होता है. उसे जानकारी मिलती है कि उस क्षेत्र में आतंकवादियों के द्वारा गोला बारूद इकठ्ठा किया जा रहा है. इधर, कोड को डिकोड करने के दरमियान उसकी मुलाक़ात संजना माथुर से होती है, जो कि पेशे से एक डॉक्टर है. संजना पर एक मॉल में ब्लास्ट करने का आरोप लगता है. उसे गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया जाता है. संजय को ये यक़ीन होता है कि संजना निर्दोष है. संजय का साथी राज,जो कि पेशे से वकील है. वह संजना का केस लड़ता है. और, अदालत में उसे बेगुनाह साबित करता है. अपनी तफ़्तीश में संजय ये पाता है कि संजना को मॉल ब्लास्ट में फंसाया गया था. फंसाने वाले की असलियत जब ज़ाहिर होती है तब उसे ये जानकारी होती है कि कोड का वह भी एक हिस्सा है. कोड को जब वह पूरी तरह से डिकोड करता है तब वह पाता है कि दुश्मनों की योजना एक साथ कई घातक घटनाओं को अंजाम देना है.
राजीव रंजन ने क्या कहा –
पहली कहानी ‘तपोभूमि’ लिखने के बाद दूसरी कहानी लिखने का विचार आया। सोचने लगा कि ‘कोड’ थीम पर कहानी लिखी जाए। एक ऐसा कोड जिसे डिकोड करने की ज़िम्मेवारी आईबी की होती है. अब इसमें सवाल ये था कि ‘कोड वर्ड’ होगा क्या. इस पर गहरा मंथन हुआ. जिसके बाद यह तथ्य निकलकर सामने आया कि ‘कोड वर्ड’ का निर्माण तभी हो सकता है जब घटनाओं के बारे में विचार किया जाये. निःसंदेह घटनाओं का ज़िक्र व्यापक होगा. और, जब उसे समेटा जाएगा तब एक ‘कोड वर्ड’ का निर्माण होगा. मतलब ये हुआ कि ‘कोड वर्ड’ लिखे जाने से पहले उसका डिकोड किया गया. अगर ‘डिकोड’ नहीं किया जाता तो मेरे लिए ‘कोड वर्ड’ लिखना मुश्किल था. इसलिए मैंने पहले डिकोड को परिभाषित किया, फिर मैंने उसे आधार बनाकर ‘कोड वर्ड का निर्माण किया. अब कोड क्या था और और उसे डिकोड कैसे किया गया, इसके लिए आपको मेरी कहानी ‘डिकोड: एक अज्ञात सन्देश का रहस्य’ पढ़ना होगा.
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