संवैधानिक मूल्यों की शपथ लेने वाला पुलिस महकमा है बदनाम : श्याम सुन्दर




पत्रकार श्याम किशोर की कलम से

जब मैं मुंह खोलता हूं तो सामंती चरित्र के जुल्मी लोग के साथ ही पुलिस मुझमे नक्सल नेटवर्क ढूंढ़ना शुरू कर देती है. मेरे खिलाफ साजिश शुरू हो जाती है. वर्ष 2015 से अबतक के सियासी सफर में 10 झूठे मुकदमे झेल रहा हूं. तीन बार की जेल यात्रा के बावजूद ना तो डरा हूं. ना झूका हूं. परिस्थितिवश मौन जरूर था. अन्याय के खिलाफ लड़ने की ताकत गोहवासियों ने मुझे दिया है. इसे बरकरार रखूंगा.  मेरे दोस्त, राजनीतिक सत्ता बदलने के बाद भी अगर प्रशासनिक व्यवस्था जनविरोधी ही बनी रहे तो फिर राजनीतिक परिवर्तन का कोई मतलब नहीं रह जाता.

बहरहाल, मैं जो फोटो शेयर कर रहा हूं वह गोह थानाक्षेत्र के इब्राहिमपुर गांव निवासी 30 वर्षीय रवींद्र यादव का है. 30 नवंबर की देर शाम करीब आठ बजे गोह स्थित ब्लाॅक परिसर से पूरब अपने किराये के मकान में रवींद्र यादव सपरिवार बैठे है. शाम के करीब आठ बजे गोह पुलिस आई. खिड़की तोड़ते हुए मकान में प्रवेश की. खटिया पर बैठी नन्हमुंही बच्ची तो बाल-बाल बच गई. लेकिन रवींद्र यादव को देखते ही पुलिस लाठियों से पीटना शुरू कर दिया. लाठी की मार के जख्म (निशान) रवींद्र के शरीर पर देखा जा सकता है.

एक 15 वर्षीय बच्ची पर भी पुलिस ने हाथ छोड़ा है. यह कहां का कानून है? पुलिस की मार की ये दरिंदगी क्या मानवता को शर्मसार नहीं करती? ऐसे पुलिसकर्मी से क्या संवैधानिक मूल्यों की शपथ लेने वाला पुलिस महकता बदनाम नहीं होता? क्या ऐसे जुर्म के खिलाफ भी मौन रहा जा सकता है? जिस नन्हमुंही बच्ची के सामने पिता को पुलिस डंडों से मारे, उस बच्ची की मनोदशा क्या होगी? इस बाबत जल्द ही जिले के वरीय पुलिस अधिकारियों से मिलूंगा और हालात से अवगत कराऊंगा. मानवता को शर्मसार करने वाले ऐसे पुलिसकर्मियों पर विधि-सम्मत कार्रवाई होनी चाहिये.

PNCDESK

By pnc

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