जातिवाद, क्षेत्रवाद आदि से ऊपर उठ कर राष्ट्रवाद की मिलती है प्रखर प्रेरणा
जहाँ वैदिक परम्परा का पालन वहीं पूरे समाज का विकास, परस्पर प्रेम और सौहार्द दिखता
भारतीय जनसंघ के 73वें स्थापना दिवस पर आरा में कार्यक्रम
भारतीय जनसंघ के 73 वें स्थापना-दिवस पर आरा के फ्रेण्ड्स कॉलोनी स्थित कार्यालय में जिला कार्यसमिति की विशेष बैठक आयोजित हुई, जिसकी अध्यक्षता जिला उपाध्यक्ष विश्वनाथ दूबे ने की. इस अवसर पर मुख्य-वक्ता के रूप में बोलते हुए अखिल भारतीय जनसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष आचार्य डॉ. भारतभूषण पाण्डेय ने कहा कि अपने स्थापना काल से ही जनसंघ देश में राष्ट्रवाद, लोकतंत्र और राजनीतिक शुचिता के लिए प्रतिबद्ध रहा है.
संस्थापक अध्यक्ष डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी ने देश की एकता-अखण्डता के लिए कश्मीर में अपने प्राणों का उत्सर्ग कर दिया. उन्होंने अपने बलिदान से जातिवाद, क्षेत्रवाद आदि से ऊपर उठ कर राष्ट्रवाद की प्रखर प्रेरणा दी. महामनीषी पं. दीनदयाल उपाध्याय ने वैचारिक धरातल पर मानववाद तथा शुचिता को राजनीति का अलंकार प्रदान किया और प्रो. बलराज मधोक ने देशभक्ति व दृढ़ सिद्धान्त निष्ठा का उज्ज्वल आदर्श स्थापित किया है.
आचार्य पाण्डेय ने कहा कि आज भी हमारे कार्यकर्ता देश के विभिन्न भागों में राष्ट्रवाद, लोकतंत्र और राजनीतिक शुचिता के लिए संघर्षरत हैं. उन्होंने कहा कि वैचारिक विरोध का स्वागत और परस्पर संवाद लोकतंत्र का आभूषण है. वैचारिक स्वतंत्रता ही स्वतंत्रता का वास्तविक रूप है. जनसंघ अध्यक्ष ने कहा कि हिन्दुत्व इस देश का प्राण है और हिन्दुत्व का प्राण वैदिक-पौराणिक आर्ष परम्परा है. भारत को भारत के रूप में बनाये रखने के लिए जागरूक और संगठित हिन्दू समाज की आवश्यकता है जिसे सत्ता-सुविधावादी, परिवारवादी नेता विभिन्न जातियों-पंथों के नाम पर बाँट कर तहस-नहस कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि सबसे अधिक सुधारक हिन्दुओं में ही हुए हैं किन्तु जहाँ वैदिक परम्परा का पालन होता है वहीं पूरे समाज का विकास , परस्पर प्रेम और सौहार्द दिखाई देता है. विजयादशमी के दिन दिल्ली में जिस प्रकार हमारी श्रद्धा-आस्था और आराध्य पर प्रहार किया गया वैसा अन्य मतावलंबियों के साथ करने का साहस किसी सुधारक और क्रांतिकारी में नहीं दिखता. ऐसे तत्त्व संगठित समाज के सामने दुम दबाकर भाग खड़े होते हैं.
जनसंघ अध्यक्ष ने ईरान में हिजाब का विरोध कर रही महिलाओं के दमन का विरोध किया और लोकतान्त्रिक विश्व में इस प्रकार के मानवाधिकार हनन की निन्दा की. उन्होंने विश्व समुदाय से ईरान की महिलाओं के साथ-साथ पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान के हिन्दू-सिक्ख अल्पसंख्याकों की सुरक्षा के लिए आगे आने का अनुरोध किया. कश्मीर घाटी में हो रही ‘टार्गेट किलिंग’ की भर्त्स्ना करते हुए जनसंघ अध्यक्ष ने सभी राजनीतिक और मानवाधिकारवादी लोगों से निर्दोष व निरीह लोगों की हत्याओं पर एकजूट होने की अपील की.
कार्यक्रम का संचालन डॉ. सत्यनारायण उपाध्याय, स्वागत भाषण शिवदास सिंह तथा धन्यवाद ज्ञापन सत्येन्द्र नारायण सिंह (अधिवक्ता) ने किया. इस अवसर पर नर्मदेश्वर उपाध्याय, अमरनाथ तिवारी, सुरेन्द्र कुमार मिश्र, सियाराम दूबे, ब्रजकिशोर पाण्डेय, निलेश कुमार मिश्र, धनुरंजन,सुनील कुमार गुप्ता समेत कार्यसमिति के प्रमुख सदस्य उपस्थित थे.