माहवारी समस्या पर ग्रामीण महिलाओं से खुलकर कर रही हैं

आरा,6 जून. माहवारी एक ऐसी समस्या है जो प्राकृतिक रूप से सभी महिलाओं के लिए समान रूप से लागू है. या यूँ कहें कि इससे कोई महिलाएं अछुती नही है फिर भी माहवारी के दिनों में होने वाली पीड़ा, दर्द, मानसिक परेशानी और शारीरिक परेशानियों पर कोई बातचीत खुल कर नही करता है. इस बात पर बाहरी तो दूर घर के सदस्य भी खुल कर बात करने से, अपनी समस्या बताने में हिचकिचाते हैं. ऐसे संवेदनशील और महिला शरीर की पीड़ा को आगे बढ़कर कुछ सालों से उनका हमदर्द बन मिल रही है शहर की एक स्वयंसेवी संस्था विनम्रता फाउंडेशन. समय-समय पर महिलाओं, बच्चों, गरीबों और कला के विभिन्न आयामों के संरक्षण से लेकर वर्त्तमान मुद्दों व समस्याओं पर खुल कर सामने से बात करने को तैयार रहती है यह संस्था.




माहवारी न होना या देर से आरंभ होना, कुछ लड़कियों को सोलह वर्ष की उम्र तक मासिक धर्म नहीं होना, कम आयु में ही कुछ लड़कियों में माहवारी का जल्दी आना, कभी-कभी तो केवल 9-10 साल की उम्र में ही आना जैसी कई समस्याएं होती हैं. ऐसी समस्याओं पर खुलकर बात करने और उसके प्रति जागरूकता के उद्देश्य से पिछले कुछ दिनों से विनम्रता फाउंडेशन की ओर से महिलाओं के स्वास्थ्य से संबंधित एक कैंपेन चलाया जा रहा है. यह कैंपेन ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं के बीच तो चल ही रह है, सोशल मीडिया पर भी #BFF यानि #bleedfreefriend जैसे हैशटैग से चलाया जा रहा है, जिसमें उनको स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहने से लेकर महावारी की स्वच्छता तक के लिए फाउंडेशन से जुड़ी सदस्य जागरूक कर रही हैं.

जागरूकता अभियान के अंतर्गत पिछले दिनों संस्था ने संदेश प्रखंड के उत्क्रमित मध्य विद्यालय, बारा गांव में कक्षा से 6 से 8 की लड़कियों के बीच महावारी का परिचय, उसकी जटिल समस्याएं एवं निदान ऊपर जमकर बातचीत की. बच्चों के साथ उनकी माताओं ने भी इस अभियान में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और अपने अनुभव को संस्था की महिलाओं के साथ साझा किया. जागरूकता अभियान में माहवारी से संबंधित स्वच्छता, व्यायाम के तरीके खानपान पर विशेष देखरेख एवं किस प्रकार के पैड का इस्तेमाल इन सब चीजों पर जानकारी दी गई.

संस्था की वरिष्ठ सदस्य सदस्य ममता सिन्हा ने बच्चियों को माहवारी के समय अधिक से अधिक साफ-सफाई रखने, उचित खानपान पर जोर देते हुए उन्हें निडर और बेबाक रहने की सलाह दी. सदस्या मृदुला सिन्हा ने लड़कियों को स्कूल में छुट्टी ना मारने, अधिक से अधिक व्यायाम करने और अपनी समस्याओं को अपने घर की महिलाओं से साझा करने की बात पर जोर दिया. उन्होंने यह कहा कि कि यह एक नियमित प्रक्रिया है जिससे संसार की हर एक युवती गुजरती है इससे डरने की अथवा इसमें संकोच करने की कोई आवश्यकता नहीं है. किसी तरीके की परेशानी के लिए अपनी माताओं से या अपनी बड़ी बहनों से सुझाव लेना अत्यंत आवश्यक है.

साक्षी मोनी ने माहवारी के समय होने वाले अनियमितताओं पर विशेष बल देते हुए बच्चियों को यह सूचित किया और उन्हें इस बात के लिए जागरूक किया कि कभी-कभी अनियमितताएं भी आती हैं जिन्हें नजरअंदाज करना परेशानी का सबब बन सकता है. अतः अगर माहवारी में अनियमितताएं होती हैं तो उस पर ध्यान देकर अपने खानपान पर विशेष ध्यान देना है. दाल,हरी सब्जियां, साग, केला, दूध आदि का सेवन कर वे अपनी माहवारी की अनियमितताओं को ठीक कर सकते है. यदि अगर फिर भी इसमें परेशानी हो तो डॉक्टर से सलाह लेना अत्यंत आवश्यक हो जाता है.

फाउंडेशन की सबसे एक्टिव सदस्या व जागरूक नागरिक का दायित्व निभाने वाली खुशबू स्पृहा ने बच्चियों को व्यायाम व योगासन के अलग-अलग आसन दिखाएं जिनसे बच्चियां अपने दर्द को या एंठन को कम कर सकती हैं. साथ ही यह भी बताया की दर्द में मीठा खाने, चॉकलेट आदि खाकर भी अपने मूड को अच्छा किया जा सकता है. उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि इस समय में आराम करना अत्यंत आवश्यक है और यदि आपका मन चिड़चिड़ा तो अपनी बातों को अपने साथ के लोगों के साथ साझा करना अत्यंत आवश्यक होता है.

इस अभियान में लगभग 40 बच्चियां एवं उनकी माताओं ने भाग लिया और वह इस बातचीत से बेहद खुश और ऊर्जावान दिखाई दी. उन्होंने अपने अनुभव को साझा करते हुए कहा कि हमें इस तरीके से जानकारी अभी तक नहीं मिली थी और यह बहुत ही लाभप्रद है जिसे हम अपने दोस्तों और अपने बहनों के बीच में में भी बाटेंगी. संस्था ने बच्चियों को एक सेनेटरी पैड, एक रबर बैंड और एक चॉकलेट देकर उनको प्रोत्साहित किया. कार्यक्रम में शकुंतला देवी, सुधीर कुमार, वेद प्रकाश सामवेदी, उत्कर्ष सिन्हा संस्कार कृष्ण, निर्लिप्त गौड़ माधुरी देवी, रचना, कुसुम, आशा,रीता आदि लोग वहां उपस्थित रहे.

आरा से ओ पी पांडेय की रिपोर्ट

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