भोजपुर के चित्रकार संजीव ने रचा इतिहास, बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड
आरा,4 अप्रैल. मनुष्य एक कल्पनाशील प्राणी है. हर दिन नित नए प्रयासों में कार्यरत रहता है. तभी तो छोटे – छोटे प्रयास बड़ी शहरो में हर दिन होते हैं जिनमे कई गुम हो जाते हैं तो कई को पहचान मिल जाती है.छोटे शहरों में भी ये छोटे प्रयास अपने आयाम को स्थापित करने में निरंतर कार्यशील हैं लेकिन ये छोटे प्रयास कभी इतने बड़े हो जाते हैं कि उनकी विशालता पर खुद बनाने वाले को यकीन नही हो पाता है. ऐसा ही छोटा प्रयास भोजपुर के लाल चित्रकार संजीव सिन्हा ने किया जो अब दुनिया के लिए सबसे बड़े कार्य के रूप में इतिहास में दर्ज हो गया है.
जी हां ये आश्चर्य की बात सिर्फ चित्रकार संजीव के लिए ही नही बल्कि भोजपुर जिले के लिए भी है. भोजपुर के लिए ये गर्व का पल कि उसके जिले के एक लाल ने दुनिया का सबसे बड़ा चरखा बना डाला है.
कैसे बना यह कीर्तिमान?
दरअसल पिछले साल संजीव सिन्हा ने भोजपुर में गांधी कार्यक्रम का आयोजन किया था जो लगभग एक महीने तक विभिन्न कार्यक्रमों के आयोजन के साथ चला था. पिछले साल बापू के भोजपुर आगमन की 100वी वर्षगांठ थी जिसके उपलक्ष्य में एक महीने तक का कार्यक्रम सर्जना न्यास की ओर से किया गया था. इस आयोजन में बापू से जुड़े तमाम जगहों को लोगों के जेहन में फिर से याद जगाने की कोशिश की गई थी. वो चाहे भोजपुरी लोककला के माध्यम से हो या फिर किसी और माध्यम से. इस आयोजन में ही बापू से जुड़े याडवाड़ा चरखे का विशाल रूप बनाया गया था. जिसपर भोजपुरी चित्रकला का अंकन भी किया गया था. चरखा का पहिया 24फीट, मोटाई 8फीट था. इस चरखे को कही भी आसानी से खोल कर ले जाया जा सकता है. खोलने पर इसकी ऊंचाई 9 इंच और बंद करने पर 18 इंच है. इस चरखे को बनाने में संजीव सिन्हा को 15 दिन की कड़ी मेहनत लगी थी. उनके इस मेहनत का फल तब सार्थक हुआ जब वर्ल्डज ग्रेटेस्ट रिकॉर्ड ने उन्हें विश्व के सबसे बड़ा चरखा बनाने का प्रमाण पत्र जारी किया.
यह कीर्तिमान वर्ल्डज ग्रेटेस्ट रिकॉर्ड ने अपने रिकॉर्ड में संचित कर लिया है और इसके लिए सर्जना और संजीव सिन्हा को धन्यवाद भी दिया है. इस चरखे की सबसे खास बात है कि इसको खोल कर कहीं भी आसानी से ले जाया जा सकता है. छोटे से शहर के इस चित्रकार ने जो वर्ल्ड रिकॉर्ड बना कर भोजपुर जिले का नाम दुनिया के पटल पर लहराया है उसके लिए जिला के कई संस्थानों और बुद्धिजीवियों से लेकर दोस्तों और परिवार वालों का बधाई देने का तांता लगा हुआ है. संजीव को पटना नाउ की ओर से भी उनकी इस सफलता पर बधाई.
आरा से ओ पी पांडेय की रिपोर्ट