काला नमक चावल की सुगंध विदेशों तक पहुंची

By pnc Nov 22, 2023 #kala namak #masaudhi





भगवान बुद्ध का महाप्रसाद काला नमक चावल सेहत के लिए भी है फायदेमंद
चावल की खुशबू कई देशों तक पहुंची

काला नमक चावल को विश्व स्तर पर पहचान दिलाने के लिए सरकार ने दिया जीआई टैग

एंथासाईमीन एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं, जो हृदय रोग, चर्म रोग और ब्लड से संबंधित बीमारियों करते हैं दूर

पटना: चावल के कई प्रकार होते हैं लेकिन, इन दिनों बाजारों में काला नमक चावल की मांग बढ़ती जा रही है. काला नमक चावल स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद है, जिसे देखते हुए अब बिहार के किसान भी जोर-शोर से इसकी खेती कर रहे हैं. पटना के मसौढ़ी में काला नमक धान की फसल अब लहलहाने लगी है, जिसकी खुशबू हर ओर फैल रही है. बता दें कि काला नमक चावल, भगवान बुद्ध के महाप्रसाद के रूप में भी जाना जाता है.काला नमक चावल नाम रखने का कारण: दरअसल काले रंग की भूसी की वजह से इसका नाम काला नमक चावल पड़ा. इसके महत्व का अंदाजा इसी से लग जाता है कि यह चावल सीधे भगवान बुद्ध से जुड़ा है. काला नमक चावल को विश्व स्तर पर पहचान दिलाने के लिए सरकार ने इसे जीआई टैग दिया है. इसके सेवन से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है.


भगवान बुद्ध से जुड़ा है चावल का इतिहास: कहते हैं कि बौद्ध गया में ज्ञान प्राप्ति के बाद महात्मा बुद्ध शाक्य गणराज कपिलवस्तु लौट रहे थे. वह रास्ते में मौजूद सिद्धार्थनगर जिले के बाड़ा गांव में रूके, अगले रोज जब उन्हें जाना था तो महात्मा बुद्ध ने गांव के कुछ किसानों को अपनी झोली से मुट्ठी भर धान दिया.ऐसे शुरू हुई चावल की खेती: भगवान बुद्ध ने धान देकर ग्रामीणों से कहा कि इसे खेतों में लगा दो, इसकी खुशबू हमेशा हमारी याद दिलाती रहेगी. उसके बाद से ही काला नमक धान की खेती का सिलसिला शुरू हो गया और काला नमक चावल को बुद्ध का महाप्रसाद का नाम मिला. आज यह काला नमक चावल विभिन्न देशों में सिद्धार्थनगर की मिट्टी की खुशबू बिखेर रहा है.

बहरहाल पटना के ग्रामीण इलाकों में भी यह खुशबू बिखरने लगी है. यहां के किसान आत्मनिर्भर हो रहे हैं. इसको लेकर मसौढी थाना क्षेत्र के महादेवपुर गांव के किसान ने बताया कि 5 बिघे में खेती की शुरुआत की है. इसके अलावा सभी किसानों को इसके प्रति जागरूक कर रहे हैं. किसान ने बताया कि काला नमक धान के पौधे आंधी पानी में नहीं गिरते हैं. इसमें एंथासाईमीन एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं, जो हृदय रोग, चर्म रोग और ब्लड से संबंधित बीमारियों को दूर भगाते हैं. सेहत के लिहाज से बेहद फायदेमंद है, काला नमक चावल विश्व पटल पर एक नई पहचान दे रहा है.

इस चावल का इतिहास लगभग 27 सौ साल पुराना है. इसका जिक्र चीनी यात्री ह्वेनसांग के यात्रा वृतांत में भी मिलता है. गौतम बुद्ध से जुड़ाव की वजह से इसकी खुशबू बौद्ध धर्म के अनुयायी देशों जापान, म्यांमार, श्रीलंका, थाइलैंड और भूटान सहित अन्य देशों तक पहुंच गई है. ब्रिटिश हुकूमत के दौरान लॉर्ड विलियम पेपे और बर्ड ने जिले में भी नील की खेती को खत्म कर काला नमक धान की खेती की शुरू कराई थी.

जिलेके अभिषेक सिंह कालानमक चावल की सप्लाई सिंगापुर, हांगकांग, और बैंकाक में कर रहे हैं. बकौल अभिषेक, वहां से कई बौद्धिष्ट मुल्कों चीन, थाईलैंड आदि में इसकी सप्लाई हो रही है। यूएई से भी बात हो चुकी है जल्द ही वहां की सीधी आपूर्ति शुरू होने की उम्मीद है. कभी-कभी ऐसी स्थिति बन जाती है कि आर्डर के अनुसार सप्लाई नहीं हो पाती है। अब उत्पादन बढ़ा है तो दिक्कत भी खत्म हो जाएगी.कालानमक चावल अमेजन और फ्लि पकार्ट सरीखे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर भी बुद्धा राइस, बुद्धा बायसन आदि नाम से आसानी से उपलब्ध है. खुलेबाजार मेंजहां इसकी कीमत 110 से 120 रुपये प्रति किलो है वहीं ऑनलाइन प्लेटफॉर्मपर 160 रुपये के आसपास है,

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