राष्ट्रपति चुनाव के बहाने सीएम नीतीश को अच्छा वक्त मिल गया है मामले को लंबा खींचने का. सूत्रों के मुताबिक, लालू के ताजा स्टैंड से नीतीश असहज हो गए हैं. अब वे कोई ना कोई जरिया ढूंढ रहे हैं जिससे ये मामला भी खत्म हो जाए और सरकार गिरने की नौबत भी ना आए.
इन सबके बीच, राष्ट्रपति चुनाव के लिए दो गुटों में बंटे महागठबंधन के घटक दलों ने रविवार को पटना में अपने- अपने विधायक दल की बैठक बुलाई. जाहिर तौर पर विधायक दल की बैठक का मुद्दा राष्ट्रपति चुनाव में वोटिंग ही था. राजद-कांग्रेस ने जहां विधायक दल की संयुक्त बैठक एक निजी होटल में की, वहीं जदयू ने एक अणे मार्ग में अपने विधायकों की बैठक की. इधर NDA विधायक दल की बैठक सुशील मोदी के आवास पर हुई.
राजद-कांग्रेस की बैठक में लालू ने अपने विधायकों को कड़े लहजे में चेतावनी देते हुए कहा कि जिसका वोट गड़बड़ हुआ उसका पत्ता अगली बार विधायकी से साफ हो जाएगा. बता दें कि राजद और कांग्रेस मीरा कुमार को सपोर्ट कर रहे हैं जबकि जदयू ने NDA प्रत्याशी रामनाथ कोविंद को समर्थन दिया है. राष्ट्रपति चुनाव को लेकर बुलाई गई इस बैठक में तेजस्वी के मामले पर भी चर्चा हुई. राजद विधायकों ने एक स्वर में दोहराया कि डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव इस्तीफा नहीं देंगे, चाहे परिणाम जो हो.
इधर जदयू की बैठक में इस मामले पर पार्टी विधायकों की एक राय थी. जदयू विधायकों ने कहा कि तेजस्वी को इस्तीफा दे देना चाहिए. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की छवि ही उनकी पहचान है. उद्योग मंत्री जय सिंह ने कहा कि वे पहले ही अपनी राय इस मामले में दे चुके हैं. अब फैसला सीएम के हाथ में है. उनका जो भी निर्णय होगा, सबको मान्य होगा.
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि पहले जदयू ने जो दबाव राजद पर बनाया था तेजस्वी के इस्तीफे को लेकर, उसके बाद लालू की प्रतिक्रिया से जदयू के होश उड़े हुए हैं. खासकर नीतीश इस मामले में बुरी तरह फंस चुके हैं. उन्हें उम्मीद थी कि महागठबंधन बचाने के लिए लालू पहल करेंगे और तेजस्वी से इस्तीफा दिलवाकर उनकी लाज रख लेंगे.
लेकिन रांची से लौटने के बाद लालू यादव के पलटवार ने उन्हें असहज कर दिया है. CM नीतीश अब अगर तेजस्वी को बर्खास्त करते हैं तो राजद को इसका पोलिटिकल माइलेज मिलना तय है. क्योंकि इस मामले को भुनाने में लालू कोई कसर बाकी नहीं छोड़ेंगे. ऐसे में अब नीतीश इस मामले को लंबा खींच रहे हैं ताकि कांग्रेस किसी तरह बीच-बचाव करके मामला सलटा दे. संयोग से इस बीच राष्ट्रपति चुनाव आ गया और मामला लंबा खींच ही गया.
सूत्रों के मुताबिक, शरद यादव की सोनिया से मुलाकात और जदयू प्रवक्ताओं के सधे हुए स्वर इशारा कर रहे हैं कि नीतीश अब बैकफुट पर हैं और किसी तरह सरकार बचाने की जुगत लगा रहे हैं. इसलिए फिलहाल बिहार के इस सियासी घमासान का नतीजा सिफर रहने की संभावना ही ज्यादा नजर आ रही है.