राजद, जदयू और कांग्रेस के महागठबंधन को बरकरार रखने की कोशिशें जारी है. मंगलवार को बिहार कैबिनेट की मीटिंग में डिप्टी सीएम तेजस्वी के पहुंचते ही कई कयासों पर लगाम लग गया. कैबिनेट की बैठक करीब 1 घंटे चली और इसमें 18 एजेंडों पर मुहर लगी. लेकिन खबर ये नहीं है. खबर तो दरअसल यहां है- कैबिनेट की मीटिंग के बाद जैसे ही सीएम नीतीश बाहर निकले और अपने चैंबर में गए, उनके पीछे-पीछे तेजस्वी और तेजप्रताप भी उनके चैंबर में पहुंच गए. इनके साथ शिक्षा मंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अशोक चौधरी भी पहुंच गए. ये सब इतनी तेजी से हुआ जैसे सब कुछ पहले से सेट हो.
करीब पांच मिनट के बाद ही अशोक चौधरी सीएम के चैंबर से बाहर निकल गए. इसके कुछ देर के बाद तेज प्रताप भी वहां से निकल गए. इसके बाद मुख्यमंत्री और उप-मुख्यमंत्री के बीच लगभग चालीस मिनट तक बातचीत चली.
करीबी सूत्रों के मुताबिक, CBI की FIR के बाद विवादों में घिरे तेजस्वी यादव के सामने अपनी परेशानी बयां की और सफाई भी दी. तेजस्वी ने कहा कि डिप्टी सीएम और कई विभागों का कार्यभार संभालने के बाद उनपर कोई आरोप नहीं लगा है. ऐसे में किसी पुराने आरोप को लेकर इस्तीफा देने की बात कहां से आ गई. जानकारी के मुताबिक, तेजस्वी से सीएम से सलाह भी मांगी कि उन्हें क्या करना चाहिए.
इसके बाद सीएम ने साफ किया कि उनसे इस्तीफा तो किसी ने नहीं मांगा. उन से सिर्फ इतना कहा गया कि लोगों के सामने अपनी स्थिति स्पष्ट करें और सीबीआई की एफआईआर पर सफाई दें. इस दौरान नीतीश कुमार ने उन्हें ये भी स्पष्ट कर दिया कि भ्रष्टाचार को लेकर वे कोई समझौता नहीं कर सकते इसलिए उन्हें अपनी स्थिति जल्द से जल्द स्पष्ट कर देनी चाहिए.
इसके बाद तेजस्वी सीएम के कमरे से बाहर निकले बिना किसी से बात किए निकल गए. लेकिन डिप्टी सीएम के चेहरे का तनाव साफ झलक रहा था.
हालांकि इन सबके बीच इतना तो तय है कि महागठबंधन सरकार को कोई खतरा नहीं है. खुद नीतीश भी नहीं चाहते कि सरकार गिरे या फिर राजद से उनके रिश्ते फिलहाल खराब हों. क्योंकि बीजेपी के साथ जाने की फिलहाल उनके पास कोई ठोस वजह नहीं है. उन्हें तो बस वक्त-बेवक्त बीजेपी के बहाने राजद को दबाव में रखना है. और प्रेशर पॉलिटिक्स के साथ सरकार चलाते रहना है.
आपते बता दें कि patnanow ने अपनी एक्सक्लूसिव रिपोर्ट में पहले ही खुलासा किया था कि सरकार को कोई खतरा नहीं है.