कालिदास रंगालय में मंचित हुआ नाटक’तीसवीं शताब्दी’
दूसरे विश्व युद्ध के दौरान हिरोशिमा और नागासाकी पर हुए हमले के कौन जिम्मेदार था? जिसने परमाणु बम के सिद्धांत की खोज की, वो पाइलट जिसने विमान से बम गिराया था या फिर वो महिला जो नागासाकी तक बम लेकर गई थी.कुछ इन्हीं तरह के सवालों को उठाने वाले बादल सरकार लिखित नाटक ‘तीसवीं शताब्दी’ का मंचन कालिदास रंगालय में हुआ. जिसमें कलाकारों ने युद्ध के खिलाफ और विश्व शांति का संदेश देने के साथ अपनी प्रतिभा से लोगों को रूबरू कराया. प्रस्तुति नार्थ कोलकाता मिथिला जागृति संघ की थी. इस कार्यक्रम का आयोजन सांस्कृतिक संगठन अक्स पटना ने किया है.
नाटक का मुख्य पात्र शरत चौधरी तीसवीं शताब्दी के लोगों और विशेष कर हिरोशिमा- नागासाकी परमाणु विस्फोट में शामिल लोगों को कॉल करता है. परमाणु बम के सिद्धांत की खोज करने वाले प्रो. अल्बर्ट आईस्टाइन, मेजर टॉमस फेरेबी- उस विमान के पायलट जिससे हिरोशिमा पर बम गिराया गया था, मिसेज इथरली- मेजर क्लॉड इथरली की पत्नी जो नागासकी तक परमाणु बम लेकर गए थे और बाद में पागल हो गए थे. इन गवाहों की गवाही और उनसे पूछे जाने वाले सवालों से विनाश के पीछे की कहानी परत दर परत खुलती जाती है और तब सामने आता है कि विनाश करने वाले और उसे भोगने वाले दोनों एक जैसे इंसान थे. लेकिन इंसानों को हांकने की प्रवृति और शक्ति के मद ने इस घटना को अंजाम दिया. नाटक की परिकल्पना और निर्देशन अहमद जमाल ने किया.नाटक का हिंदी रुपान्तरण रामगोपाल बजाज ने किया है.
नाटक की प्रमुख भूमिकाओं में शरत –सत्यजीत केशरी, साधन अंशुमन,वाणी/ इथ्रली –युरेका किम,फैरेबी –अमितकुमार.येनेमन कावागुची –रानु,मासुदा –सुधीर कमल,आइन्स्टीन –रानु ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की.मीडिया प्रभारी मनीष महिवाल ने इस आशय की जानकारी देते हुए बताया कि नार्थ कोलकाता मिथिला जागृति संघ की इस प्रस्तुति को लोगों ने पसंद किया. कार्यक्रम का संचालन अर्चना सोनी ने किया . मंच सज्जा और व्यवस्था संजय बीरबल ,रविराज की थी वहीँ रूप और वेश भूषा संजय और मो सद्द्न की थी. प्रस्तुति नियंत्रक और ध्वनि संचालन अमित और उपेन्द्र कुमार की थी .इस नाटक के सायक निर्देशक थे कृष्णा कुमार झा .