वित्तरहित शिक्षकों की अनिश्चितकालीन हड़ताल
पाँच सूत्री माँगों के साथ डटे रहेंगे सभी शिक्षक
आरा में वित्तरहित शिक्षक संघ ने अपनी पांच सूत्री मांगों को लेकर परीक्षा की कॉपी मूल्यांकन का सामूहिक रूप से बहिष्कार कर दिया. कई शिक्षक सेंटर पर गए ही नहीं और जो नौकरी के डर से गए उन्हें शिक्षकों के झुण्ड ने वापस विदा करा दिया या फिर आंदोलन में शामिल कर लिया. सरकार की अनदेखी के कारण शिक्षको का आर्थिक तंगी से बुरा हाल है जिसे लेकर पूरे जिले के शिक्षक शुक्रवार को सड़क पर उतर गए. शिक्षकों ने जिला स्कूल में कॉपी जाँचने पहुंचे शिक्षकों को काम ठप करा कर एस बी कॉलेज की ओर चले गए. गेट पर पहले से मौजूद पुलिस ने हालांकि मोर्चा संभाल रखा था, लेकिन उनकी एक न चली. हो-हल्ला और नारों के बीच एडीएम की गाड़ी जैसे ही पहुँची उसके साथ ही शिक्षकों का झुण्ड गेट के अंदर पहुँच वहां भी कॉपी चेक कर रहे शिक्षकों को अपने साथ मिला लिया.
शिक्षकों का नेतृत्व कर रहे पनवारी कॉलेज के प्राचार्य और शिक्षक संघ के प्रवक्ता अजय कुमार सिंह उर्फ़ अजय नेता ने कहा कि हमारा आंदोलन तबतक जारी रहेगा जबतक की सरकार मांगे नहीं पूरा करती हैं. वही कुँवर सिंह कॉलेज के प्राचार्य राजेंद्र ओझा ने कहा कि समान वेतन सभी के लिए सर्जर लागू करे साथ ही पांच सालों से बकाया इंटर कॉलेजों की राशि का भी शिक्षकों का शीघ्र भुगतान करे सरकार. वहीँ रामानन्द तिवारी कॉलेज की शिक्षिका डॉ भारती शर्मा ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार शिक्षकों के श्रमदान पर कोई ध्यान नहीं दे रही है. जबतक सरकार ध्यान नहीं देगी हम कॉपी मूल्यांकन का बहिष्कार इसी तरह से करेंगे.
क्या है पाँच माँगे?
- समान वेतनमान लागू हो
- शिक्षकों का रिटायरमेंट 65 वर्ष में हो
- पांच वर्ष से बकाया शिक्षकों का भुगतान हो
- 2012 और 2013 के आवंटित राशि पर लगे रोक हटे
- नए शिक्षकों की बहाली
बता दें कि 5 साल से सरकार द्वारा शिक्षकों के बकाया राशि का भुगतान न करने से शिक्षक आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं, जिसे लेकर उन्होंने बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के सचिव को पत्र लिखा है. शिक्षक संघ के महासचिव राजनारायण सिंह ने पाँच सूत्री मांगों को अपने पत्र में जगह दी है. जिसपर कार्यकारी अध्यक्ष राय श्रीपाल सिंह ने भी मुहर लगाई है. 11 मार्च को लिखे इस पत्र में 15 से आंदोलन की धमकी दी गयी थी. इसके बाद भी सरकार ने सुध नहीं ली जिससे शिक्षकों को सड़क पर उतरना पड़ा.
आरा से ओपी पांडे