जंगली और ‘जंगली चाय दुकान’ की दास्तान
‘चायवाला’ जो बन गया स्वच्छता मिशन के लिए मिसाल
Patna now Special
आरा,10 जनवरी. चर्चित होने के लिए दुनिया मे लोग तरह-तरह के अजीबोगरीब कार्य करते हैं बावजूद इसके वह चर्चित होने के बजाय हंसी के पात्र बन जाते हैं. लेकिन कुछ ऐसे लोग होते हैं जो सच्चे मन से अपनी थोड़ी सहभागिता से लोगों की आंखों का तारा बन जाते हैं. ऐसे लोगों को चर्चित होने से ज्यादा उस अभियान या कार्य में अपनी थोड़ी भागीदारी से ही आत्मिक सन्तुष्टि मिलती है. लेकिन जब इस थोड़ी सी भागीदारी में उसका यह कार्य अद्भुत बन जाए तो चर्चाएं तो लाजमी है. कुछ ऐसा ही किया है भोजपुर जिले के के गड़हनी प्रखंड का गड़हनी निवासी जंगली प्रसाद गुप्ता ने. साधारण कद-काठी और चेहरे पर हमेशा मुस्कान का धनी जंगली ने अपने छोटे से प्रयास से बड़ा कारनामा कर दिया है जो स्वच्छता अभियान के लिए एक मिसाल बन गया है.
आइए जानते हैं या फिर जंगली ने जंगली ने ऐसा क्या किया कि उसकी चर्चाएं सरेआम हैं! जंगली प्रसाद गुप्ता गड़हनी बाजार पर एक छोटी चाय की दुकान चलाता है. एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाला जंगली नन मैट्रिक है. मैट्रिक की परीक्षा तो उसने दी मगर पास नहीं कर पाया. परिवार की आर्थिक स्थिति सही नहीं थी इसलिए आगे फिर पढ़ भी नहीं सका. लगभग 10 वर्ष पूर्व उसके पिता स्व श्याम बिहारी गुप्ता दुनिया को विदा कर गए. पिता के जाने के बाद परिवार के भरण के लिए उसे चाय की दुकान खोलनी पड़ी. चाय की दुकान खोल उसने अपने अच्छी चाय की वजह से ग्राहकों की एक लंबी कतार बटोरी. इसी बीच उसके गांव के रहने वाले वाले अविनाश कुमार राव एक दिन उसकी दुकान पर चाय पीने आये.
अविनाश को महीनों बाद देखने के बाद वह हाल-चाल पूछने लगा. अविनाश ने उसे बताया कुछ महीनों से लोहिया स्वच्छ बिहार अभियान,गोपालगंज में राज्य साधन सेवी के रुप में वह कार्यरत है. स्वच्छता अभियान की बातें और लोगों की कई कहानियों को सुनकर जंगली ने भी इस अभियान में अपनी सहभागिता देने की बात कही, लेकिन चाय की दुकान की दुकान के कारण असमर्थ था. तभी बातों ही बातों में अविनाश ने कहा कि तुम दुकान चलाते हुए अपना योगदान दे सकते हो. तुम चाहो तो स्वच्छता अभियान के संदेशों को अपने दुकान पर लगाकर लोगों को प्रेरित कर सकते हो. जो भी चाय पीने आएगा इन संदेशो को बार-बार देखने से प्रेरणा जगेगी. फिर क्या था जंगली को यह बात समझ में आ गई और उसने अगले दिन ही कई तख्तियां अपनी दुकान पर लटका दी. कहानी में ट्वीस्ट तो इन तख्तियों को लगाने के बाद आयी. दरअसल तख्तियों पर जो लिखा हुआ था- “जो लोग बाहर शौच करते हैं कृपया मेरी दुकान पर चाय न पीयें.” तख्तियां दुकान में लटकी क्या की दुकान पर आने वाले भड़क गए.
भड़कना लाजिमी भी था क्योंकि उसे पढ़ने के बाद खुले में शौच करने वाला खुद ही लज्जित हो जाता और चाय पिये बगैर चला जाता. दो-तीन दिनों तक उसकी दुकान पर आने वाले ग्राहक उसकी इतनी खिंचाई कर ताने दिए कि सीधा-साधा गाँव के इंसान ने मानसिक पीड़ा में आकर 2 दिन अपनी दुकान बंद कर दी.
लेकिन उसके बाद फिर से उसने दुकान खोली. निर्णय किया कि तख्तियां नहीं हटाऊंगा. यहाँ तक कि जंगली दुकान पर आए हुए लोगों से रह-रह कर पूछ भी डालता कि आप खुले में शौच तो नहीं करते है? उसने एक तरह से अपनी दुकानदारी की बाजी लगा दी थी. दरअसल विरोध करने वालों में वे लोग थे जो खुले में शौच करते थे. लेकिन बार-बार चाय की दुकान पर आते और उस पर लटके बोर्ड का सामना करते हुए उन्हें खुद पर शर्म आने लगी और उनका व्यवहार परिवर्तित हो गया. धीरे-धीरे लोगों का विरोध कम हुआ और उसे लोग इस कार्य के लिए सराहना करने लगे. अब उसकी दुकान “जंगली चाय दुकान” पर इन तख्तियों को देखने के लिए लोगों का ताँता लगा रहता है. आनेवाला हर शख्स उससे यही पूछता है कि यह आइडिया उसे कहां से आया?
इस सवाल पर वह बड़ी सहजता से कहता है कि ये मेरा आइडिया नही अविनाश भईया का है. जंगली कहता है कि चाय की दुकान के कारण मैं इस अभियान खुलकर शामिल नहीं हो पाया तो लगा कि अविनाश भैया की तख्तियों को लटकाने वाला आईडिया तो कर ही सकता हूँ, सो कर दिया. वह कहता है कि मैंने कभी नहीं सोचा था कि इन तख्तियों की वजह से लोग मुझे इतनी शाबाशी देंगे. मैने तो बस अपनी छोटी सी सहयोग इस अभियान के लिए दी थी. वह यह भी कहता है कि जबतक हमसब अपने समाज और गाँव को स्वच्छ नही रखेंगे स्वच्छता अभियान सफल नही हो सकता. सभी को मिलकर इस अभियान में हाथ बढ़ाना चाहिए.
चाय दुकानदार की इस अनोखी पहल से प्रभावित होकर फ़ीडबैक फाउंडेशन के डिविजनल कॉर्डिनेटर विजय कुमार, ने “जंगली चाय दुकान” पर आकर चाय पीया और दुकानदार के हौसला बढ़ाया. उन्होंने कहा कि अगर देश के सभी नागरिक ऐसे सोच रखने लगे तो हमारा देश जल्द ही खुले में शौच से मुक्त हो जाएगा.
मौके विजय कुमार अविनाश राव,पवन, विनय सिंह,गायक राजा भोजपुरिया, गोलू तूफान सहित अन्य लोग भी उपस्थित हुए. चर्चा का यह आलम है कि स्वच्छता अभियान के लिए “जंगली” एक मिसाल बन गया है. उसकी यह छोटी प्रयास एक बड़ी सफलता की कहानी बन चुकी है.
आरा से ओ पी पांडेय व अपूर्वा की रिपोर्ट
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