बिहार सरस मेला अपने धरोहरों को बचाने एवं उन्हें पुनर्जीवित करने में बड़ा प्लेटफार्म
22 राज्यों की स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलायें राजधानी पटना में
सूट, साड़ी , दुपट्टा, कुर्ती मैटेरियल , चादर, तकिया कवर, सोफे कवर की विशेष मांग
रविवार का दिन बिहार सरस मेला के लिए खास रहा.अपनी संस्कृति, शिल्प, लोक कला , परंपरा एवं देशी स्वाद से रूबरू होने के लिए लोग पधारें.मेला के पांचवे दिन रविवार को तीस हजार से ज्यादा लोग आये.ग्रामीण शिल्प ,संस्कृति एवं लोक कला और देशी व्यंजनों के प्रति लोगों को आकर्षण इस बात का प्रमाण है कि लोग अपने पूरानी संस्कृति एवं परंपरा की ओर लौट रहे हैं.लिहाजा बिहार सरस मेला अपने धरोहरों को बचाने एवं उन्हें पुनर्जीवित करने में बड़ा प्लेटफार्म और माध्यम बना है. बिहार सरस मेला बिहार ग्रामीण जीविकोपार्जन समिति (जीविका ) द्वारा 20 सितम्बर से 27 सितम्बर 2023 तक आयोजित है. बिहार सरस मेला में बिहार समेत 22 राज्यों की स्वयं सहायता समूह से जुडी महिलायें अपने हुनर को लेकर 131 स्टॉल्स पर उपस्थित हैं.
बिहार के सभी अड़तीस जिलों से स्वयं सहायता समूह से जुडी ग्रामीण महिलाएं अपने-अपने क्षेत्र की संस्कृति, लोक कला, कलाकृतियाँ एवं देशी व्यंजनों को लेकर उपस्थित हैं.सिक्किम,झारखण्ड,उत्तरप्रदेश, आँध्रप्रदेश,हरियाणा,छत्तीसगढ़,मेघालय,उत्तराखंड,पंजाब,असम,कर्नाटक, केरल ,पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र,गुजरात, उड़िसा, मध्य प्रदेश, तेलंगाना,राजस्थान,जम्मू-कश्मीर एवं तमिलनाडु से के स्टॉल सुसज्जित हैं.जहाँ स्टॉल धारक के साथ ही आगंतुक भी एक दुसरे के शिल्प और स्वाद से परिचित हो रहे हैं.चार दिनों में लगभग 92 लाख रुपये के उत्पादों एवं व्यंजनों की खरीद – बिक्री हुई है.बिहार सरस मेला के चौथे दिन 23 सितम्बर को साढ़े 35 लाख रुपये के उत्पादों एवं व्यंजनों की खरीद-बिक्री हुई है.
आयोजन के चौथे दिन लगभग 17 हजार 700 लोग आये. सरस मेला में सुसज्जित सभी स्टॉल पर उपलब्ध शिल्प, कलाकृतियाँ , लोक कला एवं देशी व्यंजनों की बड़े पैमाने पर खरीद-बिक्री हो रही है.कई स्टॉल ऐसे हैं जहाँ प्रतिदिन 40 से 50 हजार रुपये से ज्यादा के उत्पादों एवं व्यंजनों की खरीद-बिक्री हो रही है.शनिवार को ओड़िसा के कटक जिला अंतर्गत बक्सी बाज़ार से आई हाजी अली स्वयं सहायता समूह की सदस्य आलिया बेगम ने अपने स्टॉल से एक लाख रुपये से ज्यादा के परिधानों की बिक्री की.उनके स्टॉल से कॉटन, सिल्क एवं चंदेरी से बनी हुई सूट, साडी, दुपट्टा, कुर्ती मैटेरियल , चादर, तकिया कवर, सोफे कवर , आदि की बिक्री हो रही है.सरस मेला में कैशलेश खरीददारी की व्यवस्था है.
परियोजना महुआ राय चौधरी ने बताया कि विभिन्न स्टॉल्स पर उपस्थित ग्रामीण परिवेश से बाहर निकलकर राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने वाली जीविका दीदियाँ बिहार में महिला सशक्तिकरण एवं स्वावलंबन की झलक प्रदर्शित कर रही हैं.उन्ही महिलाओं में से एक हैं सावित्री देवी.सावत्री देवी मधुबनी के झंझारपुर प्रखंड से आई हैं.सावित्री भगवती जीविका महिला स्वयं सहायता समूह की सदस्य हैं.सावित्री सिक्की से बने हुए चूड़ी, झुमका, स्टिक, रोटी डब्बा, पेन स्टैंड, टिशु बाक्स , मछली, कछुआ , कॉस्टल जैसे उत्पादों को प्रदर्शनी सह बिक्री कर रही हैं.सावित्री वर्ष 2014 से ही सरस मेला में खुद के द्वारा सिक्की से बनाये गए उत्पादों को लेकर आती हैं.इसके साथ ही राष्ट्रीय स्तर पर देश के अन्य राज्यों में लगने शिल्प मेला में भी जाती हैं.सावित्री बताई हैं कि जीविका से जुड़ने के बाद उनके हुनर को बड़ा बाज़ार और पहचान मिली है.पहले उनका हुनर घर तक ही सिमित था लेकिन जीविका से जुड़ने के बाद सिक्की से बने शिल्प एवं कलाकृतियों को अंतरष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली है.
रवीन्द्र भारती,पटना