कहाँ थे? कहाँ आ गए हम? – हम थे आरा में : गुंजन सिन्हा

साहित्य सेवा के लिए यह जीवनदानी अपना गाँव-घर परिवार सब छोड़, आरा में रहता रहा और कई दशकों…