पटना (राजेश तिवारी की रिपोर्ट) | महान शिक्षाविद् और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के संस्थापक सर सैयद अहमद खान के 201वीं जयंती समारोह मनाया गया. इस मौके पर आरफा खानम शेरवानी ने कहा कि अभी मिनिमम जर्नलिज्म हो रही है, जबकि पूरी होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि मेरे पत्रकारिता जीवन को संवारने में एएमयू की अहम भूमिका रही है. बिहार की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि बिहार ने हमेशा से दिशा दी है. बिहार सच के लिए जाना जाता है. बिहार की जमीन हमें अपने पैरों पर खड़ा होना सिखाता है. आरफा खानम शेरवानी ने कहा कि जहां तक मुसलमानों की बात है तो तस्वीर अच्छी नहीं है. देखा जाए तो मुस्लिम सियासत बदल गयी है. मुसलमानों को साथ लेकर नहीं बल्कि उनके खिलाफ लेकर चलने की राजनीति हो रही है. अगर मुसलमानों को रैली करनी है तो लोकतंत्र को बचाने के लिए पहल होनी चाहिए. लोकतंत्र को हमें समझना होगा और इसके बचाव के लिए आगे आना होगा. आज मुस्लिम सहमी हुई नस्ल है और वह परेशान है. उन्होंने कहा कि शिक्षा और आजादी हमें चाहिए. उन्होंने कहा कि मुस्लिम महिलाओं की स्थिति भी बदतर है. इन्हें आगे लाना होगा. उन्होंने कहा कि आपसे शिक्षा, आजादी एवं नौकरी छीनी जा रही है और हम मुसलमान दीन बचाव की बात कारते हैं. आरफा खानम शेरवानी ने कहा कि इस मुल्क की 95 प्रतिशत लोग मुसलमान के खिलाफ नहीं है. कुछ ही लोग है जो साजिश कर रहे है.
इस अवसर पर पारस अस्पताल के जाने माने सर्जन डा. ए ए हई ने कहा कि सर सैयद एक आंदोलन है एक संस्कृति है ऐसे महान व्यक्ति को भुलाया नहीं जा सकता. हालांकि आज एक और सर सैयद की जरूरत है.
इस अवसर पर पोस्टमास्टर जेनरल बिहार, एम ई हक ने कहा कि सर सैयद ने आधुनिक शिक्षा की जो पहल की आज भी उसका विरोध दिख जाता है. सर सैयद के बाद एक भी एएमयू के तर्ज पर कोई पहल नहीं दिखी.
पटना विश्वविद्यालय, अंगे्रजी विभाग के अध्यक्ष प्रो. शंकर दत्त ने कहा कि आज संस्कृति का अतिक्रमण हो रहा है और मुसलमानों को निशाना बनाया जा रहा है. इसे रोकने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि सर सैयद ने शिक्षा के मंदिर के निर्माण में काफी विरोध का सामना किया था लेकिन उनके अंदर एक जुनून था कि शिक्षा का एक ऐसा मंदिर बना जहां गंगा जमुनी संस्कृति कायम हो जो हुआ.
एएमयू छात्र संध के अध्यक्ष डा.एम ए उसमानी, एएमयू के ओल्ड ब्वायज एसोसिएशन, बिहार चैपटर के अध्यक्ष ई.आमीर हसन और महासचिव डा.अरशद एस हक ने सर सैयद के व्यक्त्तिव और कृत्तिव पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सर सैयद ने शिक्षा का मंदिर बना कर जो सपना देखा था वह जमीनी हकीकत में दिख तो रहा है जरूरत है इसे और व्यापक बनाया जाये.