पहले शहाबुद्दीन और अब राजबल्लभ यादव के बेल के मामले में नीतीश कुमार बेनकाब हो गए है.जिस तरह से सत्ताधारी दल के नेताओं को जेल से बाहर निकालने में वे मदद कर रहे है. पहले तो सरकार ने न्यायालय में मजबूती के साथ पक्ष नहीं रखा और अब दिखावे की कार्रवाई के तहत सुप्रीम कोर्ट में SLP दाखिल कर दिया. शराब बंदी के मामले में सरकार ने राजीव धवन जैसे वरिष्ठ अधिवक्ता को रखकर आग्रह कर 7 अक्टूबर का तारीख निर्धारित करवा लिया.परन्तु राजबल्लभ के मामले में लोगों को झांसा देने के लिए सरकार ने केवल कर के छोड़ दिया. ये बातें भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील मोदी ने कही . सुशील मोदी ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय दशहरा की छुट्टि के लिए 7 अक्टूबर से 17 अक्टूबर तक बंद रहेगा तब तक अभियुक्त को बाहर रहकर प्रभावित करने का मौका मिल जायेगा.
उन्होंने कहा कि राजबल्लभ यादव राजद विधायक जिस पर नाबालिक लड़की के साथ बलात्कार के पुख्ता प्रमाण के बावजूद राज्य सरकार की मिली भगत का परिणाम है कि उसे पटना हाई कोर्ट से जमानत मिल गयी.आश्यर्च है कि इस मामले के सह अभियुक्त पुष्पंजय कुमार जिस पर बलात्कार का आरोप नहीं है केवल पीड़ित को बोलेरो गाड़ी से ले जाने का आरोप है उसकी जमानत याचिका 20 अगस्त को रद्द कर दी गयी. इसके अतिरिक्त छोटी कुमारी,तुसी देवी, राधा देवी अन्य सह अभियुक्त को आज तक जमानत नहीं मिल सकी है.आश्चर्य की बात है कि सह अभियुक्तों को जमानत नहीं मिल पायी ,परन्तु मुख्य अभियुक्त को जमानत मिल गई .राज्य सरकार ने देश के अच्छे वकील को रखकर मजबूती के साथ इस तथ्य को न्यायालय के समक्ष क्यों नहीं रखा. गिरफ्तारी के आदेश के बाद तत्काल समर्पण करने के बजाय राजबल्लभ फरार हो गया. फोरेन्सिक जाँच टीम को उनके समर्थकों ने जाँच नहीं करने दिया और भीड़ इकट्ठा कर टीम को भगा दिया. कुर्की जब्ती के बावजूद राजबल्लभ यादव ने समर्पण नहीं किया. बलात्कार के 1 माह के बाद राजबल्लभ यादव ने सरेंडर किया. पीडि़त के परिवार और मेडिकल जाँच करने वाली डा0 कृष्णा को दबाब बनाकर मामले को प्रभावित करने का प्रयास किया गया.
सुशील मोदी ने कहा POSCO Act. में अभियुक्त को निर्दोष सिद्ध करना है क्योकि इस कानून में माना जाता है कि अभियुक्त दोषी है.नालंदा SP को SMS औरEmail के द्वारा धमकियां मिल रही थी. प्रशासन के मिली भगत का परिणाम है कि होली में जेल में रहते हुए उसने सभी बंदियों के लिए 2 दिनों तक भोज का आयोजन किया. केस के ट्रायल प्रतिदिन के आधार पर चल रहा है जिसमें पीडि़त से 2 दिनों तक जिरह कराया जा चुका है. एक बेंच में जब बेल वापस कर लिया गया तो सरकार दूसरे बेंच में सुनवाई के लिए क्यो तैयार हो गई ? चुंकि विधायक सत्ताधारी दल का अत्यन्त रसूक वाला, करोड़पति व्यक्ति है जिसे राजद का पूरा समर्थन प्राप्त है. इस व्यक्ति ने कभी कानून और न्यायिक प्रक्रिया का सम्मान नहीं किया और यह बाहर निकलकर पैसे के बल पर और सत्ताधारी दल के समर्थन के बदौलत मामले को प्रभावित कर सकता है.