सरकार के अड़ियल रवैए से लटकी शिक्षकों की ट्रांसफर- पोस्टिंग

पटना हाइकोर्ट ने ट्रांसफर प्रक्रिया पर रोक लगाई

सरकार ने ट्रांसफर प्रक्रिया स्थगित की




पटना।। शिक्षा विभाग के अड़ियल रवैए की वजह से शिक्षकों की ट्रांसफर-पोस्टिंग प्रक्रिया लटक गई है. पटना हाईकोर्ट ने मंगलवार को ट्रांसफर पोस्टिंग पर रोक लगा दी है. इधर हाईकोर्ट के स्टे के बाद अब बिहार सरकार ने आनन फानन में ट्रांसफर प्रक्रिया को स्थगित करने की घोषणा की. शिक्षा मंत्री सुनील कुमार ने कहा- ‘ट्रांसफर पॉलिसी को फिलहाल स्थगित किया गया है. उन्होंने कहा कि अब पांच बार सक्षमता परीक्षा लेने के बाद ही ट्रांसफर शुरू होगा. उन्होंने यह भी कहा कि ट्रांसफर पॉलिसी में संशोधन किया जाएगा. नए सिरे से ट्रांसफर नीति बनाई जाएगी.

बता दें कि औरंगाबाद के शिक्षक नीरज पांडेय सहित कुल 13 शिक्षकों की ओर से पॉलिसी का विरोध करते हुए 18 नवंबर को हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी जिस पर आज सुनवाई के दौरान कोर्ट ने फिलहाल स्टे लगाते हुए सरकार को स्थिति स्पष्ट करने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया है. मामले की अगली सुनवाई 21 जनवरी 2025 को होगी.

याचिकाकर्ता ने कोर्ट से कहा है कि ‘राज्य सरकार मनमाने ढंग से चॉइस ऑप्शन दे रही है. सरकार शिक्षकों को गुमराह कर रही है. नियम के तहत आवेदन नहीं लिया जा रहा है.’ दरअसल, महिला शिक्षकों के लिए पंचायत चॉइस का ऑप्शन दिया गया है, जबकि पुरुषों के लिए अनुमंडल का, जिसका विरोध हो रहा है. शिक्षक संघों ने सरकार से पॉलिसी में बदलाव की मांग की थी लेकिन सरकार अपने जिद पर अड़ी रही, इसके बाद शिक्षक कोर्ट चले गए. जब हाई कोर्ट ने पॉलिसी पर स्टे लगा दिया तो मजबूरी में सरकार को ट्रांसफर प्रक्रिया पर रोक लगानी पड़ी.

राजद ने सरकार पर बोला हमला

राजद प्रवक्ता चित्तरंजन गगन ने कहा है कि राज्य सरकार को शिक्षा और शिक्षक से भारी नफरत और घृणा है. यही वजह है कि चाहे वह शिक्षक बहाली का मामला हो, उन्हें राज्यकर्मी का दर्जा देने का मामला हो या उनके स्थानांतरण और पदस्थापन का मामला हो, सरकार उसे फंसाये और लटकाए रखने की मंशा से हीं नियमावली बनाती है. जबसे बिहार में एनडीए सरकार बनी तबसे यही होता आ रहा है. यदि तेजस्वी यादव को सत्रह महिने उपमुख्यमंत्री रहने का मौका नहीं मिला रहता तो अबतक शिक्षक बहाली को लेकर शिक्षक अभ्यर्थी आन्दोलन हीं करते रहते. हालांकि उस समय भी बहाली में बाधा उत्पन्न करने के लिए हीं मुख्यमंत्री के स्तर से डोमिसाइल हटाने का निर्णय लिया गया. बीपीएससी के चेयरमैन और शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव तत्कालीन शिक्षा मंत्री के निर्देशों को नजरंदाज करते हुए सीधे तौर पर मुख्यमंत्री सचिवालय से निर्देशित होते रहे और बहाली को फंसाने का प्रयास होता रहा पर तेजस्वी जी के दृढ़ संकल्प ने शिक्षकों की बहाली करने के लिए मुख्यमंत्री जी को मजबूर कर दिया. अब सरकार के सामने बाध्यता है कि बचे हुए पदों पर भी जल्द से जल्द शिक्षकों की बहाली करें. पिछले बहाली में जो अनियमितता की शिकायत आ रही है एसआईटी के द्वारा उसकी जांच कराकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए.

राजद नेता ने कहा कि वर्तमान सरकार ने नियोजित शिक्षकों के समक्ष स्थानांतरण नीति लाकर एकबार फिर नियोजित शिक्षकों को प्रताड़ित करने का काम कर रही है. पुरूष शिक्षकों को 10 अनुमंडलों का विकल्प दिया है जो अव्यवहारिक और अमानवीय है.नियोजित शिक्षक लगभग 20 वर्षों से कार्यरत हैं अब उनमें से अधिकांश शिक्षकों की सेवा 08-10 बची है उनके माँ बाप बुढ़े हो चुके हैं जिन्हें सहारा की अवश्यकता है. 10 अनुमंडलों के विकल्प से बुढ़े माँ बाप का सहारा छिना जा रहा है जो निंदनीय है.
राजद की यह मांग है कि पुरूष शिक्षकों को अपने गृह पंचायत को छोड़कर अगल बगल के पंचायत और महिला शिक्षकों को अपने गृह पंचायत के विधालयों में पदस्थापित किया जाए ताकि महिला शिक्षक अपने नैहर या ससुराल में शिक्षण कार्य कर सकें और अपने बच्चों का भरण पोषण कर सके.

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