नेशनल साइंटफिक रिसर्च एवं सोशल एनालिसिस ट्रस्ट की 7वीं वर्षगाँठ
अलग-अलग क्षेत्रो में बेहतर काम कर रहे भोजपुर के 19 विशिष्ट लोगों को ट्रस्ट ने दिया सृजन-सम्मान
आरा, 21 जनवरी. सोमवार को नेशनल साइंटिफिक रिसर्च एंड सोशल एनालिसिस ट्रस्ट की 7 वीं वर्षगांठ मठिया स्थित उसके कार्यालय में धूमधाम से मनाई गई, जिसमें एक कला प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया. इस कला प्रदर्शनी में राज्य के ख्याति प्राप्त कलाकारों की कलाकृतियां भी प्रदर्शन के लिए लगाई गई.
गैलरी में राज्य पुरस्कार प्राप्त सुशीला देवी (वरिष्ठ हस्तशिल्पी,कशीदा व एप्लिक) सहित कशीदा व एप्लिक में ही बेहतरीन काम करी युवा हस्तशिल्पी विभूति कुमारी, मुस्कान, मीरा गुप्ता, रिमझिम, और पार्वती कुमारी कुमारी के भी वर्क को गैलरी में जगह दी गयी. गैलरी में राष्ट्रीय स्तर तक पहचान बनाने वाले युवा चित्रकार की भोजपुरी लोककला पर आधारित पेंटिंगों को भी देखने को मिला साथ ही उनके कुछ अनोखे हस्तशिल्पों को भी इस गैलरी में देख सुखद अनुभव हुआ.
कला प्रदर्शनी में भोजपुरी पेंटिंग के अलावा एप्लिक वर्क और कशीदाकारी के अनोखे काम देखने के लिए शहर के बुद्धिजीवियों ने कार्यक्रम में शिरकत किया. कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य अतिथि के रूप में भोजपुर व बक्सर के एमएलसी राधाचरण शाह ने ने दीप प्रज्वलित कर किया.
उसके बाद उन्होंने वहां गैलरी में लगी कलाकृतियों और हस्त-शिल्प से बनी कलाकृतियों का भी अवलोकन किया और उसे सराहा. इस मौके पर शहर के लगभग डेढ़ दर्जन लोगों को उनके अपने क्षेत्र में लगातार बेहतर काम कर मुकाम बनाने वालों को ट्रस्ट ने सम्मानित किया. इस मौके पर सम्मानित होने वाले अतिथियों में भोजपुर व बक्सर की बाल कल्याण पदाधिकारी डॉ सुनीता सिंह ने कहा कि कला के संवर्धन करने में विगत 7 वर्षों में जो काम नेशनल साइंटिफिक रिसर्च एवं सोशल एनालिसिस ट्रस्ट ने किया है,उसका परिणाम आज कला गैलरी में देखने को मिल रहा है. उन्हें फक्र है कि भोजपुर के आंचल में कला फलीभूत हो रहा है. वहीं वरिष्ठ पत्रकार राजीव नयन अग्रवाल अग्रवाल ने कहा कि ट्रस्ट मे जिस प्रकार भोजपुरी कला की लगातार सेवा व उसके संवर्धन का प्रयास किया है वह काबिले तारीफ है. ट्रस्ट को वे शुरुआती दिनो से जानते हैं. इस बाजारवाद के दौर में भी कला के प्रति रुचि और लगातार सेवा ट्रस्ट की विशेषता है. मौके पर दैनिक भास्कर के भोजपुर ब्यूरो राकेश कुमार सिंह लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि यहां आने से पहले उन्हें उम्मीद नहीं थी कि इतनी अच्छी कलाकृतियां भोजपुरी कला में भी भी विद्यमान है. उन्होंने झारखंड की लोक कलाओं की चर्चा करते हुए कहा कि भोजपुरी कला उससे ज्यादा समृद्ध है लेकिन उन्होंने चिंता जताते हुए कहा कि कितने अच्छे कामों के बाद भी इनके लिए बाजार का ना मिलना बेहद दुःखद है. भोजपूरी कला के विकास के लिए सम्मिलित रूप से काम करने की जरूरत पर उन्होंने जोर दिया. वही इस मौके पर प्रोफेसर नीरज सिंह ने भी भी ने भी भी ट्रस्ट द्वारा लगाई गई कला प्रदर्शनी की भूरी-भूरी प्रशंसा करते हुए कहा कि वह आने वाले भविष्य में हमेशा ऐसी भविष्य में हमेशा ऐसी कला प्रदर्शनी और संस्थाओं के लिए तैयार मिलेंगे.
उन्होंने कशीदाकारी एप्लिक वर्क की कई कलाकृतियों को स्टॉल पर घूमकर सूक्ष्मता से देखा और उनके प्रति जिज्ञासा प्रगट करते हुए कहा कि हम सभी का दायित्व है कि ऐसे आकृतियों को अपने घरों में उपयोग करना और खरीदना चाहिए तभी कला घर-घर पहुंचेगी. यह कार्य इसके संरक्षण के साथ कलाकारों को भी आर्थिक रूप से मजबूत करेगा. ट्रस्ट के चेयरमैन श्याम कुमार ने कार्यक्रम का संचालन व आगत अतिथियों को धन्यवाद दिया. उन्होंने बताया कि संस्था द्वारा अब तक लगभग लगभग 9000 लोगों को एप्लिक वर्क,कशीदाकारी, ब्यूटीशियन और पेंटिंग की ट्रेनिंग दी जा चुकी है
विशिष्ट व्यक्तित्व सम्मान समारोह के अंतर्गत हस्तशिल्प, पत्रकारिता,शिक्षा,साहित्य,संगीत और रंगकर्म के क्षेत्र में उनके विशिष्ट योगदान हेतु अंगवस्त्र व सम्मान-पत्र देकर सम्मानित किया गया.
सम्मानित होने वाले विशिष्ट लोग:
पत्रकारिता :
सुशील कुमार सिंह -हिंदुस्तान( दैनिक पत्र )
शमशाद प्रेम -दैनिक जागरण
राकेश सिंह – दैनिक भास्कर
राजीव नयन अग्रवाल – टाइम्स ऑफ इंडिया
समीर अख़्तर – छायाकर – दैनिकभास्कर
राजीव मिश्रा – छायाकर – दैनिक जागरण
रंगकर्म :
राजू रंजन – रंगकर्म
संजय नाथ पाल और टीम – रंगकर्म
संजीव सिन्हा – चित्रकला
प्रो. नीरज सिंह – साहित्य व शिक्षा
सुशीला देवी – राज्य पुरस्कार प्राप्त
वरिष्ठ हस्तशिल्पी(कशीदा व एप्लिक)
विभूति कुमारी – युवा हस्तशिल्पी – (कशीदा व एप्लिक)
डॉक्टर सुनीता सिंह – महिला सशक्तिकरण व बाल विकास
शैलेश राय – सामाजिक कार्य
अमित सिंह – छात्र कल्याण व सामाजिक कार्य
वेद प्रकाश सागर – संगीत
ओ. पी. पांडेय – चलचित्र निर्माण
अखिलेश तिवारी – अभिनय (चलचित्र)
कला गैलरी का आकर्षण बनी चादर
ट्रस्ट की 7वीं वर्षगाँठ पर आयोजित कला गैलरी में वैसे तो पेंटिंग,पर्स, कुशन, तकिया खोल,जैकेट, आईना, चूड़ी, चूड़ी बॉक्स, टेबुल क्लॉथ समेत कई वस्तुएं थी लेकिन एप्लिक वर्क की हुई युवा विभूति कुमारी की एक चादर आकर्षण का केंद्र रही, जिसपर उसने अपनी कल्पना से भगवान बुद्ध को खूबसूरत अंदाज़ में बनाया था. पीपल के पेड़ के नीचे भगवान बुद्ध तो जीवंत दिखते ही थे पीपल के पत्ते लगते मानो अभी हिल पड़ेंगे. बताते चलें कि गोढना रोड की रहने वाली यह विभूति वो कलाकार है जो सुई धागा का नाम सुनकर ही चिढ़ जाती थी लेकिन आज इसकी पहचान इसी सुई-धागे ने दे दी है.
आरा से अपूर्वा व सत्य प्रकाश सिंह की रिपोर्ट