धरती की ओर तेजी से बढ़ रहा सौर तूफान

By pnc Nov 26, 2023 #26 november #earth #solar stome




नासा  ने किया अलर्ट, आज पृथ्वी से टकराने की आशंका

जीपीएस सिस्टम और मोबाइल उपकरणों के ख़राब होने की आशंका

हमारे अंतरिक्ष में हर पल अनगिनत गतिविधियां होती रहती हैं. इन गतिविधियां में दिलचस्पी रखने वाले लोगों को पता है कि इस तरह की घटनाएं कई बार पृथ्वी को प्रभावित करती हैं. इसी में से एक गतिविधि है सौर तूफान. अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा ने चेतावनी जारी की है कि सूर्य से निकलने वाले अरबों गर्म प्लाज्मा धरती की तरफ बढ़ रहे हैं. ये सौर तूफान के रूप में धरती की तरफ तेजी से बढ़ रहे हैं. इसके आज 26 नवंबर को धरती पर पहुंचने की संभावना है.

रिपोर्ट के अनुसार सूर्य में बढ़ी हुई गतिविधि देखी जा रही है. इसकी सतह पर कई सनस्पॉट दिखाई दे रहे हैं, जो अंतरिक्ष में गर्म प्लाज्मा छोड़ते हैं. बता दें कि सनस्पॉट सूर्य पर बने काले धब्बे होते हैं जहां चुंबकीय क्षेत्र बेहद मजबूत होता है. इनमें से कोरोनल मास इजेक्शन उत्पन्न होते हैं, जो सूर्य से तेजी से निकलने वाले प्लाज्मा के विशाल बादल हैं.

नासा  के अनुसार, इनमें से एक सीएमई  पृथ्वी के साथ टकराव की राह पर है, जो आज संभव है. नासा  का कहना है कि जब कोई सीएमई पृथ्वी से टकराता है, तो यह भू-चुंबकीय तूफान का कारण बन सकता है.यूके  में एबरिस्टविथ विश्वविद्यालय में सौर भौतिकी समूह के प्रमुख ह्यू मॉर्गन ने न्यूजवीक से कहा कि ‘जब सूर्य से एक बड़ा प्लाज्मा तूफान उठता है, और वह तूफान एक चुंबकीय क्षेत्र लेकर आता है जो पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र के विपरीत दिशा में उन्मुख होता है, तो हमारे पास एक ‘संपूर्ण तूफान’ और एक बड़ा भू-चुंबकीय तूफान होता है.’

26 नवंबर को सूर्य के गर्म प्लाज्मा धरती पर आ सकते हैं. धरती के चुंबकीय क्षेत्र में आने के बाद ये सौर या चुंबकीय तूफान का रूप लेंगे. नोआ  की मानें तो भू-चुंबकीय तूफानों की तीव्रता को विभिन्न स्तर पर मापा जाता है. जी1 मामूली से लेकर जी5 सबसे चरम तक तूफान के रूप में वर्गीकृत किया जाता है. जी 1 तूफ़ान पैमाने पर सबसे कमज़ोर होते हैं और नियमित आधार पर, हर महीने कई बार आ सकते हैं. जी 1 भू-चुंबकीय तूफान से पृथ्वी पर जीवन को कोई नुकसान होने की संभावना नहीं है, लेकिन फिर भी यह पावर ग्रिड को प्रभावित कर सकता है. साथ ही जीपीएस सिस्टम और मोबाइल उपकरणों के लिए उपयोग किए जाने वाले कुछ उपग्रह कार्यों को प्रभावित कर सकता है.

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