- जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पड़ गए सोंच में
- ‘नीतीश’ पेंडेंट देगा वज्रपात,बाढ़,लू और शीतलहरी जैसी आपदाओं से पहले पूर्व चेतावनी
- पेंडेंट ‘नीतीश’ किसान,मजदूर,अनपढ़,दिव्यांग,बच्चे, महिला, बुजुर्ग और किन्नरों की करेगा सुरक्षा
- सुरक्षा कवच दरअसल नीत, तीव्र, एवं शक्तिशाली पेंडेट है
- इसकी तीनों खूबियों को मिला कर इसका छोटा नाम है ‘नीतीश’
- शरीर की गर्माहट से ही चार्ज होगा पेंडेंट ‘नीतीश’
- इसे बिजली से चार्ज करने की आवश्यकता नहीं
- सैटेलाईट और मौसम केंद्र से जुड़ा होगा यह पेंडेंट “नीतीश”
- आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के लिए स्मरणीय दिन बना 31 जनवरी 2024
- नीतीश पेंडेंट इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस 100 फीसद सुरक्षित
पटना, 2 फरवरी
माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के कार्यालय में राज्य को जीवन सुरक्षा लॉकेट तथा बीएसडीआरएन के रूप में आपदा प्रबंधन के लिए दो सौगातें दी. राज्य में वज्रपात एवं अन्य प्राकृतिक आपदाओं को बिहार राज्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों को लेकर बिहार के माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हमेशा से चिंतित रहे हैं. हाल फिलहाल में उनकी चिंता वज्रपात से होने वाली मृत्यु की बढ़ती संख्या को देखकर अधिक हुई है. उन्होंने बिहार राज्य आपदा प्राधिकरण के उपाध्यक्ष, डा० उदय कांत को इससे निपटने के उपाय ढूंढने का निर्देश दिया था.
काम के वावजूद सफलता नहीं
वैसे तो अबतक आपदा प्रबंधन विभाग की ओर वज्रपात की पूर्व चेतावनी देने के लिए, ‘इंद्रवज्र’ नामक एप बनवाया गया जो मोबाईल पर वज्रपात के आसन्न खतरे़ की पूर्व सूचना दे सकता है. इसके साथ ही अति संवेदनशील चिह्नित गांवों में जल मीनारों व ऊंची इमारतों पर तेज ध्वनि विस्तारक यंत्र (हूटर) लगाकर लोगों को पूर्व चेतावनी देने का काम भी किया जा रहा था लेकिन इन तमाम प्रयत्नों के बावजूद वज्रपात से होने वाली मौतों की संख्या में कोई खास कमी नहीं आई. इसकी एक मात्र वजह यह थी कि बसावट से दूर, खेतों में, प्राय: अर्धनग्न अवस्था में काम कर रहे, कृषि कर्मियों के पास न तो मोबाईल होता था न और ही हूटर की आवाज उनतक पहुंचती थी. इन सभी सीमाओं को ध्यान में रखते हुए आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के उपाध्यक्ष ने एक ऐसे छोटे से उपकरण की अवधारणा सामने रखी जिसे खेतिहर मजदूरों के शरीर से बांध कर रखा जा सके. उनकी इस सोच को प्राधिकरण के माननीय सदस्यों, क्रमश: पारस नाथ राय, मनीष कुमार वर्मा एवं कौशल किशोर मिश्र का सक्रिय सहयोग हुआ.
अब इस परिकल्पना को मूर्त रूप देने की समस्या सामने आई. इसके लिए बहुत सोच-समझकर प्राधिकरण ने आईआईटी, पटना से हाथ मिलाया. प्रारंभिक कई कठिनाइयों के उपरांत आईआईटी, पटना के निदेशक, डॉ० त्रिलोक नाथ सिंह के दिशा-निदेश में आई आई टी, पटना के कम्प्यूटर साइंस विभागाध्यक्ष प्रो० राजीव मिश्रा, डॉ० अरजीत रॉय एवं आकाश ने गहन अन्वेषण के उपरांत एक नीत, तीव्र, एवं शक्तिशाली, सुरक्षा कवच पेंडेंट का निर्माण कर लिया. जिसका नाम अनायास ही ‘नीतीश’ पेंडेंट हो गया है. सामान्य कलाई घड़ी के जैसा ही 47 मिमी x 48 मिमी x 16 मिमी एवं मात्र 43 ग्राम वाले इस पेंडेंट, लॉकेट या ताबीज की शक्ल वाले इस इलेक्ट्रानिक डिवाइस का अंग्रेजी नाम भी है Novel & Innovative Technological Intervention for Safety of Human lives (‘NITISH’ ). इसे आसानी से गले में लटकाया या बांह पर बांधा जा सकता है.
नीतीश पेंडेंट की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह शरीर की ऊर्जा और गर्माहट से ही रिचार्ज होता रहता है. क्षेत्र विशेष में वज्रपात या किसी अन्य आपदा की पूर्व चेतावनी जैसे ही आएगी, नीतीश पेंडेंट अपने स्वामी को तीन प्रकार से सतर्क कर देगा. इससे वॉयस मैसेज सुनाई पड़ेगी. यह वाईब्रेट भी करेगा तथा इसका रंग हरे से लाल में तब्दील हो जाएगा. जब तक इसे पहनने वाला इसका स्वीच ऑफ न कर दे तब तक नीतीश पेंडेंट चेतावनी देता ही रहेगा. स्वीच ऑफ करते ही प्राधिकरण के कम्प्यूटर में यह सूचना स्वत: ही आ जाएगी कि व्यक्ति विशेष तक चेतावनी पहुँच चुकी है. नीतीश पेंडेंट वाटरप्रुफ भी है जिसे समाज के प्रत्येक तबके को ध्यान में रखकर बनाया गया है: उपाध्यक्ष डॉ उदय कान्त
नीतीश पेंडेंट इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस 100 फीसद सुरक्षित है. बिहार मौसम सेवा केन्द्र के सहयोग से नीतीश पेंडेंट वज्रपात ही नहीं, बाढ़, अत्यधिक गर्मी यानी लू और शीतलहरी जैसी अनेक आपदाओं से पहले, ससमय, पूर्व चेतावनी दे सकेगा. आईआईटी, पटना एवं बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के बीच हुए एमओयू के तहत सम्प्रति आईआई टी पटना, अपने ही प्रयोगशाला में ऐसे 1 लाख पीस बनाएगा. आईआईटी, पटना के प्रोफेसर डा. राजीव मिश्रा ने बताया है कि शीघ्र ही नीतीश पेंडेंट का पेटेंट प्राधिकरण एवं आईआईटी पटना के संयुक्त नाम से कराया जाएगा. डॉ० राजीव ने यह भी कहा है कि अभी नीतीश पेंडेंट में लगाये जाने पुर्जों में एक को आयातित करना पड़ रहा है इस कारण नीतीश पेंडेंट की लागत करीब 1000 रुपए से थोड़ी कम आ रही है. प्रयास यह है कि आयातित पुर्जे को आई आई टी, पटना में ही डिजाइन कर लिया जाए. ऐसा होने से नीतीश पेडेंट की कीमत में तकरीबन 20 प्रतिशत कमी आने की संभावना है.प्राधिकरण में कार्यरत रवीन्द्र भारती तथा मुख्यमंत्री कार्यालय में सेवारत कई कर्मियों ने बताया कि माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी, इस प्रयोग की सफलता के लिए सतत चिंतित रहते हुए भी, प्राधिकरण का लगातार उत्साहवर्धन करते रहे क्योंकि उन्हें प्राधिकरण की क्षमता पर अदम्य विश्वास था.
जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पड़ गए थे सोंच में
31 जनवरी की अपराह्न में जब वे इस पेंडेट से रूबरू हुए, उनकी तथा उनके सभी सहयोगियों की प्रसन्नता देखते ही बनती थी. जब उन्हें इस पेंडेंट का नाम बताया गया तो वे काफी संकोच में पड़ गए क्योंकि उन्होंने अब तक जनहित के सारे कार्य बिना किसी प्रतिदान अथवा श्रेय की अपेक्षा में किए थे. किन्तु इसके नाम की घोषणा होते ही बीएसडीएमए का सभागार तालियों से गूंज उठा था. माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सम्मुख इस स्वत:स्फूर्त सर्वसम्मति से दी गई स्वीकृति को स्वीकारने के अतिरिक्त कोई उपाय भी शेष नहीं बचा था !