बढ़ रही है मृतकों की संख्या , गैस कटर से काटकर निकाले जा रहे शव
घटनास्थल पर पहुंचे रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव
मृतकों के परिवार को मिलेंगे 12 लाख, प्रधानमंत्री और रेल मंत्रालय ने किया ऐलान
बालासोर में हुए भीषण ट्रेन हादसे में अब तक 280 लोगों की मौत हो चुकी है. मौके पर राहत कार्य अभी भी जारी है. रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव भी मौके पर पहुंचे हैं और तमाम अधिकारियों से हादसे का अपडेट ले रहे हैं. ये पूछने पर कि विपक्ष आपका इस्तीफा मांग रहा है. इस सवाल के जवाब में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि ये जिस तरह की घटना है, उसमें मानवीय संवेदना बेहद अहम है. मैं यही कहूंगा कि सबसे पहला फोकस रेस्क्यू और रिलीफ पर है. रेल मंत्री से सवाल किया गया कि क्या इस हादसे के पीछे कोई साजिश हो सकती है, इसके जवाब में उन्होंने कहा कि पूरे मामले की जांच के बाद ही इस पर कुछ कहा जा सकता है. रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव घटनास्थल पर पहुंचने के बाद कहा कि हादसे की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय कमेटी बनाई गई है, जो पूरे मामले की जांच करेगी. अभी पूरा फोकस रेस्क्यू पर है. जो लोग घायल हुए हैं, उनके बेहतर इलाज के लिए टीमें जुटी हैं. कमिश्नर रेल सेफ्टी को भी हादसे की जांच के लिए कहा गया है.
डिरेल होकर मालगाड़ी पर चढ़ गया कोरोमंडल एक्सप्रेस का इंजन, फिर आ भिड़ी बेंगलुरु-हावड़ा एक्सप्रेस
ओडिशा के बालासोर में शुक्रवार शाम हुए रेल हादसे में 280 लोगों की मौत हो चुकी है और 900 लोग घायल हुए हैं. हादसे की भयावहता के साथ सबसे बड़ी चर्चा का विषय यह भी रहा कि तीन ट्रेनें कैसे टकराईं. सामने आया है कि पहले कोरोमंडल एक्सप्रेस डिरेल होकर मालगाड़ी के इंजन पर चढ़ गई और फिर इसकी बोगियों से हावड़ा-बेंगलुरु एक्सप्रेस आकर भिड़ गई.
ओडिशा के बालासोर में हुआ हादसा जहां एक तरफ दिल दहला रहा है तो वहीं इस दुर्घटना को लेकर लोगों के मन में सवाल भी कम नही है. शुक्रवार शाम जैसे ही यह रेल हादसा सामने आया तो पहले एक मालगाड़ी और एक एक्सप्रेस ट्रेन की टक्कर की खबर सामने आई थी. उस दौरान शुरुआती लिहाज से 30 लोगों की मौत ने लोगों में हलचल तो मचाई, लेकिन जब सामने आया कि टक्कर 2 नहीं तीन ट्रेनों में हुई है तो यह लोगों के लिए चौंकाने वाली बात बन गई कि तीन ट्रेनों में आपस में टक्कर कैसे हो सकती है. शुक्रवार की शाम से लेकर मृतकों के बढ़ते आंकड़ों के बीच यह सवाल तैरता रहा कि आखिर तीन ट्रेनें लड़ीं तो लड़ीं कैसे?
यह हादसा बालासोर स्टेशन के नजदीक बहानगा बाजार स्टेशन के पास हआ है. हादसे के समय आउटर लाइन पर एक मालगाड़ी खड़ी थी. हावड़ा से आ रही कोरोमंडल एक्सप्रेस (12841) जो कि चेन्नई जा रही थी बहानगा बाजार से 300 मीटर पहले डिरेल हुई. हादसा इतना भयानक था कि कोरोमंडल एक्सप्रेस का ईंजन मालगाड़ी पर चढ गया. इसके साथ ही कोरोमंडल एक्सप्रेस ट्रेन की पीछे वाली बोगियां तीसरे ट्रैक पर जा गिरीं. तभी इसी ट्रैक पर तेज रफ्तार से आ रही हावड़ा-बेंगलुरु एक्सप्रेस (12864) ट्रैक पर पड़ी कोरोमंडल एक्सप्रेस की बोगियों से बहुत तेजी से टकराईं.
एक के बाद एक सुनाई दी धमाकों जैसी आवाज
स्थानीय लोगों ने कहा कि उन्होंने लगातार तेज आवाजें सुनीं. एक के बाद एक तेज धमाके जैसी आवाज सुनकर वे मौके पर पहुंचे. उन्होंने देखा के ट्रेनें डिरेल पड़ी हुई थीं और सामने स्टील-लोहे व अन्य धातु के बेतरतीब टूटे-फूटे ढेर के अलावा कुछ नहीं था.
हादसे को लेकर दी गई प्रेस रिलीज में सामने आया कि ट्रेन संख्या है 12841 (कोरोमंडल एक्सप्रेस) के कोच बी2 से बी9 तक के कोच पलट गए थे. वहीं ए1-ए2 कोच भी ट्रैक पर औंधे जा पड़े. वहीं, कोच B1 के साथ-साथ इंजन पटरी से उतर गया और अंतत: कोच एच1 और जीएस कोच ट्रैक पर रह गए. यानि कोरोमंडल एक्सप्रेस में मरने वालों की संख्या अधिकतम हो सकती है और एसी बोगी में सवार लोगों की जानहानि अधिक होने की आशंका है. वहीं, ट्रेन सं. 12864 (बेंगलुरू हावड़ा मेल) का एक जीएस कोच क्षतिग्रस्त हो गया था. इसके साथ ही पीछे की ओर का जीएस कोच और दो बोगियां पटरी से उतर कर पलट गईं. वहीं कोच ए1 से इंजन तक की बोगी ट्रैक पर रहीं. इस ट्रेन हादसे की जांच ए.एम. चौधरी (सीआरएस/एसई सर्किल) करेंगे.
एक झटका लगा और कई लोग छिटक गए बाहर
पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले के बेरहामपुर निवासी पीयूष पोद्दार इस हादसे में बचे कुछ खुशनसीब लोगों में शामिल हैं, जो बच गए. वह बताते हैं कि कोरोमंडल एक्सप्रेस से वह तमिलनाडु जा रहे थे. जब यह हादसा हुआ उसे याद करते हुए वह कहते हैं, ‘हमें झटका लगा और अचानक हमने ट्रेन की बोगी को एक तरफ मुड़ते देखा. कोच तेजी से पटरी से उतरने लगे और एक झटके के साथ हममें से कई लोग डिब्बे से बाहर फेंका गए. हम रेंग कर किसी तरह बाहर निकले, लेकिन हमारे आस-पास चारों तरफ शव पड़े हुए थे.
भारत में कब-कब हुए बड़े रेल हादसे?
आजादी के बाद से अब तक के बड़े रेल दुर्घटनाओं पर एक नजरः
छह जून, 1981 को देश में सबसे बड़ी रेल दुर्घटना हुई थी। इस तारीख को बिहार में पुल पार करते समय एक ट्रेन बागमती नदी में गिर गई थी, जिसमें 750 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी।
20 अगस्त, 1995 को फिरोजाबाद के पास पुरुषोत्तम एक्सप्रेस खड़ी कालिंदी एक्सप्रेस से टकरा गई थी। इस घटना में 305 लोगों की मौत हुई थी।
26 नवंबर, 1998 को जम्मू तवी-सियालदह एक्सप्रेस पंजाब के खन्ना में फ्रंटियर गोल्डन टेंपल मेल के पटरी से उतरे तीन डिब्बों से टकरा गई थी, जिसमें 212 लोगों की मौत हो गई थी।
दो अगस्त, 1999 को गैसल ट्रेन दुर्घटना हुई थी, इस हादसे में ब्रह्मपुत्र मेल उत्तर सीमांत रेलवे के कटिहार डिवीजन के गैसल स्टेशन पर अवध असम एक्सप्रेस से टकरा गई थी। इस दुर्घटना में 285 से अधिक लोगों की मौत हुई थी और 300 से अधिक घायल हो गए। पीड़ितों में सेना, बीएसएफ और सीआरपीएफ के जवान शामिल थे।
20 नवंबर, 2016 को पुखरायां ट्रेन पटरी से उतर गई थी। इस हादसे में 152 लोगों की मौत हो गई थी और 260 घायल हो गए थे।
9 सितंबर, 2002 को रफीगंज ट्रेन हादसा- हावड़ा राजधानी एक्सप्रेस रफीगंज में धावे नदी पर एक पुल के ऊपर पटरी से उतर गई थी, जिसमें 140 से अधिक लोगों की मौत हो गई।
23 दिसंबर, 1964 को पंबन-धनुस्कोडि पैसेंजर ट्रेन रामेश्वरम चक्रवात का शिकार हो गई थी, जिससे ट्रेन मे सवार 126 से अधिक यात्रियों की मौत हो गई।
28 मई, 2010 को जनेश्वरी एक्सप्रेस ट्रेन पटरी से उतर गई थी। मुंबई जाने वाली ट्रेन झारग्राम के पास पटरी से उतर गई थी और फिर एक मालगाड़ी से टकरा गई थी, जिससे 148 यात्रियों की मौत हो गई थी।
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