शिव पहले भी गुरु थे आज भी हैं कल भी रहेंगे
सारा ब्रम्हांड तो भगवान शिव के अन्दर है
जीवन जीने के लिए और कर्म करने के लिए हमेशा ही हमें सही मार्गदर्शन की जरुरत होती है. हम सब स्वभाव से चाहे कितने भी अच्छे क्यों न हो, हम सब की एक सीमा है जिसके अंदर ही हमलोग अच्छा बुरा सोच सकते हैं. हम इस लायक नहीं हैं कि हम हमेशा खुद को सही दिशा में ही मार्गदर्शित कर सकें. हमे हमेशा ही एक ऐसे पथ प्रदर्शक की जरूरत रहती है जो हमे हमेशा सही दिशा में ले जाए. और ये काम तो एक गुरु ही कर सकता है. बचपन में माँ बाप गुरु होते हैं, फिर प्राथमिक शिक्षक, फिर उच्च विद्यालय आदि. इन् सबने अपने अपने तरीके से हमे मार्गदर्शित किया लेकिन इन् सबसे एक-एक करके हमारा साथ छूटता चला गया या नहीं छूटा तो छूट ही जाएगा. हमें एक ऐसा गुरु चाहिए जो कभी हमारा साथ नहीं छोड़ेगा, जो हमेशा से है और हमेशा रहेगा. गुरु वो होता है जो शिष्य को सिखा कर, ज्ञान देके अपने जैसा बनाता है, और ये सब एक ही गुरु हमें दे सकते है वो हैं भगवान गुरु शिव .ये बातें प्रख्यात चिकित्सक डॉ अमित कुमार ने पटना में एक मुलाकात में कही .
उन्होंने कहा कि विज्ञान पढ़ने के क्रम मे हमलोग अक्सर किसी अज्ञात अंक को कुछ मान लेते थे. फिर उसका मान पता करके साबित करते थे. ठीक उसी तरह हमलोग भगवान शिव को अपना गुरु मान लें और फिर देखें कि आपको शिक्षा मिल रही है कि नही? शिक्षा आपको भाव से ही मिलेगी. आपके अन्दर ज्ञान और समझ दोनो ही आएंगे. वैसे तो मै विद्दार्थीकाल से ही शिवगुरु के बारे में लोंगो को बताता आ रहा हूँ.
वैज्ञानिकों ने साबित किया है कि मरने के बाद एक पावर (आत्मा) शरीर से निकलती है. हम सभी में आत्मा रहती है. सारी आत्मा एक परमात्मा का अंश है. उस परमात्मा को ही किसी ने महादेव, तो किसी ने GOD, तो किसी ने अल्लाह, तो किसी ने अकालतख्त नाम दे दिया. शिव गुरु से भाव से जुड़ा जा सकता है. वैसे भी किसी से जुड़ने के लिए भाव की ही जरूरत होती है. आप एक घर मे रहकर भी किसी दूसरे से नही जुड़ेगे, जबतक कि आपमे उस रिश्ते का भाव ना हो. वैसे विज्ञान तो एक सूर्य के कुछ ग्रहों तक ही पहुंच पाया है. ऐसे असंख्य ग्रहों को तो कभी खोज नही पाएगा. सृष्टि के रचयिता शिवगुरू से सूक्ष्म विज्ञान की तुलना बेमतलबी है.
वैसे तो अध्यात्म को समझना चाहते है तो आपको आध्यात्मिक गुरु के पास ही जाना होगा . मैं तो खुद शिष्य हूँ. अध्यात्म के बारे में मैं आपको ज्यादा जानकारी दे भी नहीं सकता. जगतगुरु शिव के अलावा और कोई अध्यात्म के बारे में सम्पूर्ण जानकारी दे भी नहीं सकता हैं. विज्ञान जहाँ पर ख़त्म हो जाता है उसके बाद से अध्यात्म का ए, बी , सी, डी शुरू ही होता है. मै तो बस इतना ही कहना चाहूँगा- Put to test and judge by result. Let’s be disciple of Lord Shiva.