भोजपुर जिला में 6 माह से ऊपर के शिशुओं का किया गया अन्नप्राशन
• ऊपरी आहार है सुपोषण की कुंजी
• सेविकाओं ने बताए ऊपरी आहार के महत्त्व
आरा. कुपोषण पर लगाम लगाने के लिए सरकार द्वारा कई कदम उठाये जा रहे हैं| सभी को पोषित करने तथा पोषण का सन्देश घर घर पहुँचाने के लिए सितम्बर माह को पोषण माह के रूप में मनाया जाता है| इसी क्रम में मंगलवार को जिले के आंगनवाडी केन्द्रों पर 6 माह से ऊपर के शिशुओं का अन्नप्राशन किया गया| जिले के क्रियाशील आंगनवाडी केन्द्रों पर अन्नप्राशन दिवस का आयोजन किया गया| पोषक क्षेत्र के शिशुओं को खीर खिलाकर इसकी शुरुआत की गयी तथा धात्री माताओं को भी पूरक पोषाहार के विषय में एवं साफ़- सफाई के बारे में जानकारी दी गयी|
जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (आईसीडीएस) रश्मि चौधरी ने बताया कि बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए 6 माह तक सिर्फ स्तनपान एवं इसके बाद स्तनपान के साथ पूरक पोषाहार बहुत जरूरी है| उन्होंने इस दौरान घर एवं माँ- शिशु की साफ़ सफाई की जरूरत पर जोर दिया| उन्होंने बताया कि अनुपूरक आहार शिशु के आने वाले जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है| 6 माह से 23 माह तक के बच्चों के लिए यह अति आवश्यक है| 6 से 8 माह के बच्चों को दिन भर में 2 से 3 बार एवं 9 से 11 माह के बच्चों को 3 से 4 बार पूरक आहार तथा 12 माह से 2 साल तक के बच्चों को घर में पकने वाला भोजन भी देना चाहिए| इस दौरान शरीर एवं दिमाग का विकास तेजी से होना शुरू होता है| जिसके लिए स्तनपान के साथ ऊपरी आहार की भी जरूरत होती है|
घर में उपलब्ध सामग्रियों से ही शिशु को पूरी तरह पोषित रखा जा सकता-
जिला के जगदीशपुर प्रखंड के आंगनवाड़ी केंद्र संख्या 143 की सेविका पूनम देवी ने बताया सभी बच्चों की माताओं को अनुपूरक आहार के महत्त्व के बारे में जानकारी दी गयी| उन्हें बताया गया कि घर में उपलब्ध सामग्रियों से ही शिशु को पूरी तरह पोषित रखा जा सकता है| माताओं को नियमित स्तनपान कराने की सलाह भी दी गयी|
ऐसे दें बच्चों को पूरक आहार: 6 माह से 8 माह के बच्चों के लिए नरम दाल, दलिया, दाल -चावल, दाल में रोटी मसलकर अर्ध ठोस (चम्मच से गिराने पर सरके, बहे नहीं नही) , खूब मसले साग एवं फल प्रतिदिन दो बार 2 से 3 भरे हुए चम्मच से देना चाहिए.| ऐसे ही 9 माह से 11 माह तक के बच्चों को प्रतिदिन 3 से 4 बार एवं 12 माह से 2 वर्ष की अवधि में घर पर पका पूरा खाना एवं धुले धुले एवं कटे फल को प्रतिदिन भोजन एवं नास्ते में देना चाहिए.
पूरक पोषाहार है जरूरी : समेकित बाल विकास योजना के अंतर्गत 6 वर्ष से कम आयु के बच्चों के बेहतर पोषण के लिए पोषाहार वितरित किया जाता है.| पूरक पोषाहार के विषय में सामुदायिक जागरूकता के अभाव आभाव में बच्चे कुपोषण का शिकार होते हैं|. इससे बच्चे की शारीरिक विकास के साथ मानसिक विकास भी अवरुद्ध होती ता है एवं अति कुपोषित होने से शिशु मृत्यु दर में भी बढ़ोतरी होती है|.
इस दौरान आँगनवाड़ी केंद्र की सहायिका के साथ अन्य धात्री माताएं एवं शिशु उपस्थित थे.|
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