‘शायरी’ पहली मुहब्बत है और ‘नॉवेल’ आख़िरी इश्क़ है: त्रिपुरारि




ये नॉवेल साइंस-फ़िक्शन में एक संग-ए-मील साबित होगा- रहमान अब्बास

अपनी भाषा के साथ-साथ कथ्य से भी पाठकों को अपने मोहपाश में बाँध लेते हैं-अनंत विजय

बिहार के समस्तीपुर ज़िले में जन्मे त्रिपुरारि कुमार शर्मा युवा शायर, गीतकार और स्क्रिप्ट रायटर हैं. उनके लिखे कई गीत, टीवी सीरियल और फ़िल्म रिलीज़ हो चुके हैं। 2019 में इनकी रचनाओं को महाराष्ट्र बोर्ड के ग्यारहवीं क्लास के सिलेबस में भी शामिल किया गया. इस साल उनका पहला नॉवेल ‘आख़िरी इश्क़’ आया है, जिसे प्रकाशित किया है पेंगुइन रैंडम हाउस ने. इस मौक़े पर  पेश है, रवींद्र भारती से उनकी एक ख़ास बातचीत-

त्रिपुरारी शर्मा

सवाल- आख़िरी इश्क़ किस तरह का नॉवेल है?

त्रिपुरारि- आख़िरी इश्क़ एक रोमांटिक नॉवेल है, जिसे साइंस-फ़िक्शन जॉनर में लिखा गया है। 60 हज़ार+ लफ़्ज़ों से बुने हुए इस नॉवेल में मुख्यतः चार पीढ़ियों और दुनिया के चार शहरों का ज़िक्र है जहाँ ज़िंदगी के बहुत से शेड्स और डायमेंशन्स नज़र आएँगे। मुख्य कहानी के साथ-साथ क़रीब एक दर्ज़न किरदार और भी हैं। उन सबकी अपनी ज़िंदगी और कहानी है। सबके बारे में जानना दिलचस्प होगा।

सवाल- आख़िरी इश्क़ नॉवेल कब और कितने वक़्त में लिखा?

त्रिपुरारि- ये नॉवेल मैंने 2020 में लिखा था। जब कोविड की वजह से पूरे देश में लॉकडाउन हुआ. उन्हीं दिनों इसका आइडिया आया था। जहाँ तक वक़्त की बात है तो इसे मैंने महज़ 21 दिनों में लिख लिया था.

सवाल- आख़िरी इश्क़ नॉवेल का आइडिया कैसे आया? 

 त्रिपुरारि- उर्दू के मशहूर शायर मीर तक़ी ‘मीर’ का एक शेर है- नाज़ुकी उसके लब की क्या कहिए, पंखुड़ी इक गुलाब कीसी है।

 अपने नौजवानी के  दिनों से ही, मैं अक्सर उस लड़की का तसव्वुर किया करता था.आख़िर कौन होगी वो लड़की, जिसने मीर को ये शेर कहने पर मजबूर किया होगा.फिर एक रात मैंने अपने ख़्वाब में उस लड़की को देखा,अगले दिन मुझे दो बातें समझ आईं.पहली तो ये कि उन होंटों की नाज़ुकी को बयान करने के लिए दुनिया की तमाम ज़बानों की शायरी में मीर के शेर से बेहतर कुछ और नहीं हो सकता. अब मेरे पास एक ही रास्ता बचा था. नस्र का. मुसलसल सोचते हुए एक दिन ज़ेहन के किसी कोने में एक पंक्ति उभरी थी- उस लड़की के होंट इतने नाज़ुक थे कि उन होंटों का लम्स पाकर बददुआ भी दुआ में तब्दील हो सकती थी. फिर तो क़रीब 3 महीनों तक मैंने उन होंटों के सिवा कुछ सोचा ही नही.और फिर अगले 21 दिनों में मैंने आख़िरी इश्क़ नॉवेल पूरा कर लिया. आप कह सकते हैं कि ये नॉवेल पहले लॉकडाउन की पहली पैदाइश है.

 सवाल- आख़िरी इश्क़ नॉवेल लिखने के पीछे क्या वजह है? 

 त्रिपुरारि- दरअस्ल, हर एक ख़याल अपना फ़ॉर्म ख़ुद चुनता है. मेरे ज़ेहन में भी बहुत से ऐसे ख़यालात थे जिन्हें शायरी की शक्ल देना उनके लिए इज़्ज़त की बात होगी। चुनांचे मुझे अफ़्सानों की तरफ़ अपना रुख़ करना पड़ा। फिर एक वक़्त ऐसा भी आया जब अफ़्सानों की हदें टूटने लगीं और ख़याल एक बड़े कैनवस की माँग करने लगा। ऐसे में मुझे नॉवेल के दरवाज़े पर दस्तक देनी पड़ गई. और मैं ख़ुद को ख़ुशनसीब समझता हूँ कि नॉवेल ने खुले दिल से मेरा ख़ैरमक़्दम किया। अब मैं कह सकता हूँ कि ‘शायरी’ मेरी पहली मुहब्बत है और ‘नॉवेल’ मेरा आख़िरी इश्क़ है.

 सवाल- आख़िरी इश्क़ नॉवेल की कहानी क्या है?  त्रिपुरारि- भारत की आज़ादी के साथ ही, सरकार एक सीक्रेट प्रोजेक्ट ‘दि गेटवे ऑफ़ पास्ट एंड फ़्यूचर’ की शुरूआत करती है.साइंस लैब में ऐसी मछलियाँ तैयार की जाती हैं, जिनकी आँखों में इंसान अपना माज़ी या मुस्तक़बिल देख सकता है.उसी लैब में तैयार एक सुनहरी मछली की वजह  से अल्मा और अबीर मुसलसल एक दूसरे के ख़्वाब में आते हैं और उन्हें इश्क़ हो जाता है. अब ये दोनों अस्ल ज़िंदगी में मिलते हैं या नहीं मिलते हैं? उस सुनहरी मछली का क्या होता है? दोनों किरदारों की मुहब्बत किस तरह से इश्क़ में बदलती है? उनका इश्क़ मुकम्मल होता है या नहीं? ये सब आपको किताब पढ़ने पर ही पता चलेगा.

 सवाल- इस नॉवेल से जुड़ा कोई गीत? 

 त्रिपुरारि- जी! ‘आख़िरी इश्क़ एंथम’ के नाम से इस किताब का टाइटल गीत आ चुका है, जिसे यूट्यूब पर सुना जा सकता है। इसके अलावा, किताब से जुड़ा एक पॉडकास्ट सीरीज भी है, जिसे स्पॉटिफाय पर सुना जा सकता है.

सवाल- आख़िरी इश्क़ नॉवेल का आइडिया कैसे आया?

त्रिपुरारि- उर्दू के मशहूर शायर मीर

क्या कहा लोगों ने

‘इस नॉवेल में हमारा समाज, इन्सानी रिश्ते और रिश्तों की उलझनें एक नए ढंग में सामने आती हैं। त्रिपुरारि ने लव-स्टोरी को साइंस-फ़िक्शन की शक्ल अता की है और अपने लिए एक नई और अलग राह तलाश की है। साइंस-फ़िक्शन हमारे यहाँ कम लिखा जाता है, ख़ुशी है त्रिपुरारि ने इस तरफ़ संजीदगी से तवज्जोह दी है। उम्मीद है उनका ये नॉवेल साइंस-फ़िक्शन में एक संग-ए-मील साबित होगा’

– रहमान अब्बास, साहित्य अकादेमी अवॉर्ड विनर, उर्दू नॉवलिस्ट

आख़िरी इश्क़ साइंस-फ़िक्शन और फ़ैंटेसी जॉनर में लिखा ऐसा रूमानी नॉवेल है जो उर्दू और हिन्दी पढ़ने वालों को इश्क़ के मुख़्तलिफ़ रंगों में सराबोर करता है, और जो उर्दू अदब की दुनिया में “साइंस-फ़िक्शन” को बतौर जॉनर कायम करने का हौसला रखता है।

भारत की आज़ादी के साथ ही, सरकार एक सीक्रेट प्रोजेक्ट “द गेटवे ऑफ़ पास्ट एंड फ़्यूचर” की शुरुआत हिमाचल के तीर्थन वैली में एक लैब बनवाकर करती है. यहाँ ऐसी मछलियाँ तैयार की जाती हैं, जिनकी आँखों में इंसान अपना माज़ी या मुस्तक़बिल देख सकता है. वैसी ही एक सुनहरी मछली की वजह से अल्मा और अबीर मुसलसल एक-दूसरे के ख़्वाब में आते और इश्क़ में पड़ जाते हैं. यही सिलसिला एक ऐसी कहानी में तब्दील होता है जिसे पाठक पूरी पढ़कर ही दम लेंगे! लेकिन कहानी, क्या वो पूरी होती है, क्या कहानियाँ पूरी हो पाती हैं . . . और इश्क़ . . .त्रिपुरारि के लेखन में ग़ज़ब सम्मोहन है। वो अपनी भाषा के साथ-साथ कथ्य से भी पाठकों को अपने मोहपाश में बाँध लेते हैं। उनके इस उपन्यास में प्रेम का एक अनूठा संसार तो खुलता है, साथ ही ये एक ऐसी कथाभूमि पर गढ़ा गया है जो अचंभित भी करता है.

अनंत विजय, राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार विजेता पत्रकार-लेखक

By pnc

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