बिहार में आज से नया शराबबंदी कानून प्रभावी हो गया है. बिहार सरकार की ओर से आज इस संबंध में नोटिफिकेशन जारी कर दिया. कैबिनेट की बैठक में एक बार फिर शराबबंदी को लेकर संकल्प लिया गया है. जिसमें साफ गया है कि पूरे सूबेे में शराबबंदी के लिए बिहार सरकार कृतसंकल्प है.
क्या क्या है नए कानून में
– घर में अगर शराब बरामद होती है तो यह जानकारी देनी होगी कि घर में शराब कौन लाया? जानकारी नहीं देने पर संबंधित परिसर के मालिक को कम से कम आठ वर्ष की सजा होगी. इसे बढ़ाकर दस वर्षों तक किया जा सकेगा. जुर्माने की राशि बढ़ाकर दस लाख रुपये तक की जा सकेगी.
– नये कानून के तहत अगर किसी घर में शराब बरामद की जाती है, तो उस परिवार के सभी व्यस्क (18 वर्ष से अधिक) सदस्य को जेल भेज दिया जायेगा. इसमें बुजुर्ग और महिला सभी शामिल हैं.
– अगर आप अपने घर या अन्य परिसर में नशे की अनुमति देते है या फिर कोई कहीं नशे के हाल में मदहोश पाया जाता है, किसी जगह पर बैठकर शराब या फिर अन्य मादक द्रव्य का सेवन करता मिलता है तो ऐसी स्थिति में पकड़े जाने पर कम से कम पांच वर्ष और अधिकतम सात वर्ष की सजा होगी. एक लाख रुपये का न्यूनतम जुर्माना और अधिकतम दस लाख रुपये तक का जुर्माना होगा.
– अगर शराब पीकर किसी व्यक्ति ने नशे में किसी स्थान पर उपद्रव किया तो कम से कम दस वर्ष की सजा होगी. इस सजा को बढ़ाकर आजीवन कारावास भी किया जा सकता है. इस मामले में जुर्माना की न्यूनतम राशि एक लाख रुपये होगी और अधिकतम दस लाख.
– अगर कोई व्यक्ति महिलाओं व अठारह वर्ष से कम उम्र के बच्चों को शराब के अवैध धंधे में लगाने के आरोप में पकड़ा जाएगा तो इस अपराध में उसे कम से कम दस वर्ष की सजा होगी और इसे बढ़ाकर आजीवन कारावास तक किया जा सकता है. न्यूनतम एक लाख और अधिकतम दस लाख रुपये तक का जुर्माना भी उसे देना होगा.
– शराब की लत नहीं छूटने पर या संबंधित व्यक्ति की आदत में कोई सुधार नहीं आने पर संबंधित जिले के डीएम उस व्यक्ति को जिला से तड़ीपार कर सकते हैं. यह कारर्वाई अपराधियों के खिलाफ धारा-66 के तहत की जाने वाली कार्रवाई की तरह की जायेगी.
– डीएम को यह अधिकार दिया गया है. पहले शराबी को छह महीने के लिए बॉड भरवाकर तड़ीपार किया जायेगा. इसके बाद भी स्थिति नहीं बदलने पर अधिकतम दो वर्ष के लिए जिला तड़ीपार किया जा सकता है.
– अगर किसी गांव में चूलाई की दारू बार-बार पकड़ी जाती है या चूलाई की दारू पकड़ने के दौरान गांव वाले विरोध करते हैं, तो पूरे गांव पर सामूहिक जुर्माना हो सकता है. हालांकि गांव वालों को इसमें अपना पक्ष रखने की पूरी छूट रहेगी.
– सभी जिलों में शराबबंदी कानून के तहत मामलों की सुनवाई के लिए एक विशेष न्यायालय स्थापित किया जायेगा. इसके जज को सेशन कोर्ट के जज के बराबर पॉवर होंगे.
– पुलिस की तरह ही उत्पाद दारोगा और अन्य पदािधकारी को सीआरपीसी के तहत कार्रवाई करने का अब अधिकार दिया जायेगा.
– उत्पाद अधिनियम के तहत किसी अपराधी के फरार होने की स्थिति में पहले उसका विज्ञापन निकाला जायेगा. फिर भी सरेंडर नहीं करने पर संबंधित अपराधी के घर की कुर्की-जब्ती तक की जायेगी.
– किसी पर जुर्माना करने की स्थिति में अगर समय पर जुर्माना राशि जमा नहीं करता है, तो एफआइआर और तीन साल तक की सजा होगी.
– शराब के मामले में एक बार पकड़े जाने पर अगर वही व्यक्ति दोबारा फिर से पकड़ा जाता है, तो पहले से दोगुणा सजा होगी. उदाहरण के लिए अगर पहली बार में तीन साल के लिए गया, तो दूसरी बार में छह साल की सजा होगी.
– अगर किसी गांव या शहर विशेष में शराबबंदी से संबंधित कानून का उल्लंघन हो रहा है तो डीएम को यह अधिकार होगा कि वह उक्त गांव या शहर विशेष पर सामूहिक जुर्माना लगा सकेंगे.
– शराबबंदी से जुड़े नए कानून में यह प्रावधान भी है कि अगर कोई उत्पाद पदाधिकारी या पुलिस पदाधिकारी परेशान करने की नीयत से किसी घर की तलाशी लेता है या फिर किसी को गिरफ्तार करता है तो उसे तीन वर्ष की जेल और एक लाख रुपये तक का जुर्माना भुगतना होगा.