लिखने पढ़ने की आदत का बाधक बना मोबाइल
लिखने से ही सीखता है व्यक्ति-डाॅ. राम जन्म मिश्र
कहा: मोबाइल के कारण कम हो रही लिखने और पढ़ने की आदत
संभावना स्कूल में रजत जयंती वर्ष के अवसर पर चल रहे प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान बोले कुलपति
आरा,21नवंबर. क्या आपको पता है लिखने और पढ़ने की आदत मोबाइल से कम हो रही हैं? कहीं आप भी तो इस आदत के शिकार नही ? अगर हैं तो समय रहते सुधर जाईये वर्ना यह टेक गजट दैनिक जीवन के खर्चे के साथ आपके अध्ययन का एक बड़ा दुश्मन आपके साथ दिन-रात घूम रहा है. जिसके नुकसान का आपको अंदाजा भी नही है.
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जी हाँ आश्चर्य में पड़ने जरूरत नही इसे मानने की जरूरत है और अगर यह कम नही हुआ तो आने वाले समय में यह पठन-पाठन में बड़ा नुकसान करेगा. मोबाइल से जुड़े इस सार्थक सत्य को बच्चों से रु-ब-रु कराया झारखंड राज्य भाषा साहित्य अकादमी सह विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ भागलपुर के कुलपति डॉ. रामजन्म मिश्र ने.
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वे बुधवार को स्थानीय ‘शांति स्मृति’ संभावना आवासीय उच्च विद्यालय रजत जयंती वर्ष के अवसर पर आयोजित विभिन्न विधाओं के प्रशिक्षण शिविर के अंतर्गत साहित्य (कविता, कहानी, लेखन व वाचन) के प्रशिक्षण शिविर में छात्र-छात्राओं को लेखन का प्रशिक्षण देने पहुँचे थे. उनके साथ इस मौके पर शहर के प्रख्यात कवि जनार्दन मिश्रा भी उपस्थित हुए.
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प्रशिक्षण शिविर में छात्र-छात्राओं एवं प्रशिक्षकों को संबोधित करते हुए डाॅ. राम जन्म मिश्र ने कहा कि लिखने से ही व्यक्ति सीखता है. मोबाइल के कारण लिखने और पढ़ने की जो आदतें कम हो रही है. उससे आगे चलकर बच्चों के पठन-पाठन में बड़ा नुकसान होगा.
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प्रशिक्षण शिविर में कवि जनार्दन मिश्रा ने भी छात्र-छात्राओं को कविता, कहानी, लेखन व वाचन के संबंध में विस्तार से जानकारी दी.
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उपस्थित अतिथियों का स्वागत करते हुए प्राचार्या डॉ. अर्चना सिंह ने कहा कि प्रशिक्षण शिविर का आज 16वां दिन है. 45 दिनों के बाद हम इस प्रशिक्षण शिविर से तैयार कलाकृतियां और सांस्कृतिक कार्यक्रमों को भव्य रूप से रजत जयंती समारोह में प्रस्तुत करेंगे. धन्यवाद ज्ञापन विद्यालय के निदेशक डॉ. कुमार द्विजेंद्र ने किया. संचालन वरिष्ठ शिक्षक अरविंद ओझा ने किया. कार्यक्रम के दौरान दोनों अतिथियों को प्राचार्या द्वारा प्रतीक चिन्ह और अंग वस्त्र देकर सम्मानित किया गया. सम्भावना स्कूल में इन दिनों कई तरह के प्रशिक्षण शिविर चल रहे हैं जहाँ कई विधाओं के शिक्षाविदों का लगातार आना-जाना चालू है. शिक्षा के साथ ऐसे प्रशिक्षण शिविर बच्चों के आंतरिक विकास में बहुत बड़ा मदद करते हैं.
आरा से ओ पी पांडेय की रिपोर्ट