पटना- अगर आप अपनी पुरानी हस्तशिल्प ,लोक कला, संस्कृति, हुनर , परंपरा से वाकिफ़ होना चाहते हैं या फिर देशी व्यंजनों का लुत्फ़ उठाना चाहते हैं तो सरस मेला में आइये. सरस मेला ज्ञान भवन में आयोजित है. जहाँ शिल्प, संस्कृति, परम्पराएं एवं लोक कलायें अपने पुराने अंदाज में विभिन्न स्टॉल पर सुसज्जित हैं. इसके साथ ही बिहार समेत देश के अन्य प्रदेशों के शुद्ध , पौष्टिक एवं पारम्परिक देशी व्यंजन एवं मिठाइयाँ आगंतुकों को लुभा रही हैं.
बिहार सरस मेला बिहार ग्रामीण जीविकोपार्जन प्रोत्साहन समिति, जीविका द्वारा 18 सितंबर से 27 सितंबर तक आयोजित है .
बिहार सरस मेला में देश भर के विभिन्न राज्यों से स्वयं सहायता समूह से जुडी महिला उद्धमी महिला सशक्तिकरण एवं स्वावलंबन की नाज़िर पेश कर रही हैं l ग्रामीण क्षेत्र की महिला उधमियों द्वारा निर्मित हस्त शिल्प, कृत्रिम फूल, परिधान, गृह-सज्जा , चावल की कई प्रजातियाँ , खाद्य सामग्री एवं वाद्य यंत्रों की खरीद-बिक्री सह प्रदर्शनी लगी हुई है. बिहार की टिकुली, सिक्की , मधुबनी कला , मणिपुर का शाल राजस्थान की सिंगानेरी प्रिंट, आसाम का बम्बू आर्ट , बेंत हस्तशिल्प, बेल मेटल हस्त शिल्प, शिप हस्त शिल्प , जुट हस्तशिल्प, कागज हस्तशिल्प गुजरात का अहीर एवं कुच्ची शिल्प, कृत्रिम फूल आदि की प्रदर्शनी सह खरीद-बिक्री हो रही है . इसके साथ ही राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं के बारे में लोगों को अवगत कराया जाता रहा है. गरीबी उन्मूलन हेतु क्रमिक वृद्धि कार्यक्रम सतत जीविकोपार्जन योजना की सफलता को प्रदर्शित स्टॉल, जीविका दीदियों द्वारा संचालित जे.वायर्स पर सोल्स उत्पाद , शिल्प ग्राम महिला उत्पादक कंपनी लिमिटेड के स्टॉल पर खादी एवं शिल्क के परिधान, जुट से बने उत्पाद एवं सिक्की कला , मधुग्राम महिला उत्पादक कंपनी लिमिटेड के स्टॉल पर शुद्ध मध् समेत कई उत्पाद सरकार की गरीबी उन्मूलन योजना की सफलता को परिलक्षित कर रहे हैं.
सरस मेला के माध्यम से जीविका दीदियाँ और ग्रामीण महिलायें आर्थिक एवं सामजिक रूप से सशक्त तो हो ही रही हैं दुसरे प्रदेश से आई महिलाए भी एक दूसरे के लोक कला, शिल्प और संस्कृति से अवगत होते हुए महिला स्वावलंबन की नाजिर पेश कर रही है.
गुजरात के भुज से कुकू बेन दूसरी बार सरस मेला में आई हैं. पिछले पंद्रह साल से वो लक्ष्मी सखी मंडल के माध्यम से अपने हुनर को व्यवसाय में तब्दील करते हुए अपने गाँव की 60 से अधिक महिलाओं को रोजगार भी दे रखा है. कुकू बेन कुच्ची और अहीर हस्तशिल्प के अंतर्गत निर्मित महिलाओं के परिधान यथा कुर्ती, ब्लाउज, गाउन , चादर, सलवार सूट, बंडी, झूमर आदि की बिक्री कर रही हैं . इनके पास सौ रूपया के पर्स से लेकर 5 हजार रुपये के कीमत की ब्लाउज भी बिक्री के लिए है .कुच्ची शिल्प के तहत हाथ से कढ़ाई की हुई ब्लाउज की मांग ज्यादा है. दो दिन में उन्होंने 25 हजार से अधिक की राशि के परिधानों की बिक्री की है . कुकू बेन को बिहार सरस मेला में आना अच्छा और फायदेमंद लगता है . वो अपनी बेटी मिहिनी के साथ आई हैं . बेटी ने उनके हुनर को आत्मसात करते हुए उसे आधुनिकता से भी जोड़ा है . वो बताती हैं कि हस्तशिल्प की मांग बिहार में ज्यादा है साथ ही यहाँ आकर मान-सम्मान तो मिलता ही है हम सभी महिला उद्यमी एक – दुसरे के शिल्प से परिचित होते हैं .
आगंतुक सरस मेला में फ़ूड जोन में दीदी की रसोई समेत कई स्टॉल पर शुद्ध, लज़ीज़ एवं पौष्टिक व्यंजनों एवं मिठाइयों का लुत्फ़ उठा रहे हैं .
महिला उद्योग संघ, महिला विकास निगम एवं शहरी आजीविका मिशन से भी जुडी महिला उद्यमी खुद के द्वारा उत्पादित उत्पादों एवं व्यंजनों की बिक्री कर रही हैं.
आगंतुकों एवं मेला में आई उद्धमियों के लिए ग्राहक सेवा केंद्र के भी स्टॉल उपलब्ध है .इन स्टॉल से रुपये की जमा-निकासी हो रही है . साथ ही स्टॉल्स पर कैशलेश खरीददारी की भी सुविधा उपलब्ध कराई गई है .
सरस मेला का शुभारंभ 18 सितंबर को हुआ .पहले ही दिन 9 लाख 55 हजार से अधिक की राशि के उत्पादों एवं व्यंजनों की खरीद-बिक्री हुई .
लगभग 24 हजार लोग आये और खरीददारी की. बिहार सरस मेला 27 सितंबर 2024 तक चलेगा. मेला का समय सुबह 10 बजे से शाम 8 बजे तक निर्धारित. प्रवेश निःशुल्क है .
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