पटना।। रविवार का दिन गाँधी मैदान के लिए ऐतिहासिक रहा. जहाँ जीविका द्वारा आयोजित सरस मेला में आधुनिकता से परे ग्रामीण शिल्प, संस्कृति,परम्परा एवं स्वाद से रूबरू होने के लिए लाखों की संख्या में लोग आये और अपने देश की खुबसूरत छवि को देखा तथा भाव-विभोर हुए . जीविका वर्षों से बिहार सरस मेला का आयोजन करती आ रही है और इसके सफल प्रबंधन एवं आयोजन की बानगी गांधी मैदान में दिखी. प्रति वर्ष सरस मेला निरंतर प्रगति की ओर अग्रसर है यह रविवार को दिखा जब हस्तशिल्प के कद्रदानो का बड़ी संख्या में आगमन हुआ. आगंतुकों में कोई ऐसा नहीं दिखा जिसने खरीददारी नहीं की हो. हर वर्ग, हर तबके और आम से लेकर खास तक मेला में आये और अपने शौक, अपनी पसंद, घर- दुकान की जरुरत एवं सदियों पुरानी हस्तशिल्प को संजो कर रखने के उद्देश्य से खरीददारी की.
सरस मेला के माध्यम से सदियों पुरानी लोक कलायें पुनर्जीवित हो उठी हैं. ग्रामीण महिला शिल्पकारों को शिल्प निर्माण एवं बिक्री के लिए प्रोत्साहन मिलने के बाद उनका आर्थिक एवं सामाजिक तौर पर सशक्तिकरण हुआ है. मेला में आकर ग्रामीण शिल्पकार शिल्प को नया आकार, सम्मान एवं अगली पीढ़ी को हस्तानांतरित कर रही हैं.
गोपालगंज, बिहार से आई स्वयं सहायता समूह की सदस्य पुनीता देवी सिक्की कला एवं कुश कला के तहत खुद द्वारा निर्मित उत्पादों को लेकर पहली बार सरस मेला में आई हैं. पिछले तीन साल से जीविका से जुडी हैं . जीविका द्वारा प्रोत्साहन , प्रशिक्षण एवं मार्गदर्शन मिलने के बाद सिक्की कला एवं कुश कला को आगे बढ़ा रही हैं . मेला में जीवंत डगरा, टोकरी, सिक्की पोला की चूड़ियों का निर्माण कर रही हैं. निर्माण एवं बिक्री के साथ ही आगंतुकों को सिक्की कला एवं कुश कला की बारीकियों से अवगत करा रही हैं . साथ ही 10 दिनों में इन्होने 40 हजार रुपये से अधिक की बिक्री भी की है l पुनीता देवी ने समूह से ऋण लेकर सिक्की एवं कुश से उत्पादों की निर्माण कर व्यवसाय शुरू किया है. अब उनकी पहचान कुशल महिला उद्यमी के रूप में है .
रविवार को डेढ़ लाख से अधिक लोग सरस मेला में आये और खरीददारी की. साथ ही देशी, लज़ीज़, पौष्टिक एवं स्वादिष्ट व्यंजनों का लुत्फ़ उठाया.10 दिनों में खरीद-बिक्री का आंकड़ा 10 करोड़ पार कर गया है.
शनिवार को सेमिनार हॉल में जीविका के तत्वाधान में हस्तशिल्प को मिल रहे प्रोत्साहन एवं बाज़ार में उत्पादों की बढ़ी मांग विषय पर परिचर्चा हुई. समीर कुमार, राज्य परियोजना प्रबंधक, गैर कृषि – जीविका ने गैर कृषि प्रबंधको को उत्पादों के बाज़ार में बिक्री एवं ब्रांडिग का गुर बताया. के लिए हस्तशिल्प को प्रोत्साहन एवं बाज़ार उपलब्ध कराने हेतु विचार-विमर्श कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कैशलेस खरीददारी और डिजिटल ट्रांजेक्शन मेला की शोभा बढ़ा रहा है.
शाम में मुख्य सांस्कृतिक मंच पर तानसेन स्कुल आफ म्यूजिक की छात्र-छात्राओं ने भरतनाट्यम,कत्थक, और शास्त्रीय संगीत की प्रस्तुति की. हजारो दर्शक भारत देश के लोक संस्कृति से रूबरू हुए. मेरे ढोलना सुन, मोहे पनघट पर छेड़ गयो जैसे गीतों पर नृत्यों की प्रस्तुतियों ने सबको मोहा l कलाकारों में श्रद्धा,यशस्वी, आदया देव, सजल, अनन्या , अपूर्वा, शान्वी ,यशी, कृतिका मिश्रा, जिनिशा, समृद्धि, अनंता,शोम्नी, निकिशा, एरोमा शाम्भवी, आरवी, आराध्य, आदि कलाकारों ने अपनी प्रस्तुतियों से सबको मोहा.
राज्य स्वास्थ्य समिति एवं यूनिसेफ के संयुक्त तत्वाधान में मुफ्त एनीमिया जांच शिविर जारी रहा. चलाया गया . 2 सौ से अधिक ओगों की जांच हुई . हिमोग्लोबिन कम पायेजाने पर नि:शुल्क दवा वितरण किया गया . स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के तत्वाधान में लोक पंच के कलाकारों ने जन जागरूकता अभियान के तहत आगंतुकों को खाता संचालन, डिजिटल लेन-देन एवं ऑन लाइन फ्रॉड से बचने हेतु नुक्कड़ नाटक की प्रस्तुति की . रिजर्व बैंक आफ इंडिया के बैनर तले विभिन्न बैंक प्रतिदिन फटे-पुराने नोटों की बदली जारी हैं . ग्रामीण बैंक, इंडियन बैंक, सेंट्रल बैंक आफ इंडिया ,पंजाब नेशनल बैंक , बैंक आफ इंडिया के स्टॉल से भी आगंतुकों को बैंक द्वारा चलाई जा रही योजनाओं से अवगत करा रहे हैं. जन औषधि केंद्र से कम दर पर दवाइयां उपलब्ध कराई जा रही है. जीविका के सामाजिक विकास विधा द्वारा महिलाओं को उनके अधिकार एवं उनके विकास के लिए चलाई जा रही योजनाओं के बारे में बताया जा रहा है . पशु एवं मत्स्य विभाग के स्टॉल पर पशु पालन एवं मछली पालन हेतु नई तकनीक से अवगत कराया जा रहा है . राजस्व एवं भूमि विभाग द्वारा लोगों को उनकी मांग के अनुरूप जमीन का नक्शा उपलब्ध कराया जा रहा है . अन्य विभाग एवं संस्थानों के स्टॉल से भी लोग लाभन्वित हो रहे हैं .जीविका दीदियों द्वारा संचालित दीदी की रसोई, शिल्पग्राम एवं मधुग्राम के उत्पाद एवं व्यंजन लोगों को लुभा रहे हैं.
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