पुस्तक मेला और वसंत मेला से ज्यादा पॉपुलर साबित हो रहा सरस मेला
हर दिन उमड़ रही 30-40 हजार लोगों की भीड़
देशभर से आए कला और शिल्पकारों से सरस मेला की रौनक बढ़ी
राजस्थान, महाराष्ट्र समेत देशभर के पकवान भी खींच रहे लोगों का ध्यान
घूमने आने वाले कर रहे जमकर खरीदारी
पटना के गांधी मैदान में एक इस बार फरवरी महीने में कई मेले लोगों का मनोरंजन कर रहे हैं. पहले पुस्तक मेला फिर सरस मेला और इसके बाद वसंत उत्सव और फिर कृषि मेला. अब तक पुस्तक मेला और वसंत मेला को कड़ी टक्कर दे रहे सरस मेले को जबरदस्त ऑडिएंस रेस्पॉंस देखने को मिल रहा है.
patnanow की टीम ने लगातार सरस मेला और गांधी मैदान में लगे अन्य मेलों का जायजा लिया, लोगों से बात की और हर मेले के बारे में उनके विचार जानने का प्रयास किया. आरा से हर दूसरे दिन पटना आने वाले उज्ज्वल नारायण ने बताया कि इस बार सरस मेला सचमुच काफी आकर्षक है और जीविका का प्रयास भी सराहनीय है. जीविका स्टॉल और हेल्प डेस्क के साथ इस बार प्रवेश द्वार और निकास द्वार के कारण भी लोगों को यहां आना काफी आसान लगा. उज्जवल का कहना था कि वे टिकट लेकर पुस्तक मेला और वसंत मेला भी देखने गए लेकिन उन दोनो मेलों की अपेक्षा सरस मेला काफी आकर्षक, ज्यादा वेरायटी और कंफर्टेबल लगा.
इसके अलावा पटना के कई लोगों से भी patnanow ने बात की. कंकड़बाग में रहकर प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी कर रहे ऋषि और राहुल ने बताया कि सरस मेला में उन्हें कश्मीर के कारपेट से लेकर राजस्थान का दाल बाटी तक मिला. इससे ज्यादा अच्छा क्या हो सकता है.
पटना के एसके पुरी में रहने वाले सतीश गुप्ता पिछले 10 दिन में अपने परिवार के साथ तीन बार सरस मेला जा चुके हैं. वहां अलग-अलग वेराइटी के कई सामानों की खरीदारी भी उन्होंने की है. इसके अलावा सांस्कृतिक मंच से होने वाले मैजिक शो और गीत-संगीत भी उन्हें काफी पसंद आए.
कभी आ व ना बलमवा हमार ओरिया…
बिहार सरस मेला में ग्रामीण शिल्पकला को बढ़ावा और बाज़ार देने के उदेश्य से जीविका, ग्रामीण विकास विभाग , बिहार सरकार के द्वारा 7 से 21 फ़रवरी तक आयोजित सरस मेला में देश के 20 राज्यों से आये स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलायें , जीविका की दीदियाँ , स्वरोजगार और ग्रामीण शिल्पकार अपने यहाँ के परंपरागत उत्पाद, व्यंजन संवाद एवं संस्कृति से बिहारवासियों को लुभा रहे हैं .
आयोजकों के मुताबिक सरस मेला के आयोजन के बारहवें दिन भी लगभग 42 से 44 हजार लोगों की भीड़ उमड़ी . रविवार को ये आंकड़ा 60 हजार को पार कर गया. कृषि विभाग के स्टॉल पर खेती से सम्बंधित जानकारी, पर्यटक सूचना केंद्र पर पर्यटन से सम्बंधित जानकारी दी जा रही है.
मेला परिसर में कई कलाकार भी दर्शकों का ध्यान खींच रहे हैं. इनमे से एक हैं पटना के अजय जो लोगों का पोर्ट्रेट हुबहू बना रहे हैं वो भी चन्द मिनटों में.
इनके अलावा सबसे ज्यादा बिक्री खादी और हैण्डलूम से बने कपड़ों और जूट से बने सामानों की हो रही है. यहां केले के रेशे से बने उत्पाद और सीकी से बने उत्पाद भी हैं जो हर जगह आपको नहीं मिलेंगे.