गाँव के शिल्पकारों को बेहतर मंच भी मिल रहा है -श्रवण कुमार
ग्रामीण शिल्प को एक मंच प्रदान करते हुए उसे बाज़ार उपलब्ध कराना इस मेला का उदेश्य
बिहार समेत 22 राज्यों के लगे 135 स्टॉल
खरीदारी के साथ लें लजीज पकवानों का आनंद
बड़े पैमाने पर एक ही चाट के नीचे हुनरमंद शिल्पकारों को मौका और प्रोत्साहन दिया जा रहा है. ग्रामीण विकास विभाग महिलाओं के स्वावलंबन के लिए तत्पर है और हरसंभव सहयोग प्रदान किया जा रहा है -श्रवण कुमार
पटना के ज्ञान भवन में बुधवार को सरस मेले का उद्घाटन बिहार ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने किया.यह मेला 20 सितम्बर से 27 सितम्बर तक आयोजित किया गया है. इस मेले में बिहार समेत 22 राज्यों की स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिला शिल्पकार अपने-अपने क्षेत्र की संस्कृति, परम्परा, व्यंजन और शिल्प को प्रदर्शित करेंगी. इस मेले में कुल 135 स्टॉल लगाए गए हैं.मेले में घूमने का समय सुबह 10 बजे से शाम 8 बजे तक है.बिहार के सभी 38 जिला से कुल 80 जीविका दीदियां अपने-अपने हस्तशिल्प और देसी व्यंजनों को लेकर इस मेले में उपस्थित हैं.
स्वागत संबोधन राम निरंजन सिंह, निदेशक, बिहार ग्रामीण जीविकोपार्जन प्रोत्साहन समिति (जीविका) ने किया .आगत तिथियों का स्वागत करते हुए निदेशक , जीविका ने अपने संबोधन में कहा कि इस बार बिहार समेत 22 राज्यों की स्वयं सहायता समूह से जुडी महिला उद्यमी अपने हस्तशिल्प, कलाकृतियाँ, स्वाद, व्यंजन और परम्परा को लेकर 135 स्टॉल पर उपस्थित हैं . बिहार के सभी जिला से जीविका से सम्बद्ध स्वयं सहायता समूह से जुडी जीविका दीदियाँ भी अपने विभिन्न उत्पादों को लेकर उपस्थित हैं . ग्रामीण शिल्प को एक मंच प्रदान करते हुए उसे बाज़ार उपलब्ध कराना इस मेला का उदेश्य है और प्रतिवर्ष सरस मेला के प्रति लोगों के आकर्षण में उत्तरोत्तर वृद्धि हो रही है .
आगंतुकों की संख्या और खरीद-बिक्री के आंकड़ों में निरंतर वृद्धि बिहार सरस के प्रति आगंतुकों के क्रेज को दर्शाता है .तत्पश्चात डा.एन.सरवन कुमार, सचिव, ग्रामीण विकास विभाग ने अपना उद्बोधन व्यक्त किया. इस अवसर पर सचिव, ग्रामीण विकास, विभाग ने कहा कि ग्रामीण शिल्प और उत्पादों को बेचने के लिए सरस मेला एक बड़ा माध्यम है . उन्होंने कहा कि जीविका ने समाज में बड़ा बदलाव लाया है. इससे पूर्व तनय सुल्तानिया , उप विकास आयुक्त, पटना ने कहा कि सरस मेला के माध्यम से ग्रामीण परिवेश की महिलाएं राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना रही हैं. ग्रामीण शिल्प और हस्तकला के सबसे बड़े बाज़ार में आकर बिहार के देश भर की स्वयं सहायता समूह से जुडी महिलाएं लाभान्वित हो रही है.
जीविका की परियोजना समन्यवक महुआ राय चौधरी ने बताया किअररिया से जुट से बने उत्पाद, अरवल से लकड़ी से बने उत्पाद, औरंगाबाद से डिजाइनर बैंगल्स, कारपेट और कालीन, बांका से सिल्क से बने कपड़े, साड़ी, शूट, दुपट्टा और खाद्य पदार्थों के अंतर्गत कतरनी चुडा, चावल, सत्तू और गुड, बेगुसराय से सत्तू, बरी, मसाला, किशनगंज से हल्दी पावडर, लखीसराय से मिठाइयां, मधेपुरा से घर के सजावट के लिए बांस से बने उत्पाद, शिवहर से लाह की बनी चूड़ियां, सीतामढ़ी से मधुबनी पेंटिंग, आदि के स्टॉल यहां लगाए गए हैं,बिहार से दे व्यंजनों के 22 स्टॉल, हस्तशिल्प के 34 स्टॉल, हैंडलूम के 12, हस्तनिर्मित उत्पादों के 4, सिलाई केंद्र का 1, दीदी की रसोई के 4 और रग्स के 3 स्टॉल है। जीविका दीदी की रसोई” के स्टॉल पर आगंतुक देशी व्यंजनों के स्वाद का लुत्फ़ उठा सकेंगे. बिहार के अलावा अन्य राज्यों से हस्तशिल्प के 8 स्टॉल, हैंडलूम के 18, हस्तनिर्मित उत्पादों के 10 और अन्य व्यंजनों के 5 स्टॉल हैं.
जीविका की परियोजना पदाधिकारी महुआ राय चौधरी ने बताया कि सरस मेला का सबसे खास आकर्षण जीविका दीदियों द्वारा संचालित दीदी की रसोई, शिल्पग्राम एवं मधुग्राम है .इसके साथ ही जीविका द्वारा संचालित सतत जीविकोपार्जन योजना के स्टॉल से आगंतुक गरीबी उन्मूलन की दिशा में किये जा रहे कार्यों से रूबरू हो रहे हैं. इसके अलावा महिला विकास निगम के और बिहार महिला उद्द्योग संघ के स्टॉल पर राज्य में हो रहे विकासात्मक कार्यों की प्रदर्शनी एवं उत्पादों की खरीद -बिक्री हो रही है . सरस मेला को फोर नाइन मीडिया प्राईवेट लिमिटेड, दिल्ली ने सजाया-संवारा है . बिहार सरस मेला 20 सितंबर से शुरू होकर 27 सितंबर तक चलेगा .मेला का समय सुबह 10 बजे से शाम 8 बजे तक निर्धारित है वहीँ प्रवेश निःशुल्क रखा गया है .
रवीन्द्र भारती